यीशु क्यों मारा गया?नमूना

यीशु क्यों मारा गया?

दिन 1 का 3

प्रेरितों के काम 2:22-24 - नासरी यीशु एक ऐसा पुरुष था जिसे परमेश्वर ने तुम्हारे सामने अद्भुत कर्मों, आश्चर्यों और चिन्हों समेत जिन्हें परमेश्वर ने उसके द्वारा किया था तुम्हारे बीच प्रकट किया। जैसा कि तुम स्वयं जानते ही हो। इस पुरूष को परमेश्वर की निश्चित योजना और निश्चित पूर्व ज्ञान के अनुसार तुम्हारे हवाले कर दिया गया, और तुमने नीच मनुष्यों की सहायता से उसे क्रूस पर चढ़ाया और कीलें ठुकवा कर मार डाला। किन्तु परमेश्वर ने उसे मृत्यु की वेदना से मुक्त करते हुए फिर से जिला दिया। क्योंकि उसके लिये यह सम्भव ही नहीं था कि मृत्यु उसे अपने वश में रख पाती।

मसीह के क्रूस की वजह

मसीह की क्रूस ईसाई धर्म की बुनियाद है, जो कई लोगों का भाग्य बदल रहा है। यह उद्धार का प्रतीक है, जो की वचन का मूल सिद्धांत है। अगर हम क्रूस को नहीं समझते है, तो हम मसीहयत को कभी नहीं समझ पाएंगे। आईए हम यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने की घटना को समझे।

यीशु की मृत्यु परमेश्वर की सही योजना का हिस्सा थी!

मैं यीशु की मृत्यु को एक अनचाहे दुखद घटना के रूप में देखता था, पर अब मुझे यह समझ आ गया कि, यह पहले से ही परमेश्वर की उद्धार के योजना का हिस्सा था। इस संसार की रचना से पहले ही, यीशु के बलिदान की योजना बन गई थी, जैसा यहुन्ना के बयान में उसे ‘उस मेमने के रूप में प्रकट किया है, जो जगत की रचना के समय से घात किया गया था।‘पतरस अपने प्रचार में यह दावा करता है कि यीशु की मृत्यु, परमेश्वर के उद्देश्य का हिस्सा था। उसने, परमेश्वर के द्वारा यीशु का जी उठना और मृत्यु पर उसके विजय का प्रदर्शन का दावा किया है। तो, यीशु की मृत्यु आकस्मिक नहीं, बल्कि एक ईश्वरीय योजना थी।

सूली पर चढ़ने की क्रिया क्या है?

सूली पर चढ़ाना मृत्यु दंड का एक रूप है, जिसमें दोषी व्यक्ति को सूली पर चढ़ा दिया जाता है या सूली पर बाँधकर उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। यीशु के समय में रोमन साम्राज्य में यह मृत्यु दंड देने का एक सामान्य तरीका था। ईसाई परंपरा में, यीशु मसीह का सूली पर चढ़ना एक केंद्रीय घटना है, इसे मानवजाति के पापों से मुक्ति के लिए अंतिम बलिदान के रूप में देखा जाता है।

जब यीशु की मृत्यु हुई तो वास्तव में क्या हो रहा था?

यीशु के मृत्यु के दौरान उसकी शारीरिक पीड़ा को सोचना भी मुश्किल है, लेकिन उसकी आत्मिक पीड़ा और ज़्यादा समझ से बाहर है, जब क्रूस पर दुनिया के पापों को सहन करते हुए उसने परमेश्वर के द्वारा दण्डित होने का बोझ उठाया।

क्रूस क्यों आवश्यक था?

कई लोग पूछते है कि यीशु को हमारी क्षमा के लिए क्यों मरना पड़ा, पर यह परमेश्वर की पवित्रता और न्याय को अनदेखा करती है। उसकी पवित्रता पाप को अस्वीकार करती है, उसका न्याय भुगतान की माँग करता है, फिर भी उसका प्रेम यीशु को दंड भुगतने के लिए भेजता है। यीशु के द्वारा, परमेश्वर क्षमा प्रदान करते है और संबंध बहाल करते है। उनके बलिदान के बिना, हम अनंत काल तक पाप में डूबे रहेंगे, और परमेश्वर से खुद से वापिस जुड़ नहीं पाएंगे। जिस तरह एक कंगाल अपराधी अपना जुर्माना नहीं चुका सकता, उसी तरह हम असहाय है क्रूस के बिना, जो की हमारा एकमात्र बचाव का रास्ता है।

मनुष्य खो गया है और वो खुद को नहीं बचा सकता। वचन सिखाता है कि हम सभी ने परमेश्वर के शासन से अलग रहकर पाप किया है, जिसे यह उसके स्तर से कम होने का व्याख्या करता है। पाप, तीरंदाज़ी शब्द से आता है, जैसे की निशाने का चूकना, और यह परमेश्वर की सिद्धता को पाने में हमारी असफलता का सही ढंग से वर्णन करता है। पाप हमें परमेश्वर से दूर करता है, जैसा की यशयाह में बताया गया है: “तुम्हारे पापों के कारण उसका मुँह तुम से ऐसा छिपा है।“पौलुस इसी दावे के साथ कहता है, “क्योंकि सभी ने पाप किया है और सभी परमेश्वर की महिमा से रहित है।“ (रोमियो 3:23)

हमारी बग़ावत का आखिरी परिणाम और सजा मृत्यु और नरक है।

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। (रोमियो 6:23)

पवित्र शास्त्र

दिन 2

इस योजना के बारें में

यीशु क्यों मारा गया?

महात्मा गांधी पर, जे॰ बी॰ कृपलानी द्वारा लिखे गए जीवनी के 200 पन्नों में से केवल 5 पन्ने, यानी 0.5% से भी कम, उनके मृत्यु के बारे में बताते हैं, जो जीवनियों में एक आम बात है। इसके विपरीत, बाइबिल के नए नियम के हर एक सुसमाचार का लगभग 33% यीशु के मृत्यु और जी उठने पर केन्द्रित है, जो कि सुसमाचार संदेश के लिए बहुत ज़रूरी है।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Nayi Manzil को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://www.facebook.com/nayi.manzil