यीशु क्यों मारा गया?नमूना
1 पतरस 2:24, 25 – “वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए” हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: “उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।“क्योंकि “तुम पहिले भटकी हुई भेड़ों की नाईं थे,” पर अब अपने प्राणों के रखवाले और अध्यक्ष के पास फिर आ गए हो।
हमारे लिए अपने प्यार के खातिर, परमेश्वर ने यीशु को हमारे मुक्ति के लिए भेजा।
बाइबिल हमें सिखाती है कि हम नैतिक रूप से दोषी है और अपने पापों से पश्चाताप नहीं कर पाते, लेकिन यीशु अलग और ख़ास है, जो नैतिक रूप से निष्कलंक और निर्दोष है और वे अकेले ही हमारे गलत कामों की सजा भुगत सकता था। क्योंकि यीशु मानव रूप में परमेश्वर था और आत्मिक रूप से पूर्ण था, इसलिए वो ही हमें बचा सकता था। उनके बलिदान से, हम पाप से मुक्त हो जाते हैं और सही मार्ग पर चलने में सक्षम हो जाते हैं। मसीह की मृत्यु ने धर्मी और अधर्मी को एक कर दिया, मानवता और परमेश्वर के बीच के फासले को ख़त्म कर दिया। (1 पतरस 2:22, 24; 3:18)
क्रूस का अर्थ
a. धर्मी ठहरना – सच्चा (दोषी न होना) घोषित किया जाना।
एक कहानी एक ऐसे आदमी के बारे में बताई गई है जो अपने अपराध के लिए 10,000 रुपये का जुर्माना भुगत रहा है और भुगतान करने में असमर्थ है। प्रेम से प्रेरित होकर, न्यायाधीश खुद जुर्माना भरता है और उस आदमी को मुक्त कर देता है। यह परमेश्वर के न्याय और प्यार को यीशु के मानवता के पापों की सजा भुगतने के माध्यम से दर्शाता है। प्रेरित पौलुस ने इस प्यार पर रौशनी डालते हुए कहा कि मसीह हमारे लिए तब मरा जब हम पापी ही थे। इसी प्रकार, पतरस इस बात पर जोर देता है कि यीशु ने हमारे पापों का बोझ उठाया ताकि हम धार्मिकता से जी सकें।
b. उद्धार— गुलामी से मुक्त करना।
बाइबिल के समय में जब ग़ुलामी फैली हुई थी और लोग इस बात से वाकिफ थे, तो इसका मतलब होता था कि वापिस खरीदा जाना। नए नियम में, इसे पाप और मृत्यु से मुक्ति के रूप में दर्शाया गया है, जो मसीह के बलिदान के माध्यम से बड़ी कीमत पर हासिल की गई है, और अनन्त जीवन की ओर ले जाता है। अब मसीह लोग पाप के गुलाम नहीं है, श्राप से मुक्त होकर, वे परमेश्वर के पास लौट आये हैं। जैसे किसी बंदी के लिए फिरौती, वैसे ही मसीह का बलिदान हमारी मुक्ति को सुरक्षित करता है। हालाँकि, अपने पुनरुथान के समय हम अपने उद्धार को पूरी तरह समझ पाएंगे, लेकिन अभी फ़िलहाल यह हमारे लिए निश्चित है और हमे क्षमा और कृपा दिलाता है। (इफिसियों 1:7)
c. स्थान लेना — किसी को अपनी जगह पर रखना।
फुटबॉल प्रशंसक इस जगह लेने के विचार को समझते है, जहां एक खिलाड़ी मैदान पर दूसरे खिलाड़ी की जगह लेता है। वैसे ही, पुराने नियम के मंदिरों के रीति-रिवाज़ में, एक निष्कलंक मेमना, किसी दोषी व्यक्ति की जगह मर जाता था। इस मेमने ने स्थान लेने के रूप में काम किया और एक पापी की सजा को खुद सह लिया। इसी प्रकार, परमेश्वर से हमे बख्शने की विनती करते हुए, यीशु ने वह सज़ा अपने ऊपर ले ली जिसके हकदार हम थे। यहुन्ना बपतिस्मा देने वाले ने इसे पहचाना, और यीशु को “परमेश्वर का मेमना” घोषित किया, जो संसार के पापों को मिटाता है। अपने बलिदान के द्वारा, यीशु ने हमारी जगह लेकर और हमे मुक्ति दिलाकर, परमेश्वर का प्यार दिखाया। (यूहन्ना 1:29, रोमियों 5:8)
d. सुलह — टूटे हुए रिश्ते को ठीक करना।
प्रसिद्ध धारणाओ के बावजूद, हम परमेश्वर के साथ अनुकूलता में नहीं, बल्कि पापियों के रूप में पैदा हुए थे, अपने पापी स्वभाव के कारण उनसे अलग हो गए थे। इस अलगाव ने हमारे बग़ावती दिलो और परमेश्वर के बीच टकराव पैदा किया, जिस से रिश्तों में बाधा आ गयी। यीशु ने क्रूस पर परमेश्वर के क्रोध को सहन करके, शान्ति और निकटता लाके, इस टूटे हुए रिश्ते को बहाल किया। मसीह में विश्वास के द्वारा, हम परमेश्वर के परिवार में अपनाए गए हैं। जैसे यहुन्ना लिखता है: “पर जिन्होंने उसे अपनाया उन सबको उसने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार दिया।“(यूहन्ना 1:12)
प्रायश्चित
यह बाइबिल में वर्णित, यीशु मसीह के क्रूस की सिद्धि का सारांश देता है, जो पुराने नियम के बली-प्रथाओं से लिया गया है। इसका यह मतलब है कि यह परमेश्वर के साथ हमारे रिश्तों को जोड़ता है और साथ ही, हमे धार्मिकता की स्तिथि में बनाए रखता है। इसमें हम परमेश्वर के साथ एकता पाते है, जो मिलाप करना और रिश्ते को बहाल करने का प्रतीक है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
महात्मा गांधी पर, जे॰ बी॰ कृपलानी द्वारा लिखे गए जीवनी के 200 पन्नों में से केवल 5 पन्ने, यानी 0.5% से भी कम, उनके मृत्यु के बारे में बताते हैं, जो जीवनियों में एक आम बात है। इसके विपरीत, बाइबिल के नए नियम के हर एक सुसमाचार का लगभग 33% यीशु के मृत्यु और जी उठने पर केन्द्रित है, जो कि सुसमाचार संदेश के लिए बहुत ज़रूरी है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Nayi Manzil को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.facebook.com/nayi.manzil