यीशु जी, मुझे आपकी ज़रूरत है।नमूना
आजकल हम सब अपने आप में इतने अधिक व्यस्त हैं, और अपने आप में ही भरपूर हैं, यहाँ तक कि हमें इस बात का एहसास भी नहीं है, लेकिन हमें यीशु से अपने आप को भरने की सख़्त ज़रूरत है। यहाँ तक कि यह, अक्सर पहचानना भी कठिन होता है, कि हमारे रास्ते उसके रास्तों से कितने अलग हैं क्योंकि, इससे फर्क नहीं पड़ता कि हम किस तरह के घरों में पले-बढ़ें हैं, मसीह या गैर-मसीह, हमारे अंदर जो पाप रहतें हैं उसके कारण और हम एक ऐसे चर्च में बढे हुए हैं जो रीति-रिवाज़ों में घिरा रहता है, उसके कारण ही हमने ऐसी आदतें, व्यवहार, सोचने का ढंग पाया है और यहाँ तक कि बिना इस बात को जानें यीशु मसीह के आलावा दूसरे अन्य स्त्रोतों पर भी विचार किया है।
पौलुस का लक्ष्य यही था: "क्योंकि मेरे लिए जीवित रहना मसीह है" (फ़िलिप्पियों १:२१)। पौलुस हमेशा से मसीह के लिए नहीं जीया। पर उसने ही ऐसा करना शुरू किया जब दमशिक की ओर जाते हुए उसका सामना यीशु से हुआ और उन्होंने उसे उसके पापों से अवगत कराया, और जब अनुग्रह के द्वारा ही वह यह देखने के लिए कि यीशु कौन हैं, वह उनके पास लाया गया (प्रेरितों ९:१-१९) । यीशु को अपनी प्रार्थना बनायें और उन्हें पुकारें। यीशु से कहें कि आपको इतनी योग्यता दें ताकि आप उन्हें प्राथमिकता दें, पहले उन्हें ढूंढें जैसी उन्होंने मत्ती ६:२५-३३ में आज्ञा दी है।
"यीशु, मुझे आपकी ज़रूरत है। मैं आपके बिना नहीं जी सकता/सकती।
यीशु, आप केवल एक विचार, यह करो और यह मत करो की सूचि, एक सिद्धांत, या एक अभियोग ही नहीं हो। मुझे आपकी ज़रूरत है और मुझे आप चाहिए ! मैं आपको इतने अच्छे से जानना चाहता/चाहती हूँ कि मैं आपको — मेरे परिवार, मेरे दोस्तों, मेरे सबसे नज़दीक दोस्त — और यहाँ तक कि मेरे अपने आप से भी ज़्यादा मैं आपको जानूँ। मैं चाहता/चाहती हूँ कि आप मेरे साथ अभी यहाँ रहें, ठीक इसी समय। आपके साथ बैठने, आपकी उपस्थिति में समय बिताने, और मेरे दिल और दिमाग में जो प्रश्नों की बौछार लगी है वो आपसे पूछने के योग्य बनने के लिए मैं बहुत लालायित हूँ। मैं आपके पास दौड़ के आने, आपके कन्धे पर अपना सिर रखने, आपके सामने अपना ह्रदय खोलनें, और आपके द्वारा मेरे चारों ओर आपके बाज़ूओं में, और मुझसे सत्य कहने में —यहाँ तक कि कठोर से कठोर सत्य जानने के योग्य बनना चाहता/चाहती हूँ। मुझे आपकी सहायता, आपके अनुग्रह, आपकी करुणा की आवश्यकता है। मैं अकेले जीवन नहीं जी सकती/सकता।मत्ती ६:२५-३३ के साथ प्रार्थना के द्वारा आज का दिन समाप्त करें। कल हम एक और प्रार्थना प्रस्तुत करेंगें जिससे आप हरेक दिन प्रार्थना में उतना समय बिता सकें जितना समय बिताने की आपको इसके द्वारा अगुवाही होती है।
पौलुस का लक्ष्य यही था: "क्योंकि मेरे लिए जीवित रहना मसीह है" (फ़िलिप्पियों १:२१)। पौलुस हमेशा से मसीह के लिए नहीं जीया। पर उसने ही ऐसा करना शुरू किया जब दमशिक की ओर जाते हुए उसका सामना यीशु से हुआ और उन्होंने उसे उसके पापों से अवगत कराया, और जब अनुग्रह के द्वारा ही वह यह देखने के लिए कि यीशु कौन हैं, वह उनके पास लाया गया (प्रेरितों ९:१-१९) । यीशु को अपनी प्रार्थना बनायें और उन्हें पुकारें। यीशु से कहें कि आपको इतनी योग्यता दें ताकि आप उन्हें प्राथमिकता दें, पहले उन्हें ढूंढें जैसी उन्होंने मत्ती ६:२५-३३ में आज्ञा दी है।
"यीशु, मुझे आपकी ज़रूरत है। मैं आपके बिना नहीं जी सकता/सकती।
यीशु, आप केवल एक विचार, यह करो और यह मत करो की सूचि, एक सिद्धांत, या एक अभियोग ही नहीं हो। मुझे आपकी ज़रूरत है और मुझे आप चाहिए ! मैं आपको इतने अच्छे से जानना चाहता/चाहती हूँ कि मैं आपको — मेरे परिवार, मेरे दोस्तों, मेरे सबसे नज़दीक दोस्त — और यहाँ तक कि मेरे अपने आप से भी ज़्यादा मैं आपको जानूँ। मैं चाहता/चाहती हूँ कि आप मेरे साथ अभी यहाँ रहें, ठीक इसी समय। आपके साथ बैठने, आपकी उपस्थिति में समय बिताने, और मेरे दिल और दिमाग में जो प्रश्नों की बौछार लगी है वो आपसे पूछने के योग्य बनने के लिए मैं बहुत लालायित हूँ। मैं आपके पास दौड़ के आने, आपके कन्धे पर अपना सिर रखने, आपके सामने अपना ह्रदय खोलनें, और आपके द्वारा मेरे चारों ओर आपके बाज़ूओं में, और मुझसे सत्य कहने में —यहाँ तक कि कठोर से कठोर सत्य जानने के योग्य बनना चाहता/चाहती हूँ। मुझे आपकी सहायता, आपके अनुग्रह, आपकी करुणा की आवश्यकता है। मैं अकेले जीवन नहीं जी सकती/सकता।मत्ती ६:२५-३३ के साथ प्रार्थना के द्वारा आज का दिन समाप्त करें। कल हम एक और प्रार्थना प्रस्तुत करेंगें जिससे आप हरेक दिन प्रार्थना में उतना समय बिता सकें जितना समय बिताने की आपको इसके द्वारा अगुवाही होती है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
क्या आप, यीशु के लिए, अपनी ज़रूरत को गहराई से महसूस करतें हैं? प्रार्थना के लिए, यह दो दिन की योजना, आपके समय को एकांत में परमेश्वर के साथ बिताने तथा उसके सामने ह्रदय को खोलने में,आपकी सहायता करने के लिए बनाई गयी है। यह आठ भागों की थिस्सलबैंड मिनिस्ट्रीज़ की शृँखला, "यीशु मुझे तेरी ज़रूरत है", के प्रार्थना के साथी के रूप में भी कार्य करता है।
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यह योजना उपलब्ध कराने के लिए, हम थिस्सलबैंड मिनिस्ट्रीज़ का धन्यवाद करना चाहतें हैं। और अधिक जानकारी के लिए, कृपया www.thistlebendministries.org पर जाएँ