उदारता में महारतीनमूना

उदारता में महारती

दिन 2 का 5

उदारता एक बहुत सुन्दर शब्द है, है न? यह शब्द आसानी से हमारी जुबान से बहता है और इसके उच्चारण से आनन्ददायक, असाधारण तरीके से देने और प्राप्त करने की तस्वीर सामने आती है। 

भण्डारीपन, दूसरी ओर, बहुत भारी और बहुत लोगों के लिए एक गम्भीर ध्वनि प्रदान करने वाला शब्द जान पड़ता है- यह एक कर्तव्य है और इसमें खर्च करने की सीमाएं हैं। 

हालांकि, बाइबल आधारित भण्डारीपन वास्तव में एक सुन्दर बात है क्योंकि यह परमेश्वर द्वारा हमें दिया गया अदभुत सौभाग्य है। भण्डारीपन के कारण ही उदारता इनती श्रेष्ट है। 

सच्ची उदारता इस समझ से बहती है कि परमेश्वर ही सब चीजों का स्वामी है। उसकी अर्थ व्यवस्था में, अच्छा भण्डारीपन अपने स्वभाव से ही उदार और आनन्दमय होता है; वह अपने संसाधनों को बहुतायत से अपने उद्देश्य और अपने लोगों में खर्च करता है ताकि वे उसका आनन्द उठा सकें। यदि हम बाइबल के आधार पर उदारता को समझना चाहते हैं, तो हमें भण्डारी पन को नये चश्मों से देखना होगा- हमें उसे रूचीहीन कर्तव्य के तौर पर कम और उत्सुकतापूर्ण अवसर के रूप में ज़्यादा देखना होगा। 

एक बात तो यह विश्वास करना है कि जो कुछ हमारे पास है वह सब परमेश्वर का है। लेकिन इस सत्य का हमारे हृदयों में घर कर जाना या बस जाना दूसरी बात है जिसे हम महसूस कर सकते और पकड़ सकते हैं; और जब ऐसा होता है तो हमारा जीवन परिवर्तित हो जाता है। 

हम केवल सैद्धान्तिक ज्ञान को रखने की बजाय व्यवहारिक तौर पर महारती हो जाऐगें। हम कर्तव्य पूरा करने से काम का मज़ा लेने वाले बन जाएगे; हम केवल नियमों का पालन करने वालों से साहसिक बातों को साझा करने वाले बन जाएगे। हम सवेरे उठ कर सोचते हैं कि परमेश्वर के समय के साथ क्या करेगें या हम उसके पैसों को कैसे खर्च करेगें। हम सोचते हैं कि हम अपने जीवन साथी और बच्चों और जिन मित्रों को परमेश्वर ने हमारे हाथों में सौंपा है उनके साथ हम कैसे व्यवहार करेगें। 

सिद्धान्त यह हैः जो कुछ हमारे पास है वह परमेश्वर का है, और उसने कुछ समय के लिए उन सारी चीजों को हमारे हाथों में सौंपा है ताकि हम उसकी इच्छा के अनुसार उनकी देखभाल करें। हम परमेश्वर के घराने के व्यापार को संभालने वाले प्रबन्धक हैं। 

हम इसकी एक बड़ी तस्वीर को पुराने नियम में युसुफ की कहानी में देखते हैं। पोतिपर ने यूसुफ को अपने सारे घरे की जिम्मेदारियों पर भण्डारी बना दिया था। उसने यूसुफ को हर चीज का अधिकार देकर उसे अधिकारी बना दिया था। यूसुफ घर को चलाता था, सारा बहिखाता देखता था, और सारी बातों की जानकारी अपने स्वामी को दिया करता था। 

जो बात मैं यहां पर इस सिद्धान्त के जरिये कहना चाहता हूं वह यह नहीं है कि परमेश्वर सारी चीजों का स्वामी है और हम उन सारी चीजों को देखने वाली उसके भण्डारी हैं। यहां पर गहरा मुद्दा भरोसा है- यह एक रिश्ते से जुड़ा मामला है। एक भण्डारी का भरोसेमन्द होना बहुत ज़रूरी होता है। जो कुछ हमारे पास है उसे परमेश्वर ने हमें एक उद्देश्य के लिए दिया है- इसलिए हम उसके साथ मिलकर उसके उद्देश्य को पूरा कर सकते और हम यह भी प्रगट कर सकते हैं कि हमारी वास्तविक प्राथमिकताएं क्या हैं। 

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

उदारता में महारती

उदारता में महारती, नामक पुस्तक में से ली गयी अध्ययन करने की पांच दिनों की योजना में, चिप इंग्राम बताते हैं किस प्रकार से हम वह महारती या निपुण लोग बन सकते हैं जिसके लिए हमें रचा गया था- अर्थात वे लोग जो उदारता में निपुण होने के लाभ को समझते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज ऑन लिविंग को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/