गलत सोच से हटते हुए उपवास करनानमूना

गलत सोच से हटते हुए उपवास करना

दिन 30 का 40

दिन 30

“मेरे सार क्या गलत है?”

हमारा गलत सोच से हटने वाला उपवास काम कर रहा है! मेरे सार इस यात्ा पर बने रहें। ये बीज आप में उन सवटोत्तम िलों को उतपनन करेंगे, दजनहें आप सिा अपने जीवन के प्रतयेक षिेत् में चाहते रे और दजनकी आपको आवशयकता री।

आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, “्रेररे साथ क्या गलत है?”

हमारी “कमज़ोरी” के प्रदत दनरनतर जागरूकता वह सरान है जहाँ रैतान और िम्त हमें रखना चाहते हैं। यह हमें रम्त से पराजय और बनिन में रखता है बजाय इसके दक हमारे ईश्वरीय सवभाव के माधयम से हमें मुति रखे। 2 पतरस 1:4 कहता है, ‘’दजनके द्ारा उसने हमें बहुमूलय और बहुत ही बड़ी प्रदतज्ाएँ िी हैं: तादक इनके द्ारा तुम उस सड़ाहट से छू टकर, जो संसार में बुरी अदभलाषाओ से होती हैं, ईश्वरीय सवभाव के सहभागी हो जाओ।’’

आइए आज हम इसे बिलें

1. धाड््तकता करे उपहार को स्झें। 2 कु ररदनरयों 5:21 कहता है, “जो पाप से अज्ात रा, उसी को उसने ह्ाररे डलए पाप िहराया दक हम उसमें होकर परमेश्वर की िादम्तकता बन जाएँ।” यह मानव इदतहास का सबसे बड़ी अदला बदली है!यीरु ने हमारे पापों को दलया और हमें उसकी िादम्तकता प्रिान की गई- दजसका अर्त है दक हम परमेश्वर की दृदटि में सही हैं, गलत नहीं।

2. धाड््तकता करे प्रडत जाग जाएँ। 1 कु ररदनरयों 15:34 (बीएसआई) कहता है, “िम्त के दलए जाग उिो और पाप न करो।” जब परमेश्वर आपके बारे में सोचता है, तो वह दवजयी, जयवनत होने वाले, मजबूत, सामरय्तराली, बुदद्धमान और पदवत् पुत् या पुत्ी के बारे में सोचता है। वह आपको एक रादतिराली दवजेता के रूप में िेखता है- न दक दसर और पंूछ के रूप में। िादम्तकता का अर्त है: अपराि बोि, रम्त, हीनता या दननिा की भावना के दबना उसकी उपदसरदत में खड़ा होना।

3. पाप-िरेतना को असवीकार करें। यदि आप सिैव इस बात के प्रदत सचेत रहेंगे दक क्या गलत हैं, तो आप गलत करेंगरे। यदि आप सिैव परमेश्वर की िादम्तकता के प्रदत सचेत रहेंगरे—तो आप जो सही है वही करेंगरे। आप बाहर उसी तरह काय्त करेंगे जैसा दक आप सवयं को भीतर से िेखते हैं।

4. पडवत्र आत्ा सरे वह करनरे को कहें जो वह सबसरे अचछा करता है। 1 कु ररदनरयों 2:12 कहता है, “   हमने वह आतमा पाया हैं जो परमेश्वर की ओर से हैं दक हम उन बातों को जानें जो परमेश्वर ने हमें िी हैं।” पदवत् आतमा की एक मुखय सेवा उसे प्रकट करना है जो पहले से ही आपका पास है, (न डक उन सब बातों को प्रकट करना जो आपकरे जीवन ्ें गलत हैं)।

5. क्या गलत है करे सथान पर क्या सही है पर ध्यान दें। बाइबल में इस बारे में पढे दक आप मसीह में कौन हैं, मसीह में आपका क्या है और आप मसीह में क्या कर सकते हैं। यह चौंका िेने वाला होगा। इस नई सोच से अपने मन को भर िें।

इसे सोचें और इसे कहें

यीरु के लहू के द्ारा मैं परमेश्वर की िादम्तकता हूँ। मैं दबना अपराि, रम्त, हीन भावना या दननिा के परमेश्वर की उपदसरदत में खड़ा हूँ। मैं िादम्तकता के दलए जागृत हूँ और दवश्वास करता हूँ दक यह मुझे दवजयी जीवन की ओर ले जाएगा। मैं यीरु के सार एक संगी वाररस हूँ। जब परमेश्वर मेरी ओर िेखता है, तो वह मसीह का लहू िेखता है। वह मुझे एक दवजयी, सामरषी और पदवत् पुत् या पुत्ी के रूप में िेखता है। जो कु छ भी परमेश्वर मेरे बारे में सोचता हैं मैं सवयं को न तो उससे कम और न अदिक के रूप में नहीं सोचंूगा, यीरु के नाम से!


दिन 29दिन 31

इस योजना के बारें में

गलत सोच से हटते हुए उपवास करना

यह भोजन से "तेज" नहीं है, यह 40 नकारात्मक विचारों से उपवास है जो आपको संकट, चिंता, उदासी, दर्द, अवसाद और चोट पहुंचा रहे हैं - और वे विचार जो आपको मार रहे हैं - और आपको वास्तविक अनुभव करने से रोक रखा है यीशु। हजारों लोगों ने गलत सोच से उपवास का अनुभव किया है। यह आपके जीवन को बदल देगा।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए ग्रेगरी डिको मंत्रालयों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://gregorydickow.com