एक चौथा दिन मनुष्य: मृत्यु में आशा नमूना
यूहन्ना 11 की शुरूआत में हम पहली पहेली को पाते हैं : परमेश्वर नियंत्रण में हैं और मृत्यु में भी महिमा प्राप्त करेंगे।
पूरा अध्याय लाज़रकीमृत्यु कीकहानी का वर्णन करता है। कहानी के शुरुआत में लाज़रकी बहनें मार्था और मरियम यीशु को सन्देश भेजती हैं:
हे प्रभु, देख, जिससे तू प्रीति रखता है, वह बीमार है। (यूहन्ना 11:3)
मार्था और मरियम(और वचन के पाठकों)के लिए, यहां पर प्रारंभिक पहेली है:
परंतु यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं; परंतु परमेश्वर की महिमा के लिए है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।” (यूहन्ना 11:4)
यीशु के उत्तर में, वह हमें बताते हैं कि परमेश्वर की महिमा इसमें शामिल है। कई बार हमें बहुत दुःख पहुँचने और भ्रम पैदा करने वाली चीज़ें भी परमेश्वर के संप्रभुत्व की योजना का हिस्सा हैं। स्थिति परमेश्वर के पूर्ण नियंत्रण में है, और वह घातक बीमारी से भी महिमा प्राप्त करने जा रहे हैं।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
RREACH के अध्यक्ष और डलास थियोलॉजिकल सेमिनरी के प्रोफेसर डॉ. रमेश रिचर्ड के साथ सात दिन बिताएं, वह हमें पासबान के नज़रिए से मृत्यु कि वास्तविकता के बारे में बताएंगे। हम में से प्रत्येक जन निश्चित तौर पर मृत्यु का सामना करेगा, लेकिन एक मसीही कि मसीह में आशा है- जो कोई उसमें जीता और विश्वास करता है, वह कभी न मरेगा। क्या आप विश्वास करते हैं?
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए रमेश रिचर्ड इवेंजेलिज़्म और चर्च हेल्थ को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://rreach.org/