परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)नमूना

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)

दिन 6 का 8

राजकीय प्रेम कहानी - श्रेष्ठगीत

पहली नज़र में तो यह पुस्तक दो प्रेमियों के बीच कड़वाहट की कहानी लगती है। लेकिन अगर हम उसकी गहराई में उतरते हैं तो, हमें संसार के सर्वाधिक बुद्धिमान राजा की ओर से लिखे गये अन्तिम लेख में से बुद्धि का खजाना मिल जाएगा। इस पुस्तक के तीन मुख्य किरदार हैं- जिसमें दो आदमी हैं और एक औरत।

इस पुस्तक का आधार 967 ई.पू के आस पास में सुलैमान के जीवन में घटी घटनाएं प्रतीत होती हैं,जिस समय पर उसने मन्दिर का निर्माण करना प्रारम्भ किया था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसे 931ई.पू में लिखा गया था-जिस वर्ष में राजा की मृत्यु हुई थी। इस कहानी की प्रमुख पात्र शूनेमिन स्त्री है जो दो प्रेमियों में फँसी हुई है-एक चरवाहा (श्रेष्ठगीत 1:7)और राजा (श्रेष्ठगीत 1:4)। पुस्तक में दर्शाये गये स्थान सुलैमान के राजमहल और शूनेम के बीच के स्थान हैं।

राजा इस कहानी को दशकों के बाद में क्यों लिखता है?क्या उसे अपनी गम्भीर गलतियों को पछतावा होता है? क्या वह सच्चे प्रेम से वंचित होने के परिणामों की गर्मी को महसूस कर रहा था? क्या वह एक साधारण महिला की तारीफ कर रहा था जो अधिक बुद्धि की बातें करती थी और जिसे सच्चा प्रेम मिल गया था? प्रतीत तो ऐसा ही होता है? और यह प्रक्रिया एक शक्तिशाली संदेश प्रगट करती है।

वह शूनेमिन स्त्री सम्भवतः अबीशग थी,जिसे देश की सबसे सुन्दर स्त्री के रूप में चुना गया और उसे राजा दाऊद की बुढ़ापे में सहायता करने के लिए ठहराया गया। जब अदोनिय्याह ने उस स्त्री को मांगा,तो राजा सुलैमान ने गुस्से में आकर यह कहकर उसे मरवा दिया कि यह तो इस तरह राज्य भी मांग लेगा। हम उसकी चर्चा उसके बाद नहीं सुनते लेकिन बाद में एक शूनेमिन स्त्री फिर सामने आती है जिसकी ओर राजा सुलैमान आकर्षित हो जाता है, वह राजा की बारी में काम किया करती थी जहां पर राजा की नज़र उस पर पड़ गयी । वह एक चरवाहे से प्रेम करती थी लेकिन राजा उसे अपने महल में बुलाकर उसे बहकाता है,जिससे वह राजा की 141वी पत्नी बन सके। जब उसे बहकाया जाता है, तो वह राजमहल की विलासता और उस दीन चरवाहे की विश्वासयोग्यता और ईमानदारी की तुलना करने लगती है। उससे पहले राजा की जीवन में आयी कई महिलाओं के बिल्कुल विपरीत,वह धनी राजा के बजाय नम्र चरवाहे को चुनती है। उसके इस चुनाव की कुछ वजहें निम्नलिखित थीः

§वह आराम और धन सम्पत्ति से अधिक अपने परमेश्वर/ उसके (स्त्री) के प्रति समर्पण

तू अपनी भेड़ बकरियाँ कहाँ चराता है,दोपहर को तू उन्हें कहां बैठाता है? मैं क्यों तेरे संगियों की भेड़ -बकरियों के पास घूँघट काढ़े हुए भटकती फिरूँ? (श्रेष्ठगीत 1:7)

“यदि कोई अपने घर की सारी सम्पत्ति प्रेम के बदले दे दे तौभी वह अत्यन्त तुच्छ ठहरेगी।” श्रेष्ठगीत 8:7

- विलासता से बढ़कर संयम

हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम को शपथ धराती हूँ,कि तुम मेरे प्रेमी को न जगाना जब तक वह स्वयं न उठना चाहे। श्रेष्ठगीत 8:4

- लालसा से बढ़कर सन्तुष्टि

“मैं अपने प्रेमी की दृष्टि में शान्ति लाने वाले के समान थी”श्रेष्ठगीत 8:10 पद

वहां साठ रानियां और अस्सी रखेलियां और असंख्य कुमारियां भी हैं। श्रेष्ठगीत 6:8

·मुकुट और रथों से बढ़कर चरित्र (श्रेष्ठगीत 8:11, 3:11)

“देखो वह वही मुकुट पहिने हुए है,जिसे उसकी माता ने उसके सिर पर रखा था” 3:11

बाल्हामोन में सुलैमान की एक दाख की बारी थी।

उसने वह दाख की बारी रखवालों को सौंप दी।

हर एक रखवाले को उसके फलों के लिये चाँदी के हजार हजार टुकड़े देने थे।

मेरी निज दाख की बारी मरे ही लिये है।

हे सुलैमान, हजार तुझी को मिलें। श्रेष्ठगीत 8:11-12

अन्त में वह शुमेन वापस चली जाती है और राजा उसके सदगुण को देखकर उसे जाने देता है।

1000 महिलाओं के साथ कोशिश करने के बाद यह:

  • एक महिला थी
  • सच्चा प्रेम था
  • पवित्रता और शुद्धता की सौम्यता थी
  • परमेश्वर की आराधना करने वाला एक साथी था
  • परमेश्वर के राज्य की नीवं को एक साथ मिलकर बनाने की शक्ति और ईमानदारी थी

जिसने उसके जीवन के अन्तिम दिनों में उसके जीवन को गहराई से प्रभावित किया।

उसने अपने पुत्रों को बहुत जोर देते हुए आगाह कि वे उसके जैसा व्यर्थ जीवन व्यतीत न करें।

बच्चे हमारी चेतावनियों से अधिक हमारे जीवित उदाहरण से सीखते हैं।

खोजी अपनी मंजिल पाने में असफल रहता है।

  • बुद्धि,सच्ची बुद्धि से वंचित रह जाता है
  • समृद्धि,सच्चे धन से वंचित रह जाता है
  • प्रेम, सच्चे प्रेम से वंचित रह जाता है।

वह अन्त में निश्चय ही पश्चाताप करता है,लेकिन तब तक उसके राज्य को बचाने तथा उसके द्वारा की गयी गड़बड़ियों को साफ करने में बहुत देर हो चुकी थी। यह किताब उसकी अपनी गलतियों के लिए किये जाने वाले पश्चाताप पर दुःख चिन्तन है। हम किन बातों की खोज में लगें हैं,हम उस खोज के दौरान किन चीज़ों को चुनाव कर रहे हैं? हमारा जीवन एक उदारहण या एक डरावनी चेतावनी में से क्या है?

पवित्र शास्त्र

दिन 5दिन 7

इस योजना के बारें में

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)

वे समुद्र के बीच में से होकर गुज़रे, बादल के खम्बे और आग के खम्बे ने उनकी अगुवाई की, उन्होंने शहरपनाहों को तोड़ डाला और शक्शिाली शत्रुओं को हराया। इसके बावज़ूद भी इस्राएल एक राजा की मांग करता है,वह परमेश्वर की अवज्ञा करता है,जिसने उन्हें चेतावनी दे रखी थी। कुछ ही राजाओं ने परमेश्वर का आदर किया, और बाकि राजाओं ने इस्राएल को निर्वासन,गुलामी और विखण्डन में धकेल दिया।

More

हम इस योजना को प्रदान करने के लिए बेला पिल्लई को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://www.bibletransforms.com/