मेरी जीवित आशानमूना

मेरी जीवित आशा

दिन 2 का 5

लोगों को वैसा ही देखें जैसा यीशु देखते हैं

समाज का झुकाव आशाहीनता की ओर बढ़ता जा रहा है। आपको केवल कुछ खबरें पढ़नी होगी या फिर कोई सत्य कथा सुननी होगी जो हमारे दिल को संसार के भारीपन से आशा को खोखला बना देता है।

यीशु के अनुयायी होने के बावजूद भी  हम कभी कभी आशाहीनता की भूल को अपना लेते है। लेकिन हम इसके लिए नहीं बुलाये गए हैं। हमें आशाहीन लोगों के लिए आशा और बेजान लोगों में जान दाल दें। हमें हर तरह से अपने आशाहीनता को आशा से भरना होगा, बजाये यह अपनाने के की हमारे आस पास के लोग क्या कर रहे हैं हमें यह अपनाना होगा की परमेश्वर उन लोगों के बारे में क्या कहते हैं।

हमें यीशु से अपनी भूल को सुधारने की कला सीखनी होगी, वह दूसरों की भूल को सुधरने में निपुण थे। युहन्ना 4 में उनकी और उस स्त्री की मुलाकात के बारे में पढ़ें। वह स्त्री पूरे शेहर में असंस्कारी स्त्री के रूप में जानी जाती थी जो एक पुरुष से दूसरे पुरुष बदलती रहती थी। लोग उससे दूरी बनाए रखते थे लेकिन यीशु ने उसे अनदेखा करने या दूरी बनाने के बजाये एक अच्छे इरादे से उस स्त्री से बात करी।
इसके कारण से  न सिर्फ उन्होंने उसके जीवन को प्रभावित किया लेकिन पूरे शहर में बदलाव लाये! बहुत ही बढ़िया बात  है कि उन्होंने उसके बीते जीवन के चुनावों को नज़रंदाज़ करके उसे एक नये व्यक्ति के रूप में देखना चुना। उन्होंने उसे आशाहीन नहीं लेकिन उसे मूल्यवान जाना।

हमें आशा भरे जीवन के लिए बुलाया गया है। इसे करने के लिए हमें लोगों को वैसा ही, प्रभु कि दृष्टि से  देखना होगा जैसा यीशु उन्हें देखते हैं। आईये हम वह  लोग बन जाएँ जो अपने परिवार, मित्रों और साथियों में बदलाव देखना चाहते हैं। क्योंकि आप जुड़े हैं और सीख रहे हैं यीशु से जो बदलाव में निपुण है!  

पवित्र शास्त्र

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

मेरी जीवित आशा

यह महसूस करना आसान है कि आपके आस-पास के लोगों पर आपके विश्वास का बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं हो रहा है। आप अपनी आशा को प्रभावी रूप से कैसे बांट सकते हैं? मिशन पर जीवन जीने का क्या मतलब है? आओ साथ मिलकर जाने।

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