मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 88 का 100

धन्यवादी होने के गुर

हम सब जानते हैं कि हमें धन्यवादी होने की आवश्यकता है। परमेश्वर ऐसा करने के लिये कहता है और हम अपने अनुभव से भी जानते हैं कि एक बार जब हम गंभीरता पूर्वक परमेश्वर की स्तुति करना प्रारंभ करते हैं तो बोझ और परेशानियां हमारे कन्धों पर कम वजन की लगती हैं।

यह धन्यवादी होने के सामर्थ का भाग है। जब हम हमारे जीवन के भली बातों के लिये परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिये रूक जाते हैं, तो हमारे पास जो हैं उसके लिये भी परमेश्वर की प्रशंसा करते हैं। मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर हम से चाहता है कि हम धन्यवादी लोग हों—ऐसे लोग जो, न केवल परमेश्वर बल्कि अन्य लोगों के प्रति भी धन्यवाद से भरे हुए हों। यह मेरा पहला टिप्‌ है; जब कोई व्यक्ति आपके लिये कुछ अच्छा करता है, तो उस व्यक्ति को जानने दीजिए कि आप उस की कदर करते हैं।

एक दिन मैं एक अॉफिस भवन में जा रही थी, और एक व्यक्ति उस के पास खड़ा था उसने मेरे लिये द्वार खोला। मैंने उसे धन्यवाद दिया, और मुस्कुराई।

‘‘आप पाँचवे व्यक्ति हैं, जिन के लिये मैं द्वार खोला'', उसने कहा ‘‘और आप पहले व्यक्ति हैं जिस ने मेरे लिये मस्कुराया, और दूसरे व्यक्ति हैं, जिस ने मुझे धन्यवाद दिया।'' मैने उसे दूसरे बार धन्यवाद कहा। उस के बाद मैंने सोचा कि हम कितना अधिक दूसरों का फायदा उठाते हैं। चाहे वह अजनबियों के लिये द्वार खोलने जैसी एक साधारण सी बात हो।

यह स्वीकार करने के बजाय कि सब कुछ ऐसा ही है। हम एक धन्यवादी हृदय का विकास कर सकते हैं। क्या आज आप का बस समय पर आया? यदि ऐसा है तो क्या आप चालक को धन्यवाद दिए? क्या आज आप रेसट्रॉन्ट में खाना खाए? खाना खाते समय आप ने वेटर को इसलिये धन्यवाद दिया कि बिना कुछ पूछे आप के चाय का गिलास को दुबारा भर दिया? मैं और लम्बी सी बना सकती हूँ, परन्तु मैं जो बात कहना चाहती हूँ, वह यह हैं अपने जीवन में लोगो के प्रति धन्यवाद का एक स्वभाव विकसित करें।

यहाँ एक और टिप्‌ है; अपने पारीवारिक सदस्यों की प्रशंसा करें, विशेष करके उस की जिस से आप की विवाह हुआ है। मैं देव की कदर करती हूँ, और यद्यपि हम लम्बे समय से विवाहित हैं। मैं अभी भी उन से कहती हूँ, कि मैं उन की कदर करती हूँ। वह मेरे साथ धीरजवन्त हैं, और मेरा विचार भी करते हैं। केवल वे धन्यवाद के कुछ शब्द, एक धन्यवादी हृदय, और मन विकसित करने के लिये महान मार्ग हैं।

प्रयत्न किजीये; जब आप कदर को अभिव्यक्त करते हैं, दूसरे व्यक्ति के लिये यह सुनना बहुत अच्छा होता है, परन्तु यह भी याद रकें कि यह आप में भी आनन्द भरता है। आप अपने जीवन को और दूसरे के जीवन को भी इस छोटे से मार्ग से ही सही, धनी करते हैं।

एक और बात जो आप कर सकते हैं, वह यह हैं, कि आप प्रति दिन उन बातों पर मनन करें, जिन के लिये आप धन्यवादी हो सकते हैं। मेरे एक मित्र हैं, तब तक बिस्तर से नहीं उठते हैं, जब तक वे कम से कम दस बातों के लिये परमेश्वर को धन्यवाद न दें। वह उन्हें अपने उँगुलियों में गिनते हैं, और वे वास्तव में छोटी बातें होती हैं। जैसे एक भरोसेमन्द कार चलाने के लिये, वह एक उत्साहित सन्डे स्कूल क्लास के सदस्य होना, या केवल अपने स्वास्थ के लिये परमेश्वर को धन्यवाद देना।

वह कहता है कि रात में जब वह सोने जाता है तो कम से कम तीन बातों पर ध्यान केन्द्रित करता है, जो उस दिन अच्छा गुजरा। वह उन तीनों सकारात्मक बातों पर विचार करता है। उसके लिये यह इतना ही साधारण है कि उसका सुपरवाइजर मानो यह कहता हैं कि उसने किसी प्रोजेक्ट पर कितना अच्छा काम किया है, या अपने किसी मित्र से ईमेल प्राप्त करना।

यहाँ और एक टिप्‌ है; दूसरे लोगो की ईमानदारी के लिये धन्यवादी हों। कोई भी नकारात्मक बातें नहीं सुनना चाहता है, परन्तु कभी कभी आप को उसे सुनने की आवश्यकता है। निश्चय ही वे क्षणिक रूप से आपकी भावनाओं को चोट पहुँचाएंगे। परन्तु आप अभी भी अनुभव से सीख सकते हैं, और बढ़ सकते हैं।

मेरा एक मित्र है जो कहता है, केवल वे ही लोग आपके विषय में सच कह सकते हैं। कोई जो आप से क्रोधित हो, और कोई जो आप को बहुत ज्यादा प्रेम करता हो। हमारे जीवन में परमेश्वर इन दोनों प्रकार के लोगो को इस्तेमाल करता है।

यदि वे लोगो के प्रति धन्यवादी हों, जो आप को आप के विषय में सच बताते हैं। चाहे वो ऐसी बातें हों जो आप सुनना नहीं चाहते हैं। जब आप सच्चाई सुनते हैं, विशेष करकें जिस बात को आप नहीं जानते हैं, तो आप परिवर्तित हो सकते हैं। आप के बदलने के बाद क्या यह एक और बात है जिस के प्रति आप धन्यवादी हो सकते हैं।

परमेश्वर उन सभी बातों के लिये धन्यवाद, जिसे आप ने मेरे जीवन में भेजा। उन सारी भयानक बातों के लिये आप का धन्यवाद, जिन्हें आप ने मेरे जीवन में नहीं भेजा। मेरे जीवन में जो लोग हैं उन के लिये मैं आप को धन्यवाद देती हूँ। जो मेरी सहायता करती है कि तेरे और निकटता में आऊ, और अधिक धन्यवादी व्यक्ति बनू। अपने उद्धारकर्त्‌ता यीशु के नाम में प्रार्थना करती हूँ। आमीन।।

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/