परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )नमूना
मूसा - विनम्र विश्वास
वह मिस्र में पैदा हुआ, सबसे शक्तिशाली राष्ट्र में पालन-पोषण हुआ, वह परमेश्वर की दृष्टि में सुन्दर था (प्रेरितों 7)। मूसा सांसारिक ज्ञान, शक्ति और धन के साथ-साथ आत्मिक शक्ति सबसे अच्छा धारक था। वह दोनों परिस्थितियों में एक अगुवे के रूप में उत्कृष्ट था । अपने जीवन के पहले चालीस वर्षो में महल में प्रशिक्षण से, फिर उसे परमेश्वर के द्वारा उसके जीवन के अंतिम चालीस वर्षों में अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए जंगल में प्रशिक्षित किया गया था – अर्थात महिमामय निर्गमन से प्रतिज्ञा के देश तक अगुवाई करने के लिए।
महल का प्रशिक्षण
उसके जन्म के समय, विश्वास ही सेउसके मातापिता ने उसे छिपा रखा, “और वे राजा की आज्ञा से न डरे”(इब्रानियों 11:23)। शायद यह जानते हुए कि कोई बचाने वाला खड़ा हो सकता है, इसलिए फिरौन इब्रियों के उत्पन्न होने वाले बेटों की हत्या करने की आज्ञा देता है। कुछ में से, मूसा न केवल बचाया गया बल्कि अनजाने में फिरौन की बेटी के द्वारा महल में पालन-पोषण के लिए उठा लिया जाता है। हालाँकि वह बाद में परमेश्वर के सामने बोलने में कमज़ोर होने का दावा करता है, मिस्र में “वह वचन और कर्म दोनों में सामर्थी था” (प्रेरितों 7:22)। अपनी ऐश्वर्यशाली स्थिति और उपलब्धियों के बावजूद, वह इस्राएलियों के कष्टों की पहचान करता है तथा उनमें शामिल हो जाता है।
दो लड़ते हुए इस्राएलियोंके बीच मेल-मिलाप कराते समय - एक ने उसे यह कहकर हटा दिया, कि “तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है?” (प्रेरितों 7:27)। इस कथन को वचन 35 में इस्राएलियोंकी मानसिकता के रूप में दोहराया गया है जो मूसा को अस्वीकार करते हैं, जबकि वह उनकी यह जानने में मदद करने की कोशिश करता है कि परमेश्वर ने उसे उनकेछुड़ानेवाले के रूप में तैयार किया है (वचन 25)।
ईश्वरीय प्रशिक्षण
अपने ही लोगों का कठोर तरीके से जवाब देना मूसा को चोट पहुँचाता है (प्रेरितों 7:29)। परमेश्वर उसमें एक चरवाहे का हृदय विकसित करतेहैं जो कि परमेश्वर के लोगों की चरवाही करने के लिए आवश्यक था। राजा दाऊद भी ऐसी ही स्थिति का सामना करता है भजन 78:70-72। मूसा एक जाति को इस संसार के सबसे नाटकीय निर्गमन द्वारा छुड़ाने और एक विद्रोही जाति के लिए परमेश्वर की आवाज होने के लिए तैयार थे।
उद्देश्यपूर्ण जीवन
परमेश्वर उसे जलती हुई झाड़ी में इस्राएल को छुड़ाने और उसकी अगुवाई करने के लिए चुनते हैं। वे लगातार उसका विद्रोह करते तथा उस से अपना मुँह फेरते रहे (प्रेरितों 7:36,39)
जबकि विद्रोह बड़े पैमाने पर था, लेकिन वह परमेश्वर के सामने सबसे विनम्र बना रहा (गिनती 12:3):
- संसार के सबसे बड़े धन के बावजूद
- परमेश्वर की बड़ी सामर्थ्य के बावजूद
अंत तक वह स्पष्ट वह सारी चीजों को समझ सकता था। परमेश्वर ने स्वयं उसे दफनाता और उसे प्रतिज्ञा की देश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। हालांकि, रूपांतरण के पर्वत पर , वह एलिय्याह के साथ यीशु के साथ प्रतिज्ञा की देश में दिखाई देता है।
क्या हम बार-बार तिरस्कार के बाद भी, परमेश्वर के लोगों की सेवा करने के लिए दृढ़ रहते हैं? क्या हम इतने विनम्र हैं कि परमेश्वर हमें अपने उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सके?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
पुराने नियम में, परमेश्वर ने लोगों (संपर्क) को चुना, उनके साथ अनेकों तरीकों से बातचीत की।यह, नए नियम के प्रकाश में, वचन के गहरे दृष्टिकोण को प्रदान करता है। परमेश्वर के संपर्को के चार भाग हैं, जिसमे पहला भाग पुराने नियम के कुलपतियों का काल है – जिसमे प्रमुख लोगों के आधार अर्थात विश्वास की चर्चा की गयी है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए बेला पिल्लई को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://www.bibletransforms.com/