परमेश्वर के भेेदनमूना

परमेश्वर के भेेद

दिन 2 का 3

  

यह आज्ञा देते समय परमेश्वर ने इब्रहिम को दिया हुआ वचन फिर से स्मरण दिलाया कि वह अवश्य ही उसे पुत्र देगा, उसे बहुत बढ़ायेगा और उसे कनान देश की मीरास देगा। उस समय इब्रहिम सौ और सौर नब्वे वर्ष के थे। मानवीय रीति से देखा जाए तो उनका शरीर संतान उत्पन्न करने के योग्य नही था, परंतु परमेश्वर ने इब्रहिम को खतना करने की आज्ञा इसलिये दी कि वे स्मरण रखें कि स्वयं के बल या सामर्थ से नहीं परन्तु परमेश्वर कीप्रितज्ञा से तथा, पुनरुत्थान की शक्ति के द्वारा ही उन्हे संतान प्रप्त हुआ।

जक. ४:६ में हमें यही संदेश मिलता है। 'न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओंके यहोवा का यही वचन है।’ जरूब्बाबेल प्रश्नों और संदेह से भरपूर था कि यरुशलेम का मंदिर किस तरह से बनेगा उसने देखा की यरुशलेम की दीवार तोड़ दी गई थी और उसके फाटक आग से जला दिये गये थे। उसके साथ जो इस्त्राएली प्रजा थी वह बहुत कम संख्या में थे।उसके पास धन और मदद भी थोड़े थे। ऐसी परिस्थितियों में परमेश्वर का वचन जरुरब्बाबेल के पास पहुंचा कि परमेश्वर का कार्य मानवीय शक्ति और मानवीय अधिकार से नहीं परन्तु उसकी आत्मा से होगा। हम प्रभ की कोई भी सेवा अपनी शक्ति से कर नहीं सकते; हम अपने प्रयत्नों से मीरास पाना और उसका अनुभव नहीं कर सकते है। परमेश्वर की आत्मा पर आधार रखना सीखना पडेगा और उसके पूर्ण अधिकार के नीचे स्वयं को लाना होगा। परमेश्वर के अगुवाई की अवगणना करने से और उसकी आज्ञाओंके प्रित आनाज्ञारी होने से हम आत्मिक रूप से अंधे बन जायेंगे। आज हम देखते है कि परमेश्वर के बातों के विषय में अनेक लोगों ने दर्शन खोंये क्योकि आनाज्ञाकारी बने है या आधा-अधूरा आज्ञापालन किये।

पवित्र शास्त्र

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

परमेश्वर के भेेद

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें।

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