परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)नमूना

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)

दिन 4 का 8

राजकीय पद - भजन संहिता

दुष्ट जन क्यों समृद्ध होता हुआ प्रतीत होता है जबकि धर्मी को यातनाओं को सामना करना पड़ता है?भजन संहिता की पुस्तक एक दृष्टिकोण को सामने लाती है। पहले दो भजन पूरी किताब का निचोड़ बता देते हैं।

जैक स्कॉट के हिसाब से भजनों को दो अलग अलग दृष्टिकोणों से भी देखा जा सकता है-लेखक के दृष्टिकोण व प्रेरणा पाने वाले के दृष्टिकोण से-अर्थात मसीह के उस दृष्टिकोण से जब वह एक मनुष्य था।

दुष्ट बनाम धर्मी (भजनसंहिता 1)

“दुष्ट” का अभिप्राय कातिल, कैदी या ठग आदि से नहीं है,भले ही उन्हें भी इस सूची में शामिल किया जा सकता है। लेकिन इस सूची में बहुत प्रकार के उद्धार से रहित लोग शामिल हैं,अर्थात जो परमेश्वर के वचनों के अनुसार चलाए नहीं चलते है। हो सकता है कि वे अपने आप को बातों और व्यवहार में ईमानदार दिखाएं,फिर भी वे उसी श्रेणी में आते हैं और समान ही फल पाते हैं।

वे उस भूसी के समान होते हैं,जो पवन से उड़ाई जाती है”(1:4)की तस्वीर वह नज़रिया है जैसा परमेश्वर उन्हें देखते हैं- अर्थात अस्थाई,अत्यधिक अस्थिर,कमज़ोर और जिसे आसानीनष्ट किया जा सकता है। चाहे वे वास्तव में सम्पन्न,सशक्त व कितने भी प्रसिद्ध क्यों न नज़र आएं।

दूसरी तरफ धर्मी,या उद्धार पाया हुआ जन,मज़बूत,लगातार सफल, अपनी ऋतु में फलने वालाऔर बहती नालियों के किनारे लगे हुए वृक्ष के समान होता है। हो सकता है कि वे हमें असफल, कमज़ोर और चारों ओर से दबे हुए नज़र आएं। धर्मी पुरूष/स्त्री की प्रमुख विशेषता यह है कि वह परमेश्वर के वचनों से प्रसन्न रहता और उस पर ध्यान करता है (भजन 1:2)

मसीह के विरूद्ध संसार के हाकिमों की लड़ाई (भजन संहिता 2)

इस संघर्ष को भजन संहिता 2:2,3 में उपयुक्त तरीके से दर्शाया गया है, “यहोवा और उसके अभिषिक्त के विरूद्ध पृथ्वी के राजा मिलकर,और हाकिम आपस में सम्मति करके कहते हैं, आओ हम उनके बन्धन तोड़ डालें,और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेंकें ।”

पृथ्वी के राजा केवल सरकारी अधिकारियों को ही नहीं वरन विविध क्षेत्रों के अगुवों को दर्शाते हैं। शैतान का अधिकतर ऐसे लोगों पर कब्ज़ा है और वह लोगों को मीडिया (माध्यम), संस्कृति,रीति-रिवाज़ों, तकनीक के द्वारा प्रभावित कर रहा है वरन उसने कलीसिया में भी दृढ़ गढ़ बना रखे हैं। उसका लक्ष्य “बन्धनों को तोड़ना है”- ये वे बन्धन हैं जो सृष्टिकर्ता व सृष्टि के बीच में बंधे हुए हैं जो कि संसार, उसकी शक्ति और उसके आकर्षण के प्रभाव मज़बूत होने से कमज़ोर होते चले जाते हैं।

भजनकार बार बार जोर देते हुए कहता है कि सांसारिक शक्तियों की अस्थाई विजय,मसीह और उसके लोगों की स्थाई,अटल तथा ज़ोरदार विजय के सामने घुटने टेक देगी।

जबकि बहुत से लोग दोनो पक्ष में रहकर खेल खेलते हैं, लेकिन हम एक तरफ हो सकते हैं। केवल मन और बातों में ही नहीं वरन कामों और चुनाव में भी - हमारी निष्ठा किस ओर है?हम किस शक्ति के साथ जुड़े हुए हैं?

पवित्र शास्त्र

दिन 3दिन 5

इस योजना के बारें में

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)

वे समुद्र के बीच में से होकर गुज़रे, बादल के खम्बे और आग के खम्बे ने उनकी अगुवाई की, उन्होंने शहरपनाहों को तोड़ डाला और शक्शिाली शत्रुओं को हराया। इसके बावज़ूद भी इस्राएल एक राजा की मांग करता है,वह परमेश्वर की अवज्ञा करता है,जिसने उन्हें चेतावनी दे रखी थी। कुछ ही राजाओं ने परमेश्वर का आदर किया, और बाकि राजाओं ने इस्राएल को निर्वासन,गुलामी और विखण्डन में धकेल दिया।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए बेला पिल्लई को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://www.bibletransforms.com/