यीशु मसीह के दृष्टांतनमूना
![The Parables of Jesus](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fimageproxy.youversionapi.com%2Fhttps%3A%2F%2Fs3.amazonaws.com%2Fyvplans%2F603%2F1280x720.jpg&w=3840&q=75)
अच्छी उपज के साथ-साथ जंगली पौधे, मछलियों का छांटा जाना
ये दोनों दृष्टांत दर्शाते हैं कि यह अनिवार्य नहीं कि कलीसिया में उपस्थिति, हां जीवन भर की उपस्थिति भी, एक नवीन हृदय या यीशु के साथ संबंध के तुल्य हो। तो हमें अपना मन जांच कर सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्धार हेतु हमारा आसरा मसीह में हो नाकि अपनी "मसीहतता" पर।
क्या आपने कभी भी अपनी गवाही के विषय में पूछे जाने पर खुद को यह कहते पाया है, "मैं तो सदा ही मसीही था" या फिर, "मैं तो सदा से कलीसिया सभा में जाता रहा हूं"? क्या आपके लिए वचन की जानकारी यीशु के साथ आपके रिश्ते से अधिक महत्वपूर्ण है? क्या आप पवित्रता के लिए एक चाहत उत्पन्न करने के बजाय अपने नियम तोड़ने के अभाव में सुखद महसूस करते हैं? क्या आप चेले बनाने व परमेश्वर के राज्य को बढ़ाने के बजाय यह कह रहे हैं, "उद्धार की अवस्था में बने रहो"?
इन दृष्टांतों का अर्थ यह नहीं है कि कलीसिया में स्पष्ट, घोर पापों को नजरंदाज किया जाए। कलीसिया के अगुवों को कलीसिया के सदस्यों के जीवनों में ऐसे पापों को संबोधित करना चाहिए। परंतु, आत्मिक जासूस बन कर अपनी कलीसिया व अपने आस पास की कलीसियाओं में "जंगली पौधे" ढूंढने के बजाय, हमें अपने खुद के हृदय जांच कर परखने की आवश्यकता है कि कहीं कोई जंगली पौधे तो नहीं पनप रहे!
ये दोनों दृष्टांत दर्शाते हैं कि यह अनिवार्य नहीं कि कलीसिया में उपस्थिति, हां जीवन भर की उपस्थिति भी, एक नवीन हृदय या यीशु के साथ संबंध के तुल्य हो। तो हमें अपना मन जांच कर सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्धार हेतु हमारा आसरा मसीह में हो नाकि अपनी "मसीहतता" पर।
क्या आपने कभी भी अपनी गवाही के विषय में पूछे जाने पर खुद को यह कहते पाया है, "मैं तो सदा ही मसीही था" या फिर, "मैं तो सदा से कलीसिया सभा में जाता रहा हूं"? क्या आपके लिए वचन की जानकारी यीशु के साथ आपके रिश्ते से अधिक महत्वपूर्ण है? क्या आप पवित्रता के लिए एक चाहत उत्पन्न करने के बजाय अपने नियम तोड़ने के अभाव में सुखद महसूस करते हैं? क्या आप चेले बनाने व परमेश्वर के राज्य को बढ़ाने के बजाय यह कह रहे हैं, "उद्धार की अवस्था में बने रहो"?
इन दृष्टांतों का अर्थ यह नहीं है कि कलीसिया में स्पष्ट, घोर पापों को नजरंदाज किया जाए। कलीसिया के अगुवों को कलीसिया के सदस्यों के जीवनों में ऐसे पापों को संबोधित करना चाहिए। परंतु, आत्मिक जासूस बन कर अपनी कलीसिया व अपने आस पास की कलीसियाओं में "जंगली पौधे" ढूंढने के बजाय, हमें अपने खुद के हृदय जांच कर परखने की आवश्यकता है कि कहीं कोई जंगली पौधे तो नहीं पनप रहे!
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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यह पाठ योजना आपको यीशु द्वारा सुनाये दृष्टांतों में से लेकर जायेगी, जिससे आप यह जान सकोगे कि उसके कुछ महान उपदेश आपके लिए कितना महत्त्व रखतें हैं! बहुत से दिनों की यह पठन योजना पाठकों को चिंतन-मनन करने का समय देती है और उन्हें वर्तमान से जोड़े रहती है और उन्हें यीशु के प्रेम तथा सामर्थ के द्वारा उत्साहित करती है!
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We would like to thank Trinity New Life Church for this plan. For more information, please visit: http://www.trinitynewlife.com/