सुखी/धन्यनमूना

"उदारता"
परमेश्वर का स्वभाव देना है, और वो जो भी करतें हैं वो उदार आत्मा से करतें हैं। इसी तरह से, सही मायने में, हमारी इच्छा भी उदार बनने की होनी चाहिए और हमारे जीवनों में से दूसरों के लिए आशीषें बहनें वाली हो सकें। उदारता मतलब यह नहीं कि आपके पास कितना है, और न ही यह एक बार कोई काम करने या दिखाने से साबित होती है —उदारता का सच्चा भाव जीवनशैली है।
• देखने का एक तरीका
"जिसकी आँखों में उदारता झलकती है, उसको प्रभु आशीष देता है, क्योंकि वह अपने हिस्से की रोटी गरीब को खिलाता है" (नीतिवचन 22:9) ।
उदार आँखें स्वयं से परे/हटकर देख लेतीं हैं और दूसरों को आशीष देने/सहायता करने के अवसर तुरंत ढूंढ लेतीं हैं। बजाय इसके कि पीछे बैठकर दूसरों के बारे में कठोर मूल्याँकन/कठोर आलोचना करने वाला बने, एक उदार आत्मा बेहतरीन बातों पर विश्वास करने के लिए सदा तत्पर रहती है।
• सोचने का एक तरीका
"परन्तु उदार मनुष्य उदारता की ही बातें सोचता है.... "(यशायाह 32:8)
जब उदारता सोचने का तरीका हो, तो व्यक्ति दूसरों की सहायता करने/आशीष देने के लिए सदैव योजना बनाता रहता है। परमेश्वर ने संसार की ज़रुरत को देखा, और उन्होंने एक उदार रणनीति बनाई। जिसे सुसमाचार कहतें हैं, जिसका अर्थ है "शुभ समाचार"।
• रहन-सहन का एक तरीका
"......और वह उदारता में स्थिर भी रहेगा" (यशायाह 32:8)
जब उदारता जीने का एक तरीका होता है, तो यह हमारा उद्देश्य बन जाता है। यह काम नहीं है, एक कोई क्रिया, और न ही कोई एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी/दायित्व — यह जीवन जीने का एक तरीका है। परमेश्वर का वचन कहता है कि जिस किसी के पास "उदार आँखें" हैं वो स्वयं को आशीषित करतें हैं।
परमेश्वर के राज्य का सन्दर्भ/मतलब उन सभी बातों/चीज़ों से है, जो स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर उसके राज्य के अंदर आते हैं। परमेश्वर के राज्य की आत्मा होने का अर्थ है कि आपके पास एक ऐसा दर्शन है जो आपसे भी बड़ा है — आप हमेशा दूसरे लोगों की सहायता करने/आशीष देने के लिए उदार रणनीतियाँ बनाते ही रहोगे।
आपके जीवन का क्षेत्र/चक्र
उदारता केवल एक कार्य मात्र नहीं है बल्कि देखने का, सोचने का और जीवन जीने का एक तरीका है। इससे अधिक और क्या होगा, कि परमेश्वर आपके लिए भी एहि चाहतें हैं। इसलिए दूसरों को आशीष देने/सहायता करने के ऐसे अवसरों को ढूंढते रहें, उदारता दिखने की नीतियाँ बनाते रहें और यीशु मसीह के नाम से अपने आस-पास के लोगों तक पहुचें।
परमेश्वर का स्वभाव देना है, और वो जो भी करतें हैं वो उदार आत्मा से करतें हैं। इसी तरह से, सही मायने में, हमारी इच्छा भी उदार बनने की होनी चाहिए और हमारे जीवनों में से दूसरों के लिए आशीषें बहनें वाली हो सकें। उदारता मतलब यह नहीं कि आपके पास कितना है, और न ही यह एक बार कोई काम करने या दिखाने से साबित होती है —उदारता का सच्चा भाव जीवनशैली है।
• देखने का एक तरीका
"जिसकी आँखों में उदारता झलकती है, उसको प्रभु आशीष देता है, क्योंकि वह अपने हिस्से की रोटी गरीब को खिलाता है" (नीतिवचन 22:9) ।
उदार आँखें स्वयं से परे/हटकर देख लेतीं हैं और दूसरों को आशीष देने/सहायता करने के अवसर तुरंत ढूंढ लेतीं हैं। बजाय इसके कि पीछे बैठकर दूसरों के बारे में कठोर मूल्याँकन/कठोर आलोचना करने वाला बने, एक उदार आत्मा बेहतरीन बातों पर विश्वास करने के लिए सदा तत्पर रहती है।
• सोचने का एक तरीका
"परन्तु उदार मनुष्य उदारता की ही बातें सोचता है.... "(यशायाह 32:8)
जब उदारता सोचने का तरीका हो, तो व्यक्ति दूसरों की सहायता करने/आशीष देने के लिए सदैव योजना बनाता रहता है। परमेश्वर ने संसार की ज़रुरत को देखा, और उन्होंने एक उदार रणनीति बनाई। जिसे सुसमाचार कहतें हैं, जिसका अर्थ है "शुभ समाचार"।
• रहन-सहन का एक तरीका
"......और वह उदारता में स्थिर भी रहेगा" (यशायाह 32:8)
जब उदारता जीने का एक तरीका होता है, तो यह हमारा उद्देश्य बन जाता है। यह काम नहीं है, एक कोई क्रिया, और न ही कोई एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी/दायित्व — यह जीवन जीने का एक तरीका है। परमेश्वर का वचन कहता है कि जिस किसी के पास "उदार आँखें" हैं वो स्वयं को आशीषित करतें हैं।
परमेश्वर के राज्य का सन्दर्भ/मतलब उन सभी बातों/चीज़ों से है, जो स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर उसके राज्य के अंदर आते हैं। परमेश्वर के राज्य की आत्मा होने का अर्थ है कि आपके पास एक ऐसा दर्शन है जो आपसे भी बड़ा है — आप हमेशा दूसरे लोगों की सहायता करने/आशीष देने के लिए उदार रणनीतियाँ बनाते ही रहोगे।
आपके जीवन का क्षेत्र/चक्र
उदारता केवल एक कार्य मात्र नहीं है बल्कि देखने का, सोचने का और जीवन जीने का एक तरीका है। इससे अधिक और क्या होगा, कि परमेश्वर आपके लिए भी एहि चाहतें हैं। इसलिए दूसरों को आशीष देने/सहायता करने के ऐसे अवसरों को ढूंढते रहें, उदारता दिखने की नीतियाँ बनाते रहें और यीशु मसीह के नाम से अपने आस-पास के लोगों तक पहुचें।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

एक सुखी/धन्य जीवन आप कैसे जीओगे? मेरा मानना है हर व्यक्ति को इस प्रश्न के उत्तर की लालसा है और खोज भी जारी है। बाइबिल में रंग बिरंगे विभिन्न चरित्रों की पंक्ति में, विशेष रूप से एक चरित्र है जिसे मैं बहुत सराहता/पसंद करता हूँ। उसका नाम तो नहीं दिया गया है, पर वह बाइबिल के सिद्धांतों के साथ रहता/जीता है। बाइबिल का मेरा हीरो धर्मी मनुष्य है जिसका वर्णन भजन 112 में किया गया है।
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इस योजना को उपलब्ध कराने के लिए, हम ब्रायन ह्यूस्टन और हिलसौंग का धन्यवाद करना चाहते हैं। और अधिक जानकारी के लिए, कृप्या:http://BrianCHouston.com पर जाएँ।