“ज्दया थे बरत करो तो ढोंग करबाळा की न्याई मुण्डो लटकार बरत मत करज्यो। वे खुदका मुण्ढा न्अ अस्यो उतार लेव्अ छ क दूसरा मनख या समझ्अ क वो बरत करर्यो छ। म थां मनखा न्अ सांची खेऊ छु क वान्अ वांको फळ मलचुक्यो। ज्दया थे बरत करो तो मुण्ढा न्अ धोल्यो अर खुदका माथा मं तेल लगावो, जिसुं मनखा न्अ नही पण थांका बाप न्अ ज्यो अन्तरयामी छ, यो दिख्अ क थे बरत करर्या छो। थांको बाप ज्यो अन्तरयामी छ, थान्अ फळ देव्अलो।