परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)नमूना
दानिय्येल,परमेश्वर द्वारा अति सम्मानित
बाइबल के सर्वाधिक प्रचलित चरित्रों में से एक दानिय्येल है, विशेष करके व्यवसायियों और व्यापारियों के बीच में। चरित्र में उत्कृष्ठता, संसार पर प्रभाव और वचन की आत्मिक गहराई का ज्ञान रखने के कारण,वह एक सिद्ध आदर्श के रूप में नज़र आता है।
लेकिन दानिय्येल के जीवन की उच्च गुणवत्ता के कारण उसे मनुष्यों की ओर से उच्च सम्मान नहीं मिला,वह सम्मान उसे परमेश्वर ने दिया (दानिय्येल9:23,10:11)। यही एक प्रत्यय पत्र हैं जिसके लिए हमें महत्वाकांक्षी होना चाहिए।
इस्राएल पर कब्ज़ा करने के बाद,बेबीलोन के राजा,नबूकदनेस्सर ने, बन्धकों में से निणुण व योग्य जवानों को चुना, ताकि उन्हें राजकीय सेवा के लिए तैयार किया जा सके।
उनकी मांगें
- उनका राजकीय घरानों से होना जरूरी था
- उनकी आयु14-17वर्षोंके बीच में होनी थी
- उन्हें स्वस्थ व रूपवान होना जरूरी था
- उनके भीतर मानसिक अन्तर्दृष्टी,ज्ञान और समझ का होना आवश्यक था
- उनके पास व्यक्तिव्य व सामाजिक तौर पर सन्तुलन होना बहुत ज़रूरी था
मन परिवर्तित करने वाली प्रक्रिया
यह प्रशिक्षण अति प्रचण्ड होती थी,जिसे इस मनसा से तैयार किया गया था कि जवानों को पूरी तरह सेबेबीलोनके तौर तरीकों में डुबो दिया जाए। वह प्रशिक्षण का दौर तीन वर्षों का हुआ करता था (दानिय्येल1:5)
- वे कसदियों के शास्त्र और भाषा की शिक्षा प्राप्त किया करते थे (दानिय्येल1:4)।
- जिनमें, शकुन, जादू-टोने की विद्या, प्रार्थनाएं, उनके गीत, मतों, दन्तकथाओं, शीशा बनाने के लिए वैज्ञानिक सूत्रों,गणित और ज्योतिष विद्या सीखना शामिल था।
- उन्हें राजकीय सुविधाएं प्रदान की जाती थीं- अर्थात उनका भोजन और पेयजल राजा की मेज़ पर से आया करता था (दानिय्येल1:5)
- उन्हें नई पहिचान भी दी जाती थी - उनके नाम बेबीलोन के देवी देवताओं को महिमा देने के लिए उन्हीं के नाम पर रखे जाते थे। यह कार्य उनके परिवार से उनका सम्बन्ध तोड़ने तथा उन्हें बेबीलोन की जीवन शैली से जोड़ने के लिए किया जाता था।
दानिय्येल की दृढ़ता
जब वे श्रेष्ठता को प्राप्त कर रहे थे, तब एक दुविधा के सामने आने पर, उसने और उसके मित्रों ने कोई समझौता नहीं किया और न ही वहां के लोगों की बातों में आएः
- भोजन–उन्होंने बहुत समझबूझ के साथ राजा के भोजन को खाने से इनकार कर दिया और यह साबित किया कि शाकाहारी भोजन भी मांसाहारी भोजन के समान ही सेहतमन्द होता है। (दानिय्येल1:8)
- उपासना–उन्होंने न तो बेबीलोन के राजा और न ही वहां के देवी देवताओं की उपासना की (दानिय्येल3:12)
- ईमानदारी–उसके प्रतिद्वन्दी यह जान गये थे कि उसे केवल उसके परमेश्वर के साथ सम्बन्ध के क्षेत्र में ही दोषी पाया जा सकता है। (दानिय्येल6:5)
- प्रार्थना–आदेश से पहले और आदेश के बाद भी, दानिय्येल दिन में तीन बार प्रार्थना करने की अपनी रीति से पीछे नहीं हटा। (दानिय्येल6:10)
- बुद्धि–परमेश्वर ही उन्हें बुद्धि दिया करते थे (दानिय्येल1:7)
परमेश्वर की ओर से प्रतिक्रिया
परमेश्वर उनके साथ खड़े होते हैं और वहः
- उनके साथ आग में चलते हैं (दानिय्येल3:25)
- उस पर अपना अनुग्रह करते हैं (दानिय्येल6:3)
- व्यक्तिगत रूप में प्रार्थना का उत्तर देते हैं (दानिय्येल9,10)
- सिंह के मुंह को बन्द करते हैं (दानिय्येल6)
दानिय्येल,
अपने असाधारण कौशल की वजह से नहीं
परन्तु वह अपनी असाधारण आत्मा के कारण,प्रतिष्ठित हुआ था
और दानिय्येल तीन राजाओं के राज्य काल में“सेवा करता रहा”(दानिय्येल1:21,12:13)।
एक भ्रष्ट संसार में,हम किस प्रकार से दृढ़ खड़े रहते और दीर्घआयु प्राप्त करते हैं? क्या हमारी ईमानदारी हमारे प्रतिद्वन्दियों के सामने भी स्थिर बनी रहती है? क्या हम सभी क्षेत्रों में ज़िम्मेदारी निभाने के क्षेत्र में बढ़ते और संसार की ओर से सम्मान प्राप्त करने की बजाय परमेश्वर की ओर से सम्मान की खोज करते हैं?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
राजाओं के असफल होने के कारण भविष्यद्वक्ताओं के बारे में अधिक चर्चा की जाने लगी, जो अगुवों और परमेश्वर के जनों को परमेश्वर द्वारा किये जाने वाले न्याय के प्रति चेतावनी देने लगे। एक सच्चे भविष्यद्वक्ता के विरूद्ध बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता खड़े हो जाते थे जो लोगों को मोहमाया और विलासता के जीवन में पुनः धकेलना चाहते हैं।
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