लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्राSample
यीशु अपने अनुयायियों को धार्मिक नेताओं के पाखंड से बचने का उपदेश देते हैं। वे परमेश्वर के प्रेम के बारे में बात करते हैं पर निर्धनों की उपेक्षा करते हैं। उनके पास बहुत सा ज्ञान है पर वे उसका उपयोग केवल तारीफ़ें बटोरने के लिए करते हैं। यीशु इस दोगली जीवनशैली को सहन नहीं करते और यह उपदेश देते हैं कि परमेश्वर सब कुछ देखते हैं और वे मानवता को जवाबदेह बनाए रखेंगे। यह एक चेतावनी भी है और प्रोत्साहन भी। यह एक चेतावनी इसलिए है क्योंकि लालच और प्रलाप छिपे नहीं रहेंगे। पाखंडियों को ढूंढ निकाला जाएगा। सत्य सामने आएगा, और एक दिन ग़लत को सही कर दिया जाएगा। पर यह एक प्रोत्साहन भी है क्योंकि परमेश्वर मनुष्यों के केवल ग़लत कार्यों को नहीं देखते; वे सत्कर्मों को भी देखते हैं। वे मनुष्यों की आवश्यकताओं को देखते हैं और अपनी रचना की उदार ढंग से देखभाल करते हैं। जब यीशु के अनुयायी परमेश्वर के साम्राज्य की दिशा में आगे बढ़ते हैं और उसे प्राथमिकता देते हैं, तो यीशु उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि उन्हें अनंत खजाने मिलेंगे और पृथ्वी पर जीवन के लिए उन्हें जो भी कुछ चाहिए वह मिलेगा। अब, बेशक, इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन आसान होगा। वस्तुतः यीशु यह स्वीकारते हैं कि उनके अनुयायी वास्तव में कष्ट भोगेंगे। पर वे वचन देते हैं कि कष्ट भोगने वालों की मुलाकात परमेश्वर से होगी, और उनके नाम को सम्मानित करने के लिए अपना जीवन देने वाले लोगों को देवदूतों के सामने सम्मानित किया जाएगा। इस कारण, यीशु अपने अनुयायियों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे परमेश्वर की व्यवस्था में विश्वास करें, और वे उन्हें पाखंड के ख़तरों की चेतावनी भी देते हैं। यीशु की अभिलाषा है कि हर व्यक्ति उनके शब्दों को प्राप्त करे, पर कई व्यक्ति उन्हें अस्वीकार कर देते हैं।
About this Plan
दिनों में व्यक्तियों, छोटे समूहों और परिवारों को लूका और प्रेरितों के काम की पुस्तकों को शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह योजना प्रतिभागियों को यीशु से सामना करने और लूका के शानदार साहित्यिक रचना और विचार के प्रवाह के साथ जुड़ने में मदद करने के लिए एनिमेटेड वीडियो और गहरी समझ वाले सारांश सम्मिलित करती है।
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