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उत्तरदायित्वSample

उत्तरदायित्व

DAY 5 OF 7

कार्यस्थल पर उत्तरदायित्व – उत्पादकता और स्वामित्व 

आज के संसार में, काम ढूँढना बहुत मुश्किल नहीं है| लेकिन अच्छे और कुशल लोगों का मिल पाना मुश्किल है| सो कई युवा लोग कम काम और अधिक पैसे की तलाश में रहते हैं| वे जो यीशु के पीछे चलते हैं वे बदलाव ला सकते हैं| मुझे मेरे पिता का अपने काम के प्रति प्यार और बेह्तर करने का ज़ज्बा बेहद पसंद है|  

पिछले २० सालों में, भारत ने ग्लोबल अर्थव्यवस्था में कई बड़े कदम उठाये हैं| लेकिन हम अपने बारे में घमंडी और दंभी बने हुए है| हमे याद रखना है कि गुणवत्ता के हिसाब से हमें लम्बा सफ़र तय करना है| हम मसीही लोगों को अपने कार्य में एक फर्क़ लाना है| क्या मैं अपने एक छोटे से कोने में ज्योति के समान चमक रहा हूँ? क्या लोग उत्त्कृष्टता की मिसाल के रूप में मेरा नाम लेते है? उत्कृष्टता और मेहनत मसीही लोगों के लिए कोई विकल्प नहीं है, यह जीने का तरीका है| 

उत्तरदायित्व का एक महत्वपूर्ण आयाम जो मसीही लोगों को दर्शाना चाहिये कि वे अपने ज़िम्मेदारी या स्वामित्व को स्वीकार करें| हमारे पूर्वज आदम ने जो कार्य किया उसकी ज़िम्मेदारी बिना शर्म के अपने पत्नी हव्वा पर डाल देता है (उत्त्पत्ति 3:11-13)| जल्द ही, हव्वा उस दोष को साँप पर डाल देती है| यह मनुष्य का स्वभाव है कि वो अपने गलत कामों की ज़िम्मेदारी नहीं लेता| 

हम शाऊल और दाऊद में एक अलग भिन्न प्रतिक्रिया देख सकते हैं जब प्रभु उन्हें उनके पाप के लिए डांटते है| 1 शमूएल 15 में, जब शमूएल शाऊल की गलती को दर्शाता है कि उसने अमालेकियों को पूरी तरह से नाश नहीं किया, तब शाऊल अपनी सेना पर अपना दोष डाल देता है और अपने आपको बचाता है| दूसरी तरफ, 2 शमूएल 12 में जब नातान दाऊद का सामना करता है, वो अपनी गलती स्वीकार कर लेता है और अपने कामों की ज़िम्मेदारी लेता है| 

व्यवसायिक जगत में भी, हम यह समझने में भूल कर देते हैं कि ताकत और अधिकार के साथ उत्तरदायित्व और गलत होने पर ज़िम्मेदारी लेने की ज़रुरत है| सरकारी या व्यवसायिक जगत में बहुत ही कम लोग अपनी गलती को मानते है| केवल जब हम अपनी गलती को स्वीकार करते है तब हम उस गलती से सीखने की योग्यता प्राप्त करते हैं| 

आज के दिन के लिए विचार: 

एक मसीही को चाहे सही हो या गलत अपनी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए| 

प्रार्थना: 

प्रभु यीशु, मेरे कार्यस्थल में मुझे एक सही नज़रिया रखने में मेरी मदद कीजिये| मेरे हाथों के कार्यों में आशीष दीजिये ताकि अन्य लोग उसे देख सकें और आपकी महिमा हो| | साहस के साथ अपनी ज़िम्मेदारी मुझे लेने और उससे सीखने में मेरी मदद कीजिये| 

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उत्तरदायित्व

मनुष्य होने के नाते और खासतौर पर मसीही होने के नाते, कई स्त्तर पर अपने परिवार, दोस्त, मालिक और कार्यस्थल के लोगों के प्रति परमेश्वर को जवाब देने की ज़िम्मेदारी हम पर है| मनुष्य स्वभाव से ही किसी के प्रति उत्तरदायी होना पसंद नहीं करता| परमेश्वर को हिसाब-किताब देना ही मूल रूप से सभी स्त्तर पर उत्तरदायी होने में हमारी मदद करता है| 

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