परमेश्वर ने प्रगट किया- नये नियम की एक यात्रानमूना
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यूहन्ना: भरपूरी का जीवन
यूहन्ना ने“विश्वास”पर (98बार) या“जीवन”पाने के लिए भरोसे करने पर (36बार) बल दिया। वह बहुत जीवनों को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हुए विश्वास के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताता रहा।
मसीह के द्वारा कहे गये सात“मैं हूं”इन विषयों को अपने भीतर समावेशित कर लेते हैं और साथ ही साथ इस संसार“पूर्ण”या“बहुतायत”का जीवन तथा आने वाल।े समय में अनन्त जीवन के रहस्यों के बारे में बताते हैं।
मैं जीवन की रोटी हूँ (यूहन्ना6)
यीशु द्वारा5रोटियों और2मछलियों की सहायता से5000लोगों को भोजन करवाने के बाद,वह“जीवन की रोटी”के बारे में बताता है। उससे कुछ ही समय पहले उसने सामरी स्त्री से कहा था कि वह उसे“जीवन का जल”दे सकता है,दोनों ही घटनाओं में हम एक ऐसे विश्वास को देखते हैं जो कई गुना बढ़कर सदैव सन्तुष्टि देने वाला जीवन प्रदान करता है।“जो लोग उसमें से खाते/पीते हैं वे कभी भूखे/प्यासे नहीं होगें।
मैं जगत की ज्योति हूँ (यूहन्ना8)
मसीह अंधे को आंखों की रौशनी देते हैं लेकिन वह उसे उससे बड़ी बीमारी से अर्थात आत्मिक अंधेपन से सावधान रहने के लिए कहते हैं। मसीह अंधे मनुष्य और व्यभिचारिणी स्त्री को एक ही अध्याय में“फिर कभी पाप न करन” के लिए कहते हैं।
इतिहास बताता है कि जिस व्यभिचारिणी स्त्री को यीशु ने क्षमा किया था उसने यीशु की आज्ञाओं का पालन किया,और क्षमा करने वाले उद्धारकर्ता के नाम से कलीसिया को प्रारम्भ किया,दमिश्क का अंतर्राष्ट्रीय करण किया और थोमा को भारत के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने हेतू सक्षम बनाया। [1]
“देखने वाले”विश्वास का परिणाम नये आत्मिक दृष्टिकोण की वजह से पाप से मुक्ति होना चाहिए - अर्थात जीवन की ज्योति।
अच्छा चरवाहा मैं हूँ (यूहन्ना10)
अध्याय5में,यीशु ने एक लकुवे के रोगी को भेड़ द्वार पर चंगा किया था। यह वह द्वार है जहां पर भेड़ों को बलि करने के लिए लाया जाता है और यहीं से बीमार लोगों को समाज से बाहर निकाला जाता था,और उसमें से अधिकतर लोग कभी वापस नहीं आते। [3]
भेड़ों के अन्दर चरवाहे की आवाज़ सुनकर उसका पालन करने वाला विश्वास होना चाहिए ताकि उन्हें“बहुतायत का जीवन”या“भरपूरी का जीवन”प्राप्त हो सके।”
पुनरूत्थान और जीवन मैं हूँ (अध्याय11)
लाज़र की मृत्यु पर यीशु ने,मार्था और वहां पर खड़े लोगों से विश्वास करने अर्थात मृत्यु और कष्टों में विश्वास करने के लिए कहा जिससे वे“परमेश्वर की महिमा”देख सकें।
अध्याय3में वह नीकूदिमुस से आत्मिक जीवन में “नया जन्म”लेने की बात करता है और भविष्य में उसे अनन्त जीवन देने की प्रतिज्ञा करता है।
मार्ग,सत्य और जीवन मैं ही हूँ (यूहन्ना14)
मसीह कहते हैं कि जो लोग उसके ईश्वर होने पर पूर्ण विश्वास करते हैं वे उसके नाम से उससे भी बढ़कर कार्य करेगें। उनके पास सशक्त जीवन है।
सच्ची दाखलता मैं हूं (यूहन्ना15)
“मसीह से अलग होकर हम कुछ भी नहीं कर सकते”- निर्भर रहने वाला विश्वास बेल से जुड़ा रहता है और फल लाता है।
या हमारा विश्वास हमारे जीवन को रूपान्तरित कर रहा है?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जिस प्रकार से अंधकार में ज्योति का प्रकाश, ठीक उसी प्रकार से नया नियम इस पापमय संसार में आशा प्रदान करता है।अपने बलिदान रूपी मृत्यु के माध्यम से, हर एक विश्वास और चुनाव करने वाले जन को - मसीह पापों से छुटकारा और अपना राज्य प्रदान करते हैं।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Bella Pillai को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.bibletransforms.com/