जीवन निर्वाह की कलानमूना

जीवन निर्वाह की कला

दिन 1 का 5

आनंद का एक कारण

हम समस्या, संघर्ष और अप्रसन्नता के समय में रहते हैं। सम्पूर्ण विश्व में लोग परीक्षाओं और क्लेशों का सामना कर रहे हैं। शायद आप भी कर रहे हैं।

यह मायने नहीं रखता है कि आप कितने लम्बे समय से मसीही हो, शायद आप सोच रहे होंगे कि आपका विश्वास इतना अधिक क्यों खींचा जा रहा है, यहाँ तक कि वह टूटने की चरमसीमा पर है।

हम जानते हैं कि हम मसीह में जयवन्त होने के लिए बुलाए गए हैं। परन्तु कुछ लोगों के लिए, बड़ा सवाल जयवन्त होने के विषय में नहीं है। यह इस विषय में है कि केवल जीवन-यापन कैसे करें।

याकूब की पुस्तक पीड़ित कलीसिया की सहायता करने के लिए लिखी गई थी। यह यीशु के सौतेले भाई के द्वारा लिखी गई, यह पत्री उन विश्वासियों को संबोधित करती है जो अत्यधिक कठिनाई का सामना कर रहे और सताव से तितर-बितर और निराश थे। उसी प्रकार आज बहुत से लोग, जिन्हें यह जानने कि आवश्यकता है कि जीवन-यापन कैसे करना है।

मैं याकूब की शिक्षा को जीवन-निर्वाह की कला कहता हूँ।

वह हमें आलिंगन करने के लिए एक मनोभाव, माँगने के लिए एक संसाधन, और विश्वास करने के लिए एक धर्मविज्ञान दिखाता है।

जब हम वह मनोभाव चुनते हैं, उस सहायता को प्राप्त करते हैं और उचित दृष्टिकोण से देखना सीखते हैं, हम आत्म-विश्वास के साथ किसी भी मुश्किल परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।

इससे पहले कि हम याकूब की शिक्षाओं को देखना आरंभ करें, आइए हम स्वयं को कुछ सत्यों से अवगत करें।

परीक्षणअपरिहार्यहैं।

पतितदुनियामेंकठिनाईएकनिश्चितताहै (1 पतरस 4:12 और 2 तीमुथियुस 3:12 देखें)। किन्तु परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा हम उन पर जय पा सकते हैं (यूहन्ना 16:33)।

परीक्षणया तो हमेंबनातेहैंयाहमेंतोड़तेहैं।

बाइबल ऐसे पात्रों की कहानियों से भरी हैं जिन्होंने अपनी सबसे कठिन परिस्थितियों में विश्वास को चुना और ऐसे भी जिन्होंने समझौता किया या हार मान ली। पीड़ा या तो लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाती है या परमेश्वर की ओर ले जाती है।

वे जो “क्यों” में फसे रहते हैं, वे अपने दर्द के पीड़ित बने रहते हैं।

“क्यों” वाले प्रश्नों का पूछा जाना स्वाभविक है, परन्तु पीड़ित कभी उनसे आगे नहीं बढ़ते हैं। एक जयवन्त उत्तरजीवी होने की ओर पहला कदम परमेश्वर पर भरोसा करना है।

अगले कुछ दिनों में, आइए हम परमेश्वर के वायदों को थामें और फसे रहने से प्रतिषेध करें! परमेश्वर ने याकूब में ऐसे कदमों को प्रकट किया जो अभ्यासिक,सामर्थी और जीवन परिवर्तित वाले हैं। वे हमें वह सब कुछ देते हैं जो हमें एक अस्थिर संसार में अनंत काल तक स्थिर रहने के लिए चाहिए। आइए हम जीवन-निर्वाह की कला को देखें।

पवित्र शास्त्र

दिन 2

इस योजना के बारें में

जीवन निर्वाह की कला

इस संसार में जीवन परीक्षाओं से भरा है।इस समय आप इन में से किसी एक के मध्य हो सकते हो और पूछ सकते हो,“क्यों?”या फिर“मैं इससे किस प्रकार बच पाऊँगा?”याकूब की पुस्तक के पास उत्तर है!इस पाँच दिन की अध्ययन योजना में,चिप इनग्राम बताते हैं कि जीवन-निर्वाह की कला में निपुण होने के द्वारा आप कठिन क्षणों के मध्य में किस प्रकार परमेश्वर के आनंद का अनुभव कर सकते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए लिविंग ऑन द एज को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/product/art-of-survival-book/