परिवर्तन की पुकारनमूना
ईश्वरीय दुःख
इस संसार में संकट की कमी नहीं है|पाप और अधर्म; दुख,परेशानी और कलह को जन्म देते हैं, यह हमारी मानवीय स्थिति कीवास्तविकता है।
संकट और पीड़ा की समस्या शारीरिक या भावनात्मक नहीं बल्कि आध्यात्मिक है और इनकोआध्यात्मिक समाधान की आवश्यकता है।
परमेश्वर के साथ अपनी यात्रा शुरू करने और अपने जीवन को प्रतिबिंबित पर गौर करने और जायजा लेने के लिए संकट एक अच्छी शुरुवाती स्थान है। सभी आध्यात्मिक आरोहण इस एहसास के साथ शुरू होते हैं कि जीवन के हर क्षेत्र में हम परमेश्वर को केंद्रीय और अभिन्न अंग बनायें।
हम संकट को अपने पास आने से नहीं रोक सकते, लेकिन परिस्थितियों को हमें परेशान करने से तो रोक सकते हैं। यदि हम भीतर से परिवर्तन की आवश्यकता को पहचाने, तो हम बढ़तीमात्रा में के साथ परिस्थितियों से ऊपर उठेंगे।
क्या आपके सामने संकट के क्षेत्र हैं? उनका जायजा लें, उन चीजों को सूचीबद्धकरें जिन्हें आपको अपने भीतर बदलना है और फिर उन्हें प्रभु के पास ले जाएं, पश्चाताप के आवश्यक कदम उठाने के लिए अनुग्रह मांगे !
हर यात्रा एक जरूरत के स्थान पर शुरू होती है, अपने संकट को जरूरत के स्थान बनाये!
इस योजना के बारें में
बिना किसी बदलाव के जीवन ठहर जाता है और ख़ुद को प्रदूषित कर देता है। यह, व्यक्ति को आशाहीनता , मायूसी और पराजय की भावना के साथ छोड़ देता है। किसी भी आत्मा के लिए सबसे अच्छी आशा यह हैं की वे अपनी भीतरी निराशा और हताशा को पहचाने और उस से मुड़ने और परिवर्तित होने के लिए इश्वरीय सहायता प्राप्त करें।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए डोनाल्ड डा कोस्टा को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/harvestofgracechurch/ |