उत्तरदायित्वनमूना

उत्तरदायित्व

दिन 2 का 7

परमेश्वर को उत्तरदायी – समय, हुनर और धन – जो मेरे पास है उसका मैं क्या करूं? 

यह एक जवान प्रबंधक की कहानी है जो एक युवक को पेड़ के नीचे बैठे दिन में सपने लेते देखता है| जवान प्रबंधक उस युवक से पूछता है, “तुम स्कूल की पढाई पूरी कर कॉलेज जा सकते हो और डिग्री प्राप्त कर सकते हो|” युवक झट जवाब देता है, “उसके बाद क्या?” 

प्रबंधक उत्तर देता है, “तुम नौकरी कर पाओगे, ऊंचाई तक पहुंच सकते हो और अमीर बनकर रिटायर हो सकते हो|” युवक फिर से वही सवाल करता है| प्रबंधक कहता है, “तुम समुद्र के किनारे घर लेकर छुट्टी बिताते हुए, पेड़ के नीचे बैठकर आराम से सपने देख सकते हो|” वो युवक कहता है, “ वही तो मैं अभी कर रहा हूँ|” जवान प्रबंधक हार मान लेता है!! 

हम में से कई, मसीही लोग भी वैसे ही होते हैं| हम में से हर कोई अलग-अलग तरह से यीशु में आये हैं| लेकिन जब हम यीशु को अपना मसीहा स्वीकार कर लेते हैं, हम बस आराम से बैठकर फल भोगना चाहते हैं| यीशु इस तरह के व्यवहार के बारे में मत्ती 25 में चेतावनी देते है| इस दृष्टान्त में मालिक अपने सेवकों को शाबाशी देते देख सकते हैं जो दिए हुए धन को कई गुणा अधिक कर देते है| इस दृष्टान्त में, हम देखते हैं कि सभी सेवकों को भिन्न मात्रा में पैसा दिया जाता है| जब वे उस दिए पैसे से लाभ कमा उसे कई गुणा अधिक कर देते हैं (पाये धन अनुसार) तब मालिक उन्हें उसी अनुसार ईनाम देता है| 

जो भी हमें परमेश्वर से मिला है हम कैसे उसका प्रयोग करते हैं उसके प्रति हम परमेश्वर को उत्तरदायी है – हमारा समय, धन और हुनर| हमारे प्रतिदिन के जीवन में, हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमारे पास परमेश्वर के लिए मुश्किल से ही कोई समय बच पाता है| जब हम अपने बिताये हुए समय का विश्लेषण करते हैं, तब हमारा जीवन अनंतकाल के महत्त्व से भरा दिखाई देता है| हम अपने हुनर के द्वारा परमेश्वर की महिमा करने या परमेश्वर राज्य के लिए कार्य करने को कितने तैयार है? क्या हम परमेश्वर के द्वारा दिए उपहार को व्यर्थ बर्बाद होने दे रहे हैं? 

आज के दिन के लिए विचार: 

समय और हुनर परमेश्वर के हाथों में है और परमेश्वर के उद्देश्य के अनुसार प्रयोग चतुर निवेश है| 

प्रार्थना: 

प्रिय प्रभु, अपने दिन गिनने और समय का प्रबंधन करने में मेरी मदद कीजिये| मुझे मेरे दिए तोहफे और हुनर के बारे में अवगत कराये| उन्हें प्रयोग करने में मेरी मदद कीजिये ताकि मैं एक औज़ार बन इस संसार में आपके राज्य को बढ़ाने के काम आ सकूं| 

पवित्र शास्त्र

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

उत्तरदायित्व

मनुष्य होने के नाते और खासतौर पर मसीही होने के नाते, कई स्त्तर पर अपने परिवार, दोस्त, मालिक और कार्यस्थल के लोगों के प्रति परमेश्वर को जवाब देने की ज़िम्मेदारी हम पर है| मनुष्य स्वभाव से ही किसी के प्रति उत्तरदायी होना पसंद नहीं करता| परमेश्वर को हिसाब-किताब देना ही मूल रूप से सभी स्त्तर पर उत्तरदायी होने में हमारी मदद करता है| 

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हम इस योजना को उपलब्ध कराने के लिए विक्टर जयकरन का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें:
http://victorjayakaran.blogspot.in/