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उत्तरदायित्वSample

उत्तरदायित्व

DAY 3 OF 7

आखिर में यह किसका धन है? 

एक बहुत ही हास्यास्पद कहावत है – “पैसा सभी बुराइयों की जड़ है लेकिन मनुष्य को जड़ ही चाहिए|” पैसा हमारे जीवन का एक हिस्सा है चाहे हम मसीह के पीछे चलते हो या नहीं चलते हो| लेकिन पैसे के मामले में एक मसीही और गैर-मसीही के बीच में एक बड़ा फर्क है| संसार के लोगों के लिए पैसा ही सबकुछ है| लेकिन हमारे लिए, जो प्रभु को उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हैं, यह एक नाशवान वस्तु मात्र है| जैसे नीतिवचन 23:5 में लिखा है, वस्तु जो क्षणभर के लिए है! सो हम मसीह लोगों को पैसा परमेश्वर की सेवा में इस्तेमाल करना चाहिए| जैसा कहा जाता है पैसे के मामले में हमें चिंता नहीं करनी चाहिए! 

इस्राएलियों के लिए, पैसे के ऊपर परमेश्वर की संप्रभुता दशांश के द्वारा दर्शाया जाता था| विश्वासी के रूप में, हमें नये नियम में पुराने नियम से भी बढ़कर अधिक दशांश देने को प्रोत्साहित किया गया है| हम में से कई यह समझते हैं कि अपना दशांश देने के बाद हम बाकि पैसा अपनी मर्ज़ी से खर्च करने को आज़ाद हैं! हम यह समझने में भूल कर देते हैं कि परमेश्वर ही सभी धन का स्रोत है और सब वस्तुओं का मालिक है| यदि हम चाहते हैं कि प्रभु हमें सभी वस्तुओं के द्वारा आशीषित करें, तो हमें अपने हर ख़ज़ाने के प्रति उत्तरदायी होना होगा| 

आज के संसार में क्रेडिट कार्ड सुविधा हमें कुछ भी, कभी भी खरीदने का अधिकार प्रदान करता है| लेकिन हम यह न भूले कि यदि परमेश्वर हमें पैसा और संपत्ति से आशीषित करते हैं तो हमें यह जांचना चाहिए कि क्या यीशु इस तरह से पैसों के प्रयोग की सहमती देंगे! जब हमें यह अहसास हो जाता है कि परमेश्वर ने हमें यह धन-संपत्ति इस संसार में उनके राज्य को बनाने के लिए दिया है तब हमारा धन-सम्पत्ति को लेकर नज़रिया बिलकुल अलग हो जायेगा| नीतिवचन 10:22 कहता है, “धन यहोवा की आशीष ही से मिलता है, और वह उसके साथ दुःख नहीं मिलाता|” 

कई सालों में मैंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण सत्य को जाना है कि परमेश्वर हमें धन-संपत्ति देते हैं जब हम एक विश्वासयोग्य सेवक के समान उसे प्रयोग करने के लिए मसीही परिपक्वता से भर जाते है|  

आज के दिन के लिए विचार: 

धन का प्रयोग करें और लोगों को प्रेम करें, उसका उल्टा नहीं| 

आज के दिन के लिए विचार: 

धन का प्रयोग करें और लोगों को प्रेम करें, उसका उल्टा नहीं| 

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About this Plan

उत्तरदायित्व

मनुष्य होने के नाते और खासतौर पर मसीही होने के नाते, कई स्त्तर पर अपने परिवार, दोस्त, मालिक और कार्यस्थल के लोगों के प्रति परमेश्वर को जवाब देने की ज़िम्मेदारी हम पर है| मनुष्य स्वभाव से ही किसी के प्रति उत्तरदायी होना पसंद नहीं करता| परमेश्वर को हिसाब-किताब देना ही मूल रूप से सभी स्त्तर पर उत्तरदायी होने में हमारी मदद करता है| 

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