परमेश्वर प्रगट हुए - नये नियम की यात्रा भाग 3 - शक्तिशाली पत्रनमूना

परमेश्वर प्रगट हुए - नये नियम की यात्रा भाग 3 - शक्तिशाली पत्र

दिन 2 का 7

याकूब - सबकुछ या कुछ भी नहीं

बाइनरी कोड अर्थात द्विआधारी संख्या ने इस संसार को कम्प्यूटर क्रान्ति के द्वारा अपने अधिकार में ले लिया है। यह अब हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक हिस्सा बन गया है। वर्तमान में आत्मिक क्षेत्र भी विभिन्न प्रकार के द्विआधारी दृष्टिकोणों द्वारा संचालित किया जा रहा है। याकूब इन्हें बहुत ही अनोखे तरीके से प्रकाशित करता है। जब हम मसीह का अनुसरण करते हैं तो हम या तो सक्रिय(1) होते हैं या निष्क्रिय(0)। इसके बीच में कुछ और नहीं होता है (याकूब 1:10)।

याकूब स्पष्ट रूप से (याकूब 1:22) में लोगों में अन्तर को दिखाता हैः

· कार्यकर्ता (1)

· धोखेबाज़ (0)

अन्त में याकूब बीच की श्रेणी में आने वाले घुमक्कड़ों के बारे में भी बात करता है जो अन्त में किसी भी श्रेणी में लुड़क जाते हैं।

याकूब के हिसाब से ब्राइनरी अर्थात द्विआधारी दृष्टिकोण में 10 पहलू होते हैं- इनमें से प्रत्येक में हम कार्यकताओं के सकारात्मक और धोखेबाज़ों के नकारात्मक लक्षणों को देखते हैं।

· दो प्रकार की प्रवृतियां- दृढ़ (याकूब 1:2-4) या शिकायत करने वाली (याकूब 5:2) परीक्षाएं हमें सिद्धता प्राप्त करने में सहायता करती हैं। शिकायत हमें दोष लगाने वाला बनाती हैं।

· दो प्रकार की प्रार्थनाएं (याकूब 1:6-8)- साहसिक या संदेहात्मक। एक साहसिक प्रार्थना परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करती है उसका झुकाव हमारी अभिलाषाओं की ओर नहीं होता।

· दो प्रकार के घमण्ड (याकूब 1:9,10)- मसीह में या निन्दा मेंः घमण्डी को निन्दा का सामना करना होगा जबकि नम्र व्यक्ति की सराहना होगी।

· दो प्रकार का सुनना - सुनकर करने वाले या सिर्फ सुनने वाले (याकूब 1:23-24) हृदय की गहराई से सुनने पर हमारा और हमारे आसपास के लोगों को जीवन परिवर्तित होता है।

· दो प्रकार के धर्म - शुद्ध और निष्कलंक या बेकार (याकूब 1:27) धर्म के द्वारा हमारा सम्बन्ध परमेश्वर तथा अन्य लोगों के साथ मज़बूत होना चाहिए।

· दो प्रकार की धन सम्पत्ति - परमेश्वर का राज्य या संसार (याकूब 2:5) क्या हम अनन्तता में निवेश कर रहे हैं या फिर संसार में खर्च कर रहे हैं।

· दो प्रकार के विश्वास - काम कर रहे हैं या घबरा रह हैं (याकूब 2:19) यदि हम अपने विश्वास के अनुसार कर्म नहीं करते हैं,तो नतिज़ा सामने आने पर हमारे हाथ पांव कांपने लगते हैं।

· दो प्रकार के उपदेश- मीठा या कड़वा (याकूब 3:3,6,11) सच्ची बातें हमारे मन से निकलती हैं और उन्हें छिपाया नहीं जा सकता।

· दो प्रकार की बुद्धि- परमेश्वर की बुद्धि या संसार की बुद्धि (याकूब 3:17) हो सकता है कि हम मानवीय नज़रिये से तेज़ या चतुर न हों लेकिन यदि हम खोज करें तो हमें परमेश्वर की समझ का धन प्राप्त हो सकता है।

· दो प्रकार की मित्रता- परमेश्वर के साथ या संसार के साथ (याकूब 4:4) हम दोनों के साथ गहरा सम्बन्ध नहीं बना सकते।

· घुमक्कड़ या आवारा लोग वे बहुमूल्य जीवन हैं जिन्हें बचाने की आवश्यकता है। ” उन्हें अपनी सूची से न मिटाएं। उनके पीछे जाएं। उन्हें वापस ले आएं।“ याकूब 5:19,20। घुमक्कड़ों की महामारी को रोकें।

कौन से पहलुओं के साथ हम अपने आप को समझौता करते हुए पा रहे हैं?कौन सा पहलू हमें सर्वाधिक चुनौतिपूर्ण लग रहा है?हम सभी पहलुओं में स्पष्ट ”1“ कैसे पा सकते हैं और ”काम करने वाले“ कैसे बन सकते हैं?

पवित्र शास्त्र

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

परमेश्वर प्रगट हुए - नये नियम की यात्रा भाग 3 - शक्तिशाली पत्र

उन्होंने प्रारम्भिक कलीसिया को हिला दिया था। यीशु के सबसे नज़दीकी चेलों यूहन्ना,पतरस, उसके भाई याकूब और यूहन्ना के द्वारा लिखी पत्रियां, लोगों के विचारों को लगातार प्रभावित करती हैं। वे अंधकार की शक्तियों और अंधकारमय युगों के आक्रमणों का सामना करने तथा उस से सुरक्षा पाने के लिए हमें तैयार करते हैं।

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نود أن نشكر Bella Pillai على تقديم هذه الخطة. لمزيد من المعلومات، يرجى زيارة الموقع: https://www.bibletransforms.com/