आत्मा विषहरणनमूना
हमारे शब्द सामर्थी होतें हैं। उनमें जीवन लेने तथा जीवन देने की सामर्थ होती है। नीतिवचन की पुस्तक में हर जगह, सुलेमान ने बार बार हमारे शब्दों द्वारा होने वाले ख़तरे तथा जीवन देने की योग्यता के बारे में लिखा है। शब्दों की सामर्थ को वह अच्छी तरह से जानता था। परिणामस्वरूप, हमारे वो सभी शब्द जो हम दूसरों के लिए बोलतें हैं तथा उनका सकरात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हो सकता है, सुलेमान हम सब को इसके प्रति जागरूक रहने के लिए उत्साहित करता है।
कौन से प्रकार के शब्द हैं जो आप ज़्यादा उपयोग करना चाहोगे - विषैले या जीवन देने वाले? विस्तार से समझाएं।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
हम एक आत्मा के साथ एक देह नहीं हैं। हम एक देह के साथ एक आत्मा हैं। जबकि संसार हमें अपनी देहों को विषमुक्त करने के बारे में सिखाता है, पर कभी कभी हमें अपनी आत्मा को भी विषमुक्त करना चाहिए। आपकी आत्मा में से किस चीज़ के छोटे टुकड़े अलग हो रहें हैं, तथा जैसा इंसान बनने के लिए, परमेश्वर ने आपकी रचना की थी, वैसा बनने में क्या बाधाएं आपके रास्ते में आ रहीं हैं, इन सब बातों को पहचानने में यह ३५ दिन की योजना आपकी सहायता करेगी। परमेश्वर के वचन में से आप सीखोगे कि कैसे इन हानिकारक प्रभावों को आप निष्फल/असफ़ल कर सकते हो, और अपनी आत्मा ले लिए पवित्र जीवन को अ पना सकते हो।
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यह पाठक योजना Pastor Craig Groeschel और LifeChurch.tv के द्वारा निर्मित किया गया हैं। कुछ और जानकारी के लिय: www.lifechurch.tv