एक चौथा दिन मनुष्य: मृत्यु में आशा नमूना

एक चौथा दिन मनुष्य: मृत्यु में आशा

दिन 3 का 7

हम यूहन्ना 11 की कहानी को जारी रखते हैं।

वचन हमें बताता है कि यीशु यह सुनने के बाद कि लाज़रबीमार है, वह उसे देखने कि लिए यात्रा करने से पहले दो दिन और उस जगह में ठहरते हैं। यह दूसरी पहेली है: परमेश्वर की ओर से देरी केवल हमारे मानवीय दृष्टिकोण से है। वह हमें दिखाना चाह रहे हैं कि स्थिति उनके नियंत्रण में है।वह सर्वश्रेष्ठ हैं। वह स्वर्ग और पृथ्वी की सभी वास्तविकताओं में अधिकार रखते हैं, जिसमें मृत्यु भी शामिल है। पूरे संसार को अपनी मुठ्ठी में रखते हैं, और कोई भी देरी पूर्ण रूप से हमारी सीमित दृष्टिकोण में है।

सी.एस. लूइस ने "एक दुःखद निरीक्षण” (A Grief Observed)में अपनी पत्नी कीमृत्यु के बारे में लिखते हैं। वह अपने अनुभवों से बताते हैं कि जब आपके जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा होता है-जब आप परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं तब परमेश्वर आपका खुली बाहों से स्वागत करते हैं। लेकिन कई बार जब आपको सचमुच उनकी ज़रूरत होती है, जब आप हताश होते हैं, जब आप खटखटाते तो हो तो आप स्वर्ग का द्वार अंदर से ही बंद पाते हैं।यूहन्ना 11 में,मार्था और मरियम को भी ऐसा ही लग रहा था। हमारी कोविड से पीड़ित और समाप्त हो रही दुनिया में कई लोग ऐसा ही महसूस कर रहे हैं। शायद आप भी कर रहे होंगे।

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इस योजना के बारें में

एक चौथा दिन मनुष्य: मृत्यु में आशा

RREACH के अध्यक्ष और डलास थियोलॉजिकल सेमिनरी के प्रोफेसर डॉ. रमेश रिचर्ड के साथ सात दिन बिताएं, वह हमें पासबान के नज़रिए से मृत्यु कि वास्तविकता के बारे में बताएंगे। हम में से प्रत्येक जन निश्चित तौर पर मृत्यु का सामना करेगा, लेकिन एक मसीही कि मसीह में आशा है- जो कोई उसमें जीता और विश्वास करता है, वह कभी न मरेगा। क्या आप विश्वास करते हैं?

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए रमेश रिचर्ड इवेंजेलिज़्म और चर्च हेल्थ को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://rreach.org/