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लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्राSample

लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्रा

DAY 15 OF 40


लूका के इस अनुभाग में, यीशु यरूशलेम की अपनी लंबी यात्रा के अंत तक पहुंच गए हैं। वे एक गधे पर सवार होकर जैतून पर्वत से उतर कर शहर की ओर जा रहे हैं। रास्ते में, लोगों की विशाल भीड़ यह गाते हुए उनके शाही प्रवेश के साथ उनका स्वागत करती है कि, “उस राजा का स्तुतिगान करो जो परमेश्वर का प्रतिनिधि बन कर आया है।” भीड़ को याद है कि इस्राएल के प्राचीन नबियों ने यह वचन दिया था कि परमेश्वर अपने लोगों को बचाने और दुनिया पर राज करने के लिए एक दिन स्वयं आएंगे। नबी जकरयाह ने एक ऐसे राजा के आने के बारे में बताया था जो गधे पर सवार होकर यरूशलेम में आएगा और अपने साथ न्याय और शांति लाएगा। भीड़ गीत गाती है क्योंकि वह पहचान जाती है कि यीशु इन सारी आशाओं को सक्रिय कर रहे हैं।

पर हर कोई सहमत नहीं हैं। धार्मिक नेता यीशु के शासन को अपनी सत्ता के लिए एक ख़तरे के रूप में देखते हैं और उसे सरकारी अधिकारियों को सौंपने के तरीके ढूंढते हैं। यीशु देख सकते हैं कि क्या होने वाला है। वे जानते हैं कि इस्राएल उसे राजा के रूप में स्वीकार नहीं करेगा और यह कि उनका यह इनकार उन्हें विनाश के पथ पर ले जाएगा जिसका अंत तबाही से होगा। इससे उनका हृदय टूट जाता है। और…इससे वे क्रोधित हो जाते हैं। जैसे ही वे यरूशलेम में प्रवेश करते हैं, वे मंदिर के अहाते में घुस जाते हैं और वहां खरीद-फ़रोख़्त करने वाले सभी लोगों को बाहर निकाल देते हैं, जिससे पूरी बलि प्रणाली अस्त-व्यस्त हो जाती है। वे अहाते के बीचोबीच खड़े होकर यह कहते हुए उनका विरोध करते हैं कि, “यह एक प्रार्थना स्थल है, पर तुमने इसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।” यहां वे नबी यिर्मयाह को उद्धृत कर रहे हैं, जिन्होंने इसी स्थान, जो इस्राएल की धार्मिक और राजनैतिक शक्ति का केंद्र है, पर खड़े होकर इस्राएल के प्राचीन नेताओं की ऐसी ही आलोचना की थी।

धार्मिक नेताओं को यीशु के विरोध-प्रदर्शन का कारण समझ आ जाता है, पर वे उससे कुछ सीखते नहीं हैं। और जिस प्रकार इस्राएल के प्राचीन नेताओं ने यिर्मयाह के विरुद्ध षडयंत्र रचा था, वैसे ही वे भी यीशु का अंत करने का प्रयास करते हैं। इस्राएल के नेताओं के व्यवहार का वर्णन करने के लिए, यीशु एक संपत्ति स्वामी की एक दृष्टांत-कथा सुनाते हैं जो यात्रा पर जाते समय अपने अंगूर के बाग को किराये पर दे देता है। स्वामी फल की उपज के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए संदेशवाहकों को अपने बाग भेजता है, पर किरायेदार संदेशवाहकों को पीटते हैं और उन्हें खाली हाथ भगा देते हैं। फिर स्वामी इस आशा के सात अपने पुत्र को अपने बाग भेजता है कि उसे अधिक सम्मान मिलेगा, पर किरायेदार इसे अंगूर के बाग के वारिस को ख़त्म करके बाग को लूटने के एक अवसर के रूप में देखते हैं। वे स्वामी के प्रिय पुत्र को बाहर फेंक देते हैं और उसकी हत्या कर देते हैं। इस कहानी में, यीशु अंगूर के बाग के भ्रष्ट किरायेदारों की तुलना इस्राएल के उन धार्मिक नेताओं से करते हैं जो परमेश्वर के भेजे सभी नबियों को नियमित रूप से अस्वीकार करते रहते हैं और जो अब परमेश्वर के प्रिय पुत्र की हत्या की योजना बना रहे हैं। यीशु यह स्पष्ट कर देते हैं कि धार्मिक नेता अपने पिताओं की ग़लतियां दोहरा रहे हैं और यह कि और अधिक शक्ति छीनने की उनकी लालसा उनके अपने ही विनाश का कारण बनेगी। 

Day 14Day 16

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लूका और प्रेरितों के काम के माध्यम से एक यात्रा

दिनों में व्यक्तियों, छोटे समूहों और परिवारों को लूका और प्रेरितों के काम की पुस्तकों को शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यह योजना प्रतिभागियों को यीशु से सामना करने और लूका के शानदार साहित्यिक रचना और विचार के प्रवाह के साथ जुड़ने में मदद करने के लिए एनिमेटेड वीडियो और गहरी समझ वाले सारांश सम्मिलित करती है।

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