मन की युद्धभूमिनमूना

अविश्वास को पराजित करना
कभी कभी हम आत्मिक युद्ध के बारे में गलत प्रभाव डालते हैं। हम जानते है कि शैतान हमारा शत्रु है और जीतने के लिए हमें रोज युद्ध करने की आवश्यकता है। परन्तु यह काफी नहीं है। यदि मसीही जीवन केवल युद्ध ही होता, तो यह बहुत ही हतोत्साहित करनेवाली बात होती कि हर दिन हम लड़ते ही रहते।
मैं महसूस करती कि मैं कभी भी आराम नहीं कर पाती। क्योंकि जैसे ही मैं ऐसा करती तो शैतान फिर से मुझमें आ जाता है। मैं यह चित्र प्रस्तुत करना नहीं चाहती हूँ। मसीही जीवन आनन्द और शान्ति का जीवन है। परमेश्वर हमें एक पूर्णता का भाव देता है और हम विश्राम पाते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि हम परमेश्वर को अपने जीने के तरीके द्वारा आदर देते हैं।
पतरस ने मसीहियों को उनके शत्रु के बारे में यह चेतावनी देते हुए लिखा कि वे सतर्क रहें। इस पर अक्सर हम अधिक जोर देते हैं। उसकी वचनों को लिखने से पहले उसने कहा, अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। पद 7। जब हम इस पद को पढ़ते हैं, तो यह हमसे कहता है कि हमे स्वयं को परमेश्वर के प्रेम को स्मरण दिलाना चाहिए — कि परमेश्वर हमारी चिन्ता करता है। क्योंकि परमेश्वर हमारी चिन्ता करता है, हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह हमें संभालेगा।
हमें इसे अपने आधार के एक निव के रूप में चाहिए। ऐसा नहीं है कि हममें विश्वास नहीं है, परन्तु शैतान इसे अपने झूठ के द्वारा नाश करना चाहता है। अगर परमेश्वर तुम्हारी सच में चिन्ता करता, तो क्या तुम्हें इस परीक्षा में जाने देता? यदि परमेश्वर सच में तुम से प्यार करता, क्या वह ऐसा व्यवहार तुम्हारे साथ करता?
यह प्रश्न जब शैतान आपकी तरफ फेंकता है, वे झूठ से भरे हुए रहते हैं। यदि वह आपको ऐसे सोचने देता है कि परमेश्वर के द्वारा आप प्यार नहीं किए जाते। या परमेश्वर आपके विषय में अपने हृदय में रूचि नहीं रखता है। तो वह छोटा सा अविश्वास का बीज आपके हृदय में बो सकता है। परमेश्वर चाहता है आप अब्राहम के समान मजबूत और सच्चे बने रहें। और अन्य विश्वासियों के समान भी जो बाइबल में पाए जाते हैं।
एक बात जो हजारों लोगों के बीच में सेवा करके मैंने सिखा वह यह है कि, भयानक और नकारात्मक समस्याएँ जब हमारे जीवन पर आती हैं तो वे हमें परमेश्वर से दूर नहीं करती हैं। नाहि इन समस्याओं के प्रति हमारी प्रतिक्रिया होती है जो अन्तर लाता है। फिर से अब्राहम के बारे में सोचें। जब परमेश्वर ने उसे एक सन्तान की प्रतिज्ञा की तो वह एक बुढ़ा व्यक्ति था। वह कह सकता था, ‘‘यह कैसे संभव हो सकता है? मैं बहुत बुढ़ा हूँ कि मैं एक सन्तान का पिता बन सकूँ।'' बदले में उसने कहा, ‘‘यह अद्भूत है! मैं विश्वास करता हूँ।''
जब आपके मार्ग पर संघर्ष, कठिनाईयाँ और परेशानियाँ आती हैं और वह अक्सर आती हैं। आपके पास एक विकल्प आप पतरस के शब्दों को चुन सकते हैं और अपने चिन्ताओं और परेशानियों को परमेश्वर के हाथ में दे सकते हैं। परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी अन्धेरी या दुष्टतापूर्ण हों, आपको स्वयं को स्मरण दिलाना होगा कि परमेश्वर उन परिस्थितियों में न केवल आपके साथ उपस्थित था, बल्कि वह आपसे प्रेम करता और आपके लिए प्रबन्ध भी करेगा।
आपका कर्तव्य इतना है कि आप उन कठिन परिस्थितियों में सतर्क रहें। सब कुछ अच्छा चलता है तो आप परमेश्वर के प्रेम और आशीषों में आनन्दित रह सकते हैं, और यही परमेश्वर आपसे चाहता भी है। लेकिन अन्धेरे समयों में आपको स्वयं को स्मरण दिलाने की आवश्यकता है कि शैतान आपको गिराना और पराजित करना चाहता है।
एक और बात आप आश्चर्य कर सकते हैं कि क्यों आपके जीवन में इतनी परीक्षाएँ और समस्याएँ आती हैं? यह संभव है कि शैतान ने आपके जीवन के लिए परमेश्वर के महान योजना के कारण अकेला कर दिया हो। जितना अधिक आप विश्वासयोग्य होंगे उतना अधिक आपको उसका विरोध करना और अविश्वास के झूठ का प्रतिकार करना चाहिये।
‘‘हे स्वर्गीय पिता, शैतान मुझे अविश्वास से भरना और आपके सामर्थी प्रेम का इनकार करने देना चाहता है। परन्तु अब्राहम के समान मैं आपके प्रतिज्ञा प्रति दृढ़ हूं। जो सांत्वना मैं आप में पाता हूँ, उसके लिए धन्यवाद। इन्हें इस निश्चयता को पाता हूँ कि आप हमेशा मेरे साथ हैं। आमीन।।''
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/