अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पलनमूना

अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

दिन 13 का 20

  परमेश्वर की भलाई

हम जानते हैं कि परमेश्वर की ओर से केवल भलाई ही बहती है। उनकी सारी कल्पनाएं, इच्छाएं, योजनाएं और कर्म सबकुछ अच्छा ही है। भजन 107:9 कहता है, ‘‘क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है।” इसकी अभिलाषा करो और वह आपको अपनी भलाईयों से भर देगा। राजा दाऊद को परमेश्वर पर बड़ा भरोसा था। उसने विश्वास से लिखा कि परमेश्वर की भलाई जीवनभर उसके पीछे पीछे चलती रहेगी। वह इन्हें परमेश्वर के साथ अपने व्यक्तिगत मुठभेड़ों और अनुभवों के आधार पर जानता था। उसे परमेश्वर के भवन में रहना पसंद था और जानता था कि परमेश्वर की भलाई उसके पवित्र मंदिर में महिमामय है। जो परमेश्वर के भवन के रहस्य को जानते हैं वे कभी इस अवसर को नहीं खोते बल्कि इसके पीछे जाते हैं और परमेश्वर की भलाईयों का आनंद उठाते हैं। भजन 65:4 कहता है, ‘‘क्या ही धन्य है वह, जिस को तू चुनकर अपने समीप आने देता है, कि वह तेरे आंगनों में बास करे! हम तेरे भवन के, अर्थात तेरे पवित्र मन्दिर के उत्तम उत्तम पदार्थों से तृप्त होंगे।”

इस पृथ्वी पर हमारे जीवन के बाद, एक स्वर्ग और नरक भी है। परमेश्वर ने हमें यह चुनाव करने का अधिकार दिया है कि हम कहां जाना चाहते हैं। यीशु ने कहा, ‘‘मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, जो मैं तुम्हारे लिए तैयार कर रहा हूं ताकि फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा।” यह कैसा आनंद होगा जब हम अपने प्रभु के साथ उनकी निरंतर सुरक्षा और मनोहरता में रहेंगे। पौलुस कहता है कि हमारी नागरिकता स्वर्ग की है, जिसके कारण हम बड़ी लालसा के साथ अपने उद्धारकर्ता के आने की बाट जोहते हैं।

परमेश्वर की भलाई का नतीजा हमारे जीवन में विजय, अनुग्रह, अलौकिक चमत्कार और बहुत कुछ बढ़कर होता है। वह अपने बच्चों को इस तरह से आशीष देता है कि वे पूरी तरह से संतुष्ट रहते हैं। प्रियों, हमारे जीवनों में परमेश्वर की भलाईयों के लिए उनका धन्यवाद करें और आने वाले दिनों में इसे लगातार खोजते रहें। उन लोगों को प्रार्थना में उठाना न भूलूँ जो नरक की ओर बढ़ रहे हैं, ताकि वे भी उस मार्ग में आ जाएं जो अनंत निवास की ओर ले जाता है।

प्रार्थना

हे प्रभु, आपकी भलाईयों और करूणा को अनुभव करने में हमारी मदद कीजिए ताकि हम आपके घर में अब से लेकर सर्वदा तक वास कर सके। यीशु के नाम में, आमीन्।

पवित्र शास्त्र

दिन 12दिन 14

इस योजना के बारें में

अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें। अंत में दी गई प्रार्थना या घोषणा के अर्थ को समझते हुए उसे दोहराएं। इस बात को जानें कि परमेश्वर के जिस प्रेम और सामर्थ को लेखकों ने अनुभव किया था, वह आपका भी हो सकता है।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए न्यू लाइफ चर्च - बांद्रा को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें:
https://www.facebook.com/NewLifeChurchBandra/