परमेश्वर की ओर अपने रास्ते को वापिस ढूँढनानमूना
"यहाँ अभी बहुत कुछ है"
क्या आपने कभी महसूस किया है कि जीवन में आप ऐसी चीज़ों के पीछे भाग रहे हो जो आपको कभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करेंगी? उस अहसास पर ध्यान दें। वो परमेश्वर की ओर से है।
हम सिर्फ मादक द्रव्यों के सेवन से सम्बंधित मामलों के बारे में बात नहीं कर रहे, जबकि नशीले द्रव्य पीना और अन्य चीज़ों की लत निश्चित रूप से किसी व्यर्थ वस्तुओं का पीछा करने के समान है। लेकिन हम बहुत सारे 'चर्च के अच्छे लोगों' को भी जानते हैं जो प्रत्येक सप्ताह चर्च में आकर बैठतें हैं —या वो जो उपदेश-मंच से उन लोगों को — जो अपने आप को परमेश्वर से दूर महसूस करतें हैं, उन्हें उपदेश देतें हैं। वो बाहर से "कामयाब" या "एक साथ" या "धर्मी" दिखतें हैं, लेकिन अंदर ही अंदर वो परमेश्वर से दूर होतें हैं। वे धार्मिक रीतियों और अपने कामों, स्कूलों,और परिवारों में व्यस्त रहतें हैं, लेकिन सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं है। वे इच्छा रखतें हैं कि परमेश्वर को वास्तविकता में महसूस कर सकें।
वो इच्छा, हम सब के लिए पहली आत्मिक जागृति है जो परमेश्वर के पास वापिस जाने का रास्ता है: "यहाँ अभी बहुत कुछ है"
जब आप गहरे और संतुष्ट करने वाले प्रेम की लालसा करते हो, जब आप अपने आपको कुछ ऐसा देना चाहते हो जो सही में सबसे अलग हो और जब आप ज़िन्दगी के सबसे कठिन प्रश्नों के उत्तर ढूंढतें हो, आप परमेश्वर की ओर देखते हो। आपके पास वास्तविकता में दो विकल्प हैं: या तो आप इन इच्छाओं/लालसाओं को अपने बल-बुते पर ही ढूंढते रहिये, या फिर आप उसे खोजिये जिसने प्रथम स्थान पर इन इच्छाओं को आपके मन में दिया।
सच्चा प्रेम पाने की हमारी लालसा सभी तरह से घूम-फिर के वापिस उसी स्थान पर जाती है जहाँ से मानव दौड़ सबसे पहले शुरू हुई थी। परमेश्वर चाहतें है कि हम उनके प्रेम का, सीधे-सीधे उनके द्वारा तथा जिनसे हमारा सम्बन्ध है उनसे अच्छे सम्बन्ध बनाने के द्वारा, दोनों तरह से अनुभव करें। जिसकी हम लालसा कर रहें हैं, परमेश्वर के पास ना केवल वो है परन्तु वो स्वयं परमेश्वर हैं। वो प्रेम हैं और वो प्रेम के साथ हमें आगे बढ़ाते हैं।
यह हमने सुना है कि हरेक मनुष्य जो वेश्यागृह का दरवाज़ा खटखटाता है, वास्तव में परमेश्वर को ढूँढ रहा होता है। यदि आप किसी स्वयं का नाश करने वाले व्यवहार या सम्बन्ध का दरवाज़ा खटखटा रहें हैं, तो शायद आप वास्तव में अपनी यात्रा के उस महत्वपूर्ण स्थान पर पहुँच गए हैं जो वापिस परमेश्वर की ओर जाता है। क्यों? क्योंकि इन घटिया विकल्पों से आप निश्चित रूप से जो निराशा महसूस करते हो, वो आपको हैरान कर देतीं है कि वास्तव में सच्चा प्रेम आपको कहाँ मिल पायेगा। क्या आप परमेश्वर के सम्मुख अपना दिल खोलोगे, और प्रेम करने और प्रेम पाने की अपनी उस लालसा को पूरी करने की अनुमति परमेश्वर को दे पाओगे?
इस सप्ताह आपकी कौन सी गतिविधियां ये बताएँगी कि आप क्या सोचते हो आपको किससे संतुष्टि मिलेगी है?
क्या आपने कभी महसूस किया है कि जीवन में आप ऐसी चीज़ों के पीछे भाग रहे हो जो आपको कभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करेंगी? उस अहसास पर ध्यान दें। वो परमेश्वर की ओर से है।
हम सिर्फ मादक द्रव्यों के सेवन से सम्बंधित मामलों के बारे में बात नहीं कर रहे, जबकि नशीले द्रव्य पीना और अन्य चीज़ों की लत निश्चित रूप से किसी व्यर्थ वस्तुओं का पीछा करने के समान है। लेकिन हम बहुत सारे 'चर्च के अच्छे लोगों' को भी जानते हैं जो प्रत्येक सप्ताह चर्च में आकर बैठतें हैं —या वो जो उपदेश-मंच से उन लोगों को — जो अपने आप को परमेश्वर से दूर महसूस करतें हैं, उन्हें उपदेश देतें हैं। वो बाहर से "कामयाब" या "एक साथ" या "धर्मी" दिखतें हैं, लेकिन अंदर ही अंदर वो परमेश्वर से दूर होतें हैं। वे धार्मिक रीतियों और अपने कामों, स्कूलों,और परिवारों में व्यस्त रहतें हैं, लेकिन सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं है। वे इच्छा रखतें हैं कि परमेश्वर को वास्तविकता में महसूस कर सकें।
वो इच्छा, हम सब के लिए पहली आत्मिक जागृति है जो परमेश्वर के पास वापिस जाने का रास्ता है: "यहाँ अभी बहुत कुछ है"
जब आप गहरे और संतुष्ट करने वाले प्रेम की लालसा करते हो, जब आप अपने आपको कुछ ऐसा देना चाहते हो जो सही में सबसे अलग हो और जब आप ज़िन्दगी के सबसे कठिन प्रश्नों के उत्तर ढूंढतें हो, आप परमेश्वर की ओर देखते हो। आपके पास वास्तविकता में दो विकल्प हैं: या तो आप इन इच्छाओं/लालसाओं को अपने बल-बुते पर ही ढूंढते रहिये, या फिर आप उसे खोजिये जिसने प्रथम स्थान पर इन इच्छाओं को आपके मन में दिया।
सच्चा प्रेम पाने की हमारी लालसा सभी तरह से घूम-फिर के वापिस उसी स्थान पर जाती है जहाँ से मानव दौड़ सबसे पहले शुरू हुई थी। परमेश्वर चाहतें है कि हम उनके प्रेम का, सीधे-सीधे उनके द्वारा तथा जिनसे हमारा सम्बन्ध है उनसे अच्छे सम्बन्ध बनाने के द्वारा, दोनों तरह से अनुभव करें। जिसकी हम लालसा कर रहें हैं, परमेश्वर के पास ना केवल वो है परन्तु वो स्वयं परमेश्वर हैं। वो प्रेम हैं और वो प्रेम के साथ हमें आगे बढ़ाते हैं।
यह हमने सुना है कि हरेक मनुष्य जो वेश्यागृह का दरवाज़ा खटखटाता है, वास्तव में परमेश्वर को ढूँढ रहा होता है। यदि आप किसी स्वयं का नाश करने वाले व्यवहार या सम्बन्ध का दरवाज़ा खटखटा रहें हैं, तो शायद आप वास्तव में अपनी यात्रा के उस महत्वपूर्ण स्थान पर पहुँच गए हैं जो वापिस परमेश्वर की ओर जाता है। क्यों? क्योंकि इन घटिया विकल्पों से आप निश्चित रूप से जो निराशा महसूस करते हो, वो आपको हैरान कर देतीं है कि वास्तव में सच्चा प्रेम आपको कहाँ मिल पायेगा। क्या आप परमेश्वर के सम्मुख अपना दिल खोलोगे, और प्रेम करने और प्रेम पाने की अपनी उस लालसा को पूरी करने की अनुमति परमेश्वर को दे पाओगे?
इस सप्ताह आपकी कौन सी गतिविधियां ये बताएँगी कि आप क्या सोचते हो आपको किससे संतुष्टि मिलेगी है?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
क्या आप अपने जीवन से कुछ और अधिक अपेक्षा कर रहें हैं? परमेश्वर के साथ आपका संबंध अभी जहाँ भी हो—और अधिक चाहने का अर्थ है वास्तव में परमेश्वर की ओर मुड़ने/जाने की लालसा/तड़प होना। जब हम परमेश्वर के पास वापिस जाने का रास्ता ढूँढ लेते हैं —तब हम सब मील का पत्थर —या जागृति का अनुभव करतें हैं। यह सब जाग़ृतियों के बीच का सफ़र, औऱ वो स्थान जहाँ आप अभी हों और जहां आप पहुँचना चाहते हो, की दूरी को कम करता है। हम परमेश्वर को ढूँढ़ना चाहते हैं, लेकिन उससे अधिक परमेश्वर चाहतें है कि हम उन्हें ढूंढें।
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इस योजना के लिये, हम Dave Feguson, Jon Ferguson, and Waterbrook Multnomah Publishing Group कि धन्यवाद देने चहते हैं। कुछ और जानकारी के लिये - http://waterbrookmultnomah.com/catalog.php?work=235828