गलत सोच से हटते हुए उपवास करनानमूना

गलत सोच से हटते हुए उपवास करना

दिन 13 का 40

दिन 13

“मैंने जयािा कु छ नहीं दकया है।”

आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, “्ैंनरे ज्यादा कु छ नहीं डक्या है।”

जब बातें हमारी सोच के अनुसार आगे नहीं बढती हैं, तब हमें कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है दक हम पदवत् नहीं हैं या हम ने परमेश्वर की आरीष या अनुग्ह की प्रादप्त के योगय पया्तप्त मात्ा में प्रार्तना नहीं की है।

आइए आज हम इसे बिलें

1. ह्ें वह ड्लता है डजसकरे ्योग्य ्यीशु है। रोदमयों 8:17 हमें बताता है दक हम यीरु मसीह के सार संगी-वाररस हैं। उसकी िरोहर हमारी है। 1 यूहनना 4:17 कहता है, “क्योंदक जैसा वह है वैसे ही इस संसार में हम भी हैं।” हम श्ाप की प्रादप्त को योगय रे, परनतु इसके बजाय हम उसकी आरीष को प्राप्त करते हैं।

2. वािा प्रवृत्त ्नुष्य बनें। आपकी परमेश्वर के सार एक वाचा है। एक वाचा एक अनुबंि है – इस दसरदत में, यह एक ऐसा अनुबंि है जो यीरु मसीह के बहाए गए लहू के द्ारा सुदनदश्चत दकया गया है।

3. अनुग्ह प्रवृत्त ्नुष्य बनें। अनुग्ह तब होता है जब परमेश्वर हमें वह िेता है दजस के हम योगय नहीं होते। इब्ादनयों 4:15 कहता हैं, “इसदलये आओ, हम अनुग्ह के दसंहासन के दनकट दहयाव बाँिकर चलें दक हम पर िया हो, और वह अनुग्ह पाएँ जो आवशकयता के समय हमारी सहायता करे।”

4. पर्रेश्वर पर डवश्वास रखें, सव्यं पर नहीं (1 यूहनना 3:20–21) दवश्वास और भरोसा परमेश्वर को हमारे जीवन में प्रार्तनाओं का उत्तर िेने में सषिम बनाते हैं।

5. दोर् को असवीकार करें। यह हमारा मन है जो हमारी गलदतयों और कदमयों के दलए हम पर िोष लगाता है। जब हम िोषी महसूस करते हैं, तो हम आतमदवश्वास खो िेते हैं, और दिर हम दवश्वास करते हैं दक हम परमेश्वर से कु छ भी प्राप्त नहीं कर सकते।

6. मसीह में अपनी स्व तंत्रता को स्वी कार करें। जो मसीह में हैं उन पर अब कोई दण्ड की आज्ञा नहीं है! (रोमि यों 8:1)

7. आपनरे जो कु छ डक्या है, उसकरे बाररे ्ें सोिकर सव्यं को िोट पहुँिाना बनद करें। हम अक्सर आतम-िोष के सार सवयं को िदणित करते हैं। हम कभी भी परमेश्वर के दलए पया्तप्त नहीं कर पायेंगे। इसदलए यीरु ने इसे सवयं दकया। उसने पाप, बीमारी, अदभराप और हमारी दविलता का भुगतान दकया। हमारा काय्क, हमारी लड़ाई, के वल द्वश्ास करना है।

यह सोचे और कहें

मैंने उस मानदसकता को जाने दिया जो मुझे यह बताती है दक मैं पया्तप्त मात्ा में पदवत् नहीं हूँ, या मैंने उत्तर पाने के दलए पया्तप्त प्रार्तना नहीं की है। मैं दवश्वास के द्ारा उसकी प्रदतज्ाओं को प्राप्त करता हूँ। मैं यीरु मसीह के सार सह-उत्तरादिकारी हूँ। मैं वह प्राप्त करने की आरा करता हूँ, दजसकी प्रादप्त के वह योगय है, न दक वह दजसके मैं योगय हूँ। उसके अनुग्ह का दसंहासन सिैव खुला रहता है! उसके प्रेम भरे उत्तम उपहारों की निी सिैव मेरी ओर बह रही है! मैं यीरु के नाम से उसके अनुग्ह को, आननि और खुले मन से सवीकार करता हूँ!

दिन 12दिन 14

इस योजना के बारें में

गलत सोच से हटते हुए उपवास करना

यह भोजन से "तेज" नहीं है, यह 40 नकारात्मक विचारों से उपवास है जो आपको संकट, चिंता, उदासी, दर्द, अवसाद और चोट पहुंचा रहे हैं - और वे विचार जो आपको मार रहे हैं - और आपको वास्तविक अनुभव करने से रोक रखा है यीशु। हजारों लोगों ने गलत सोच से उपवास का अनुभव किया है। यह आपके जीवन को बदल देगा।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए ग्रेगरी डिको मंत्रालयों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://gregorydickow.com