परमेश्वर प्रगट हुए - नये नियम की यात्रा भाग 3 - शक्तिशाली पत्रनमूना
1 यूहन्ना संगति का आनन्द उठाएं
हमें परमेश्वर और दूसरों के साथ संगति करने के लिए रचा गया है। हमें मधुर रिश्तों का आनन्द उठाने के लिए रचा गया है। जबकि पाप ने इस आदर्श को बिगाड़ दिया है,मसीह इसे वर्तमान काल में आंशिक रूप से पुनःस्थातिपत कर रहे हैं- और बाद में इसे पूर्ण रूप से पुनःस्थापित करेगें। जिस काम के लिए हमें रचा गया हैं क्या हम उसका आनन्द मना रहे हैं?
ज्योति में चलें(1 यूहन्ना 1,2)
ज्योति अंधकार को दूर करती है। इस प्रकार के जीवन की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैंः
· परमेश्वर और उसके लोगों के साथ संगति (1 यूहन्ना 2:3,6) - तभी संभव है जब हमारा जीवन मसीह को प्रतिबिम्बित करता हो।
· यीशु के लहू के द्वारा सारे पापों से शुद्धता (1 यूहन्ना 1:7)-एक कार्यरत प्रक्रिया
· आज्ञाकारिता (1 यूहन्ना 2:3) - हम आज्ञाओं का पालन करने पर ही कह सकते हैं कि हम आज्ञाओं को जानते हैं
· ज्ञान (1 यूहन्ना 2:3) - एक ईश्वरीय जीवन और कामों के माध्यम से ज्ञान प्रगट होता है
· प्रेम (1 यूहन्ना 2:10)- मसीह में हमारी स्थिति को दर्शाता है और इसका उलट भी समान ही है।
· शुद्धता में बढ़ें (1 यूहन्ना 3,5)
· शुद्धता के लिए अनुकूल वातावरण निम्नलिखित चीज़ों द्वारा तैयार होता हैः
· (भविष्य में) दृढ़ आशा (1 यूहन्ना 3:3)
· अनन्त बीज़ (1 यूहन्ना 3:9)
· परमेश्वर का माहौल (आसपास में) (1 यूहन्ना 3:24) - बनें रहने का अर्थ स्थिर रहना है। यह एक मानसिक,शारीरिक,आत्मिक,भावनात्मक अनुकूल माहौल है।
· प्रार्थना में आत्मविश्वास (ऊपर की ओर) (1 यूहन्ना 3:21,22;5:14,4:16) - जब हम उसकी इच्छा और अपने विवेक के अनुरूप होते हैं।
यूहन्ना कहता है कि प्रार्थना केवल उन पापों के लिए की जा सकती है “जिसका परिणाम मृत्यु नहीं है।” उदाहरण के लिए,पापों को बार-बार जानबूझकर इस हद तक न दोहराया जाए जहां से वापस आना ही मुश्किल हो। परमेश्वर का बार बार इनकार करने से क्षतिपूर्ति करने का कोई अवसर बाकि नहीं रहता।
आत्माओं को परखो(1यूहन्ना 4)
संसार और कलीसिया में पहले भी झूठे भविष्यद्वक्ताओं की भरमार थी और आज भी है। वे लोगों को भरमाने के लिए लुभाने वाली और करिश्माई कहानियां सुनाकर वचन को धुमा देते हैं। हम उन्हें कैसे पहिचान सकते हैं?
गलत शिक्षकों का अनुसरण करने वाले असंख्य लोग हैं जो दूसरों को भी गलत शिक्षाएं देते हैं। हम उन्हें पहिचानने के बावज़ूद कैसे सही शिक्षाओं में बने रहते हैं?
यूहन्ना चार प्रकार की आत्माओं के बारे में बताता हैः
· मसीह की आत्मा(1यूहन्ना 4:2)- यीशु को परमेश्वर के पुत्र और अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करेगा। वह मसीह के समान जीवन व्यतीत करेगा।
· मसीह विरोधी का आत्मा(1यूहन्ना 4:3)-धोखेबाज़ होगा,लोगों को मसीह से दूर ले जाएगा। शैतान ने संसार और अपने कब्ज़ें में कर रखा है (1यूहन्ना 5:19) और उसके लोग हर जगह पर मौज़ूद हैं।
· सत्य का आत्मा(1यूहन्ना 4:6,5:3)- स्थिर विवेक,परमेश्वर की बातों को मानने वाले,आनन्द के साथ शिक्षाओं को मानने वाले। जो परमेश्वर की आज्ञाओं को कोई बोझ नहीं समझते।
· झूठ की आत्मा(1यूहन्ना 4:1,6)- निर्बल विवेक,शैतान की बातों को मानने वाले,मसीह की शिक्षाओं के प्रति अनाज्ञाकारी।
हमारी क्या स्थिति है?यूहन्ना सरलता और स्पष्टता से कहता है कि जिस व्यक्ति के पास मसीह है उसके पास पहले से ही अनन्त जीवन है (1यूहन्ना 5:11,12)। उसके जीवन में सत्य का आत्मा प्रबल होता है। वह अपने उद्धार के प्रति सुनिश्चित होता है।
क्या हम सत्य के आत्मा की आवाज़ को सुनते हैं जो हमारे विवेक में होकर बात करता है?क्या हम अपने उद्धार के प्रति सुनिश्चित हैं?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
उन्होंने प्रारम्भिक कलीसिया को हिला दिया था। यीशु के सबसे नज़दीकी चेलों यूहन्ना,पतरस, उसके भाई याकूब और यूहन्ना के द्वारा लिखी पत्रियां, लोगों के विचारों को लगातार प्रभावित करती हैं। वे अंधकार की शक्तियों और अंधकारमय युगों के आक्रमणों का सामना करने तथा उस से सुरक्षा पाने के लिए हमें तैयार करते हैं।
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نود أن نشكر Bella Pillai على تقديم هذه الخطة. لمزيد من المعلومات، يرجى زيارة الموقع: https://www.bibletransforms.com/