मरक़ुस 1
1
हज़रत यहया का हुज़ूर ईसा के लिये राह तय्यार करना
1हुज़ूर ईसा अलमसीह#1:1 या ईसा अलमसीह मसीह (इब्रानी में) मसीह (यूनानी) दोनों का मतलब एक ही है मसह किया हुआ।, ख़ुदा के बेटे,#1:1 ख़ुदा के बेटे कुछ नविश्तों में दर्ज नहीं है। की ख़ुशख़बरी इस तरह शुरू होती है, 2जैसा के हज़रत यसायाह नबी के सहीफ़े में लिख्खा हुआ है:
“मैं अपना पैग़म्बर तेरे आगे भेज रहा हूं,
जो तेरे आगे तेरी राह तय्यार करेगा”#1:2 मलाकी 3:1
3“ब्याबान में कोई पुकार रहा है,
‘ख़ुदावन्द के लिये राह तय्यार करो,
उस के लिये राहें सीधी बनाओ।’ ”#1:3 यसा 40:3
4लिहाज़ा पाक-ग़ुस्ल देने वाले हज़रत यहया की आमद हुई और वह ब्याबान में, गुनाहों की मुआफ़ी के वास्ते तौबा करने और पाक-ग़ुस्ल लेने की मुनादी करने लगे। 5तब यहूदिया और यरूशलेम के सारे इलाक़ों से सब लोग निकल कर हज़रत यहया के पास गये और अपने गुनाहों का इक़रार किया, और उन्होंने हज़रत यहया से दरया-ए-यरदन में पाक-ग़ुस्ल लिया। 6हज़रत यहया#1:6 हज़रत यहया इलियास की मानिन्द लिबास, मज़ीद देखें। 2 सला 1:8 ऊंट के बालों से बुना लिबास पहनते थे, और उन का कमरबन्द चमड़े का था। और उन की ख़ुराक़ टिड्डियां और जंगली शहद थी। 7और ये उन का पैग़ाम था: “जो मेरे बाद आने वाला है मुझ से भी ज़्यादा ज़ोरआवर शख़्स है, मैं इस लाइक़ भी नहीं के झुक कर उन के जूतों के तस्मे खोल सकूं। 8मैं तो तुम्हें सिर्फ़ पानी से पाक-ग़ुस्ल देता हूं, लेकिन वह तुम्हें पाक रूह से पाक-ग़ुस्ल देंगे।”
हुज़ूर ईसा का पाक-ग़ुस्ल और आज़माइश का होना
9उसी वक़्त हुज़ूर ईसा, सूबे गलील के शहर नासरत से आये और हज़रत यहया ने उन्हें दरया-ए-यरदन में पाक-ग़ुस्ल दिया। 10जब हुज़ूर ईसा पानी से बाहर आ रहे थे, तो उन्होंने देखा के आसमान खुल गया है और ख़ुदा की रूह कबूतर की शक्ल में उन पर नाज़िल हो रहा है। 11और आसमान से एक आवाज़ आई: “तू मेरा प्यारा बेटा है, जिस से मैं महब्बत करता हूं; तुम से मैं बहुत ख़ुश हूं।”
12फ़िलफ़ौर पाक रूह हुज़ूर ईसा को ब्याबान में ले गया, 13और वह चालीस दिन, तक वहां रहे, और शैतान के ज़रीये आज़माये#1:13 आज़माये यूनानी में मानी आज़माया हुआ है। जाते रहे। वह जंगली जानवरों के दरमियान रहे, और फ़रिश्ते हुज़ूर ईसा की ख़िदमत करते रहे।
हुज़ूर ईसा की एलानिया ख़ुशख़बरी
14हज़रत यहया को क़ैद किये जाने के बाद, हुज़ूर ईसा सूबे गलील में आये, और ख़ुदा की ख़ुशख़बरी सुनाने लगे। 15और आप ने फ़रमाया, “वक़्त आ पहुंचा है,” और “ख़ुदा की बादशाही नज़दीक आ गई है। तौबा करो और ख़ुशख़बरी पर ईमान लाओ।”
हुज़ूर ईसा का अपने इब्तिदाई शागिर्दों को बुलाना
16गलील सूबे की झील के किनारे जाते हुए, हुज़ूर ईसा ने शमऊन और उन के भाई अन्द्रियास को देखा यह दोनों उस वक़्त झील में जाल डाल रहे थे, क्यूंके उन का पेशा ही मछली पकड़ना था। 17हुज़ूर ईसा ने उन से फ़रमाया, “मेरे, पीछे चले आओ, तो मैं तुम्हें आदमगीर बनाऊंगा।” 18वह उसी वक़्त अपने जाल छोड़कर आप के हमनवा होकर पीछे हो लिये।
19थोड़ा आगे जा कर, आप ने ज़ब्दी के बेटे याक़ूब और उन के भाई यूहन्ना को देखा दोनों कश्ती में जालों की मरम्मत कर रहे थे। 20आप ने उन्हें देखते ही बुलाया वह अपने बाप, ज़ब्दी को कश्ती में मज़दूरों के साथ छोड़कर हुज़ूर के पीछे चल दिये।
हुज़ूर ईसा के ज़रीये एक बदरूह का निकाला जाना
21वह सब कफ़रनहूम, में दाख़िल हुए, सबत के दिन हुज़ूर ईसा यहूदी इबादतगाह में गये और तालीम देनी शुरू की। 22हुज़ूर ईसा की तालीम सुन कर लोग दंग रह गये, क्यूंके हुज़ूर उन्हें शरीअत के आलिमों की तरह नहीं, लेकिन एक साहिबे इख़्तियार की तरह तालीम दे रहे थे। 23उस वक़्त यहूदी इबादतगाह में एक शख़्स था, जिस में बदरूह थी, वह चिल्लाने लगा, 24“ऐ ईसा नासरी, आप को हम से क्या काम? क्या आप हमें हलाक करने आये हैं? मैं जानता हूं के आप कौन हैं? आप ख़ुदा का क़ुददूस हैं!”
25हुज़ूर ईसा ने बदरूह को झिड़का और कहा, “ख़ामोश हो जा!” और इस आदमी में से, “निकल जा!” 26तब ही इन बदरूह ने उस आदमी को ख़ूब मरोड़ा और बड़े ज़ोर से चीख़ मार कर उस में से निकल गई।
27सब लोग इतने हैरान होकर एक दूसरे से कहने लगे, “ये क्या हो रहा है? ये तो नई तालीम है! ये तो बदरूहों को भी इख़्तियार के साथ हुक्म देते हैं और बदरूहें भी हुज़ूर ईसा का हुक्म मानती हैं।” 28हुज़ूर ईसा की शौहरत बड़ी तेज़ी से गलील के एतराफ़ में फैल गई।
हुज़ूर ईसा का बहुतों को शिफ़ा बख़्शना
29यहूदी इबादतगाह से बाहर निकलते ही वह याक़ूब और यूहन्ना के साथ सीधे शमऊन और अन्द्रियास के घर गये। 30उस वक़्त शमऊन की सास तेज़ बुख़ार में मुब्तिला थीं, देर किये बग़ैर आप को उस के बारे में बताया। 31हुज़ूर ईसा ने पास जा कर शमऊन की सास का हाथ पकड़ा और उन्हें उठाया, उन का बुख़ार उसी दम उतर गया और वह उन की ख़िदमत में लग गईं।
32शाम के वक़्त सूरज के डूबते ही लोग वहां के सब मरीज़ों को और उन्हें जिन में बदरूहें थीं, हुज़ूर ईसा के पास लाने लगे। 33यहां तक के सारा शहर दरवाज़े के पास जमा हो गया, 34हुज़ूर ईसा ने बहुत से लोगों को उन की मुख़्तलिफ़ बीमारीयों से शिफ़ा बख़्शी। और बहुत सी बदरूहों को निकाला, मगर आप बदरूहों को बोलने न देते थे क्यूंके बदरूहें उन को पहचानती थीं।
हुज़ूर ईसा का तन्हाई में दुआ करना
35अगले दिन सुब्ह-सवेरे जब के अन्धेरा ही था, हुज़ूर ईसा उठे, और घर से बाहर एक वीरान जगह में जा कर, दुआ करने लगे। 36शमऊन और उन के दूसरे साथी उन के की तलाश में निकले, 37जब आप उन्हें मिल गये, तो वह सब कहने लगे: “सभी आप को ढूंड रहे हैं!”
38हुज़ूर ईसा ने कहा, “आओ! हम कहीं और आस-पास के क़स्बों में चलें ताके मैं वहां भी मुनादी करूं क्यूंके मैं इसी मक़्सद के लिये निकला हूं।” 39चुनांचे वह सारे सूबे गलील, में, घूम फिर कर उन के यहूदी इबादतगाहों में मुनादी करते रहे और बदरूहों को निकालते रहे।
हुज़ूर ईसा का एक कोढ़ी को शिफ़ा बख़्शना
40एक कोढ़ी हुज़ूर ईसा के पास आया और घुटने टेक कर आप से मिन्नत करने लगा, “अगर आप चाहें तो मुझे कोढ़ से पाक कर सकते हैं।”
41हुज़ूर ईसा ने उस कोढ़ी पर तरस खाकर अपना हाथ बढ़ा कर उसे छुआ और फ़रमाया, “मैं चाहता हूं, तुम पाक साफ़ हो जाओ!” 42उसी दम उस का कोढ़ जाता रहा और वह पाक हो गया।
43हुज़ूर ईसा ने उसे फ़ौरन वहां से सख़्त तम्बीह करते हुए रुख़्सत किया, 44“ख़बरदार इस का ज़िक्र, किसी से न करना। बल्के सीधे काहिन के पास जा कर, अपने आप को दिखाओ और अपने साथ वह नज़्रें भी ले जाना जो हज़रत मूसा ने मुक़र्रर की हैं ताके सब पर गवाही हो, जाये के तुम पाक हो गये हो।” 45लेकिन वह वहां से निकल कर हर किसी से इस बात का इतना, चर्चा करने लगा, आइन्दा हुज़ूर ईसा किसी शहर में ज़ाहिरी तौर पर दाख़िल न हो सके बल्के शहर से बाहर वीरान जगहों में रहने लगे और फिर भी लोग हर जगह से आप के पास आते रहते थे।
उर्दू हमअस्र तरजुमा™ नया अह्दनामा
हक़ इशाअत © 1999, 2005, 2022 Biblica, Inc.
की इजाज़त से इस्तिमाल किया जाता है। दुनिया भर में तमाम हक़ महफ़ूज़।
Urdu Contemporary Version™ New Testament (Devanagari Edition)
Copyright © 1999, 2005, 2022 by Biblica, Inc.
Used with permission. All rights reserved worldwide.