मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 90 का 100

मनन की आशीषें

इन पदों में लेखक ने, मेरे वचनों पर कान दो जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो मनन करने को उत्साहित करने का एक और तरीका है। मैं इस सच्चाई को चाहती हूँ, कि परमेश्वर न केवल हम से लगातार गंभीरता पूर्वक उसके वचन को खोजने के लिये — परन्तु वह लगातार हम से प्रतिफल या परिणाम की प्रतिज्ञा भी करता है। यह मानो ऐसा है कि परमेश्वर कहता हो, ‘‘ठीक है जॉयस, यदि तुम मनन करती हो, तो यह बातें हैं जो मैं तुम्हारे लिये करने जा रहा हूँ।'' 

इस भाग में स्वास्थ और जीवन की प्रतिज्ञा है। क्या यह अद्‌भूत नहीं है? यह एक प्रतिज्ञा भी है कि जब आप परमेश्वर के वचन को गहराई से अध्ययन करेंगे, तो यह आप के भौतिक शरीर को भी प्रभावित करेगा। 

एक लम्बे समय से हम जानते हैं, कि जब हम अपने मन को स्वस्थ सकारात्मक विचारों से भरते हैं तो यह हमारे शरीर को प्रभावित करता है, और हमारे स्वास्थ में उन्नति लाता है। इस सच्चाई को दोहराने का यह एक और तरीका है। या इसके विपरित दृष्टिकोण को लें; मान लीजिये हम अपने मन को नकारात्मक विचारों से भरते हैं। और स्वयं को स्मरण दिलाते हैं, कि हम एक दिन पहिले कितने बिमार और थके हुए थे। बहुत जल्द ही हम आत्म—करूणा या आत्म पराजय के विचारों से भर जाते हैं कि हम बिमार भी पड़ सकते हैं। 

पहिले के पृष्ठों में मैंने समृद्धि का विचार के बारे में बात की थी। (भजनसंहिता 1 और यहोशू 1ः8 देखें)। मैं विश्वास करती हूँ कि समृद्धि के द्वारा परमेश्वर का तात्पर्य यह है कि हम अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धनी और समृद्ध हो जाएँ। यह और अधिक भौतिक धन की प्रतिज्ञा नही हैं, परन्तु हमारे पास जो भी अद्‌भुत आशीषें हैं उसका आनन्द उठाने की निश्चयता है। 

हाल ही जब मैंने बाइबल के बहुत सारे भागों पर मनन किया, मैं ने पाया कि परमेश्वर मुझे दिखा रहा है कि वचन में शक्तिशाली, जीवन देनेवाले भेदों के छुपे हुए खजाने है, जो परमेश्वर हम पर प्रगट करना चाहता है। वे उनके लिये हैं जो परमेश्वर के वचन को खोजते, अध्ययन करते और मनन करते हैं।

अक्सर जो चीज हम भूल जाते हैं वह है, कि परमेश्वर हमारी संगति को, हमारे साथ को और उसके साथ हमारे समय को चाहता है। यदि हम अपने स्वर्गीय पिता के साथ एक गहरा संबन्ध को चाहते हैं, तो हमें परमेश्वर के साथ अच्छा समय व्यतीत करना है। हाल ही मे मैंने किसी को कहते हुए सुना, अधिक मात्रा के समय से अच्छा समय आता है। दूसरे शब्दों में जब हम लगातार परमेश्वर के साथ समय व्यतीत करते हैं, प्रति दिन के हिसाब से, तब हमें वे विशेष जीवन परिवर्तित करनेवाले क्षण प्राप्त होते हैं। हम इसे घटित होने की कार्य योजना नहीं बना सकते हैं, लेकिन हम लगातार इस प्रकार से समय व्यतीत करते हैं, परमेश्वर उस समय से कुछ समय को विशेष आशीषों का अच्छा समय बनाएगा।

डि. एल. मोड़ी ने एक बार कहा, ‘‘कि बाइबल हमें पाप से दूर रखेगी या पाप हमें बाइबल से दूर रखेगी।'' यहाँ पर यही सिद्धान्त है। यदि हम परमेश्वर के वचन पर ध्यान केन्द्रित करते और अपने विचारों को भरने को अनुमति उसे देते, तो हम पाप की सारी अभिलाषाओं और परमेश्वर के अप्रसन्नता के सारे मागोर्ं को दूर हटाएँगे। हम उसमें ज्यादा गहरे जड़ पकड़ेंगे। पुनः उस पर नकारात्मक रूप से विचार करें। जब हमारा मन सब समय हमारी समस्याओं पर ही केन्द्रित रहता है, तो हम उसके साथ ही भस्म हो जाते हैं। यदि हम इस बात के साथ मनन करते हैं कि दूसरों के साथ क्या गलत है, तो हमें और अधिक गलतियाँ और बुराईयाँ दिखतीं हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं, तो हमारी आत्मा में प्रकाश आता है।

मैं एक बार पुनः फिलिप्पियों 4:8 के उस सामर्थी शक्तिशाली कथन को उद्धृत करना चाहती हूँ। चाहे कोई भी अनुवाद क्यों न हो, इस का सन्देश बहुत ही सामर्थी और हमारे मन के विजय के लिये हमें जो करना चाहिये वह हमें बताती है।

यहाँ पर यूजिन पिटरसन्‌ के कथन को उद्धृत करना चाहूँगी। ‘‘सारी बातों के सारांश के रूप में, मित्रों अपने मन को सच्चे, आदर, आदरणीय अधिकारिक, अनुग्रहकारी विचारों को भरने और उन पर मनन करने के द्वारा — बुरा नहीं पर उत्तम, खरा नहीं पर सुन्दर, शाप के नहीं परन्तु स्तुति के वचन''।

स्वर्गीय प्रिय परमेश्वर आपके वचन को खोजने की और अपने हृदय और मन को आपके आत्मिक मन्ना से भरने की आशीषें मुझे सिखा। मैं परिपक्वता में बढ़ सकूँ और अधिक आपके पुत्र प्रभु यीशु के अनुसार बन सकूँ। उस के नाम में मैं प्रार्थना करती हूँ। आमीन।।

पवित्र शास्त्र

दिन 89दिन 91

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/