शोक-गीत 1:1-12

शोक-गीत 1:1-12 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली बैठी हुई है! वह क्यों एक विधवा के समान बन गई? वह जो जातियों की दृष्‍टि में महान् और प्रान्तों में रानी थी, अब क्यों कर देनेवाली हो गई है। रात को वह फूट फूटकर रोती है, उसके आँसू गालों पर ढलकते हैं; उसके सब यारों में से अब कोई उसे शान्ति नहीं देता; उसके सब मित्रों ने उससे विश्‍वासघात किया, और उसके शत्रु बन गए हैं। यहूदा दु:ख और कठिन दासत्व से बचने के लिये परदेश चली गई; परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती; उसके सब खदेड़नेवालों ने उसकी सकेती में उसे पकड़ लिया है। सिय्योन के मार्ग विलाप कर रहे हैं, क्योंकि नियत पर्वों में कोई नहीं आता है; उसके सब फाटक सुनसान पड़े हैं, उसके याजक कराहते हैं; उसकी कुमारियाँ शोकित हैं, और वह आप कठिन दु:ख भोग रही है। उसके द्रोही प्रधान हो गए, उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं, क्योंकि यहोवा ने उसके बहुत से अपराधों के कारण उसे दु:ख दिया है; उसके बाल–बच्‍चों को शत्रु हाँक हाँक कर बँधुआई में ले गए। सिय्योन की पुत्री का सारा प्रताप जाता रहा है। उसके हाकिम ऐसे हरिणों के समान हो गए हैं जिन्हें कोई चरागाह नहीं मिलती; वे खदेड़नेवालों के सामने से बलहीन होकर भागते हैं। यरूशलेम ने, इन दु:ख भरे और संकट के दिनों में, जब उसके लोग द्रोहियों के हाथ में पड़े और उसका कोई सहायक न रहा, तब अपनी सब मनभावनी वस्तुओं को जो प्राचीनकाल से उसकी थीं, स्मरण किया है। उसके द्रोहियों ने उसको उजड़ा देखकर ठट्ठों में उड़ाया है। यरूशलेम ने बड़ा पाप किया, इसलिये वह अशुद्ध स्त्री सी हो गई है; जितने उसका आदर करते थे वे उसका निरादर करते हैं, क्योंकि उन्होंने उसकी नंगाई देखी है; हाँ, वह कराहती हुई मुँह फेर लेती है। उसकी अशुद्धता उसके वस्त्र पर है; उसने अपने अन्त का स्मरण न रखा; इसलिये वह भयंकर रीति से गिराई गई, और कोई उसे शान्ति नहीं देता है। हे यहोवा, मेरे दु:ख पर दृष्‍टि कर, क्योंकि शत्रु मेरे विरुद्ध सफल हुआ है! द्रोहियों ने उसकी सब मनभावनी वस्तुओं पर हाथ बढ़ाया है; हाँ, अन्यजातियों को, जिनके विषय में तू ने आज्ञा दी थी कि वे तेरी सभा में भागी न होने पाएँगी, उनको उसने तेरे पवित्रस्थान में घुसा हुआ देखा है। उसके सब निवासी कराहते हुए भोजनवस्तु ढूँढ़ रहे हैं; उन्होंने अपना प्राण बचाने के लिये अपनी मनभावनी वस्तुएँ बेचकर भोजन मोल लिया है। हे यहोवा, दृष्‍टि कर, और ध्यान से देख, क्योंकि मैं तुच्छ हो गई हूँ। हे सब बटोहियो, क्या तुम्हें इस बात की कुछ भी चिन्ता नहीं? दृष्‍टि करके देखो, क्या मेरे दु:ख से बढ़कर कोई और पीड़ा है जो यहोवा ने अपने क्रोध के दिन मुझ पर डाल दी है?

शोक-गीत 1:1-12 पवित्र बाइबल (HERV)

एक समय वह था जब यरूशलेम में लोगों की भीड़ थी। किन्तु आज वही नगरी उजाड़ पड़ी हुई हैं! एक समय वह था जब देशों के मध्य यरूशलेम महान नगरी थी! किन्तु आज वही ऐसी हो गयी है जैसी कोई विधवा होती है! वह समय था जब नगरियों के बीच वह एक राजकुमारी सी दिखती थी। किन्तु आज वही नगरी दासी बना दी गयी है। रात में वह बुरी तरह रोती है और उसके अश्रु गालों पर टिके हुए है! उसके पास कोई नहीं है जो उसको ढांढस दे। उसके मित्र देशों में कोई ऐसा नहीं है जो उसको चैन दे। उसके सभी मित्रों ने उससे मुख फेर लिया। उसके मित्र उसके शत्रु बन गये। बहुत कष्ट सहने के बाद यहूदा बंधुआ बन गयी। बहुत मेहनत के बाद भी यहूदा दूसरे देशों के बीच रहती है, किन्तु उसने विश्राम नहीं पाया है। जो लोग उसके पीछे पड़े थे, उन्होंने उसको पकड़ लिया। उन्होंने उसको संकरी घाटियों के बीच में पकड़ लिया। सिय्योन की राहें बहुत दु:ख से भरी हैं। वे बहुत दु:खी हैं क्योंकि अब उत्सव के दिनों के हेतु कोई भी व्यक्ति सिय्योन पर नहीं जाता है। सिय्योन के सारे द्वार नष्ट कर दिये गये है। सिय्योन के सब याजक दहाड़ें मारते हैं। सिय्योन की सभी युवा स्त्रियाँ उससे छीन ली गयी हैं और यह सब कुछ सिय्योन का गहरा दु:ख है। यरूशलेम के शत्रु विजयी हैं। उसके शत्रु सफल हो गये हैं, ये सब इसलिये हो गया क्योंकि यहोवा ने उसको दण्ड दिया। उसने यरूशलेम के अनगिनत पापों के लिये उसे दण्ड दिया। उसकी संताने उसे छोड़ गयी। वे उनके शत्रुओं के बन्धन में पड़ गये। सिय्योन की पुत्री की सुंदरता जाती रही है। उसकी राजकन्याएं दीन हरिणी सी हुई। वे वैसी हरिणी थीं जिनके पास चरने को चरागाह नहीं होती। बिना किसी शक्ति के वे इधर—उधर भागती हैं। वे ऐसे उन व्यक्तियों से बचती इधर—उधर फिरती हैं जो उनके पीछे पड़े हैं। यरूशलेम बीती बात सोचा करती है, उन दिनों की बातें जब उस पर प्रहार हुआ था और वह बेघर—बार हुई थी। उसे बीते दिनों के सुख याद आते थे। वे पुराने दिनों में जो अच्छी वस्तुएं उसके पास थीं, उसे याद आती थीं। वह ऐसे उस समय को याद करती है जब उसके लोग शत्रुओं के द्वारा बंदी किये गये। वह ऐसे उस समय को याद करती है जब उसे सहारा देने को कोई भी व्यक्ति नहीं था। जब शत्रु उसे देखते थे, वे उसकी हंसी उड़ाते थे। वे उसकी हंसी उड़ाते थे क्योंकि वह उजड़ चुकी थी। यरूशलेम ने गहन पाप किये थे। उसने पाप किये थे कि जिससे वह ऐसी वस्तु हो गई कि जिस पर लोग अपना सिर नचाते थे। वे सभी लोग उसको जो मान देते थे, अब उससे घृणा करने लगे। वे उससे घृणा करने लगे क्योंकि उन्होंने उसे नंगा देख लिया है। यरूशलेम दहाड़े मारती है और वह मुख फेर लेती है। यरूशलेम के वस्त्र गंदे थे। उसने नहीं सोचा था कि उसके साथ क्या कुछ घटेगा। उसका पतन विचित्र था, उसके पास कोई नहीं था जो उसको शांति देता। वह कहा करती है, “हे यहोवा, देख मैं कितनी दु:खी हूँ! देख मेरा शत्रु कैसा सोच रहा है कि वह कितना महान है!” शत्रु ने हाथ बढ़ाया और उसकी सब उत्तर वस्तु लूट लीं। दर असल उसने वे पराये देश उसके पवित्र स्थान में भीतर प्रवेश करते हुये देखे। हे यहोवा, यह आज्ञा तूने ही दी थी कि वे लोग तेरी सभा में प्रवेश नहीं करेंगे! यरूशलेम के सभी लोग कराह रहे हैं, उसके सभी लोग खाने की खोज में है। वे खाना जुटाने को अपने मूल्यवान वस्तुयें बेच रहे हैं। वे ऐसा करते हैं ताकि उनका जीवन बना रहे। यरूशलेम कहता है, “देख यहोवा, तू मुझको देख! देख, लोग मुझको कैसे घृणा करते है। मार्ग से होते हुए जब तुम सभी लोग मेरे पास से गुजरते हो तो ऐसा लगता है जैसे ध्यान नहीं देते हो। किन्तु मुझ पर दृष्टि डालो और जरा देखो, क्या कोई ऐसी पीड़ा है जैसी पीड़ा मुझको है क्या ऐसा कोई दु:ख है जैसा दु:ख मुझ पर पड़ा है क्या ऐसा कोई कष्ट है जैसे कष्ट का दण्ड यहोवा ने मुझे दिया है उसने अपने कठिन क्रोध के दिन पर मुझको दण्डित किया है।

शोक-गीत 1:1-12 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जो नगरी लोगों से भरी-पूरी थी, अब वह उजाड़ पड़ी है; वह विधवा के सदृश अकेली हो गई। जो कभी राष्‍ट्रों में महान थी, जो कभी नगरों में रानी थी, अब वह दासी बन गई, वह दूसरे राज्‍यों को कर चुकाती है। वह रात में फूट-फूटकर रोती है। उसके गालों पर आंसू बहते हैं। उसके अनेक चाहनेवाले थे, पर अब उनमें से एक भी उसको सांत्‍वना नहीं देता, उसके मित्रों ने उसके साथ विश्‍वासघात किया। वे उसके शत्रु बन गए। अनेक दु:ख भोगने और कठोर गुलामी के बोझ से दबने के लिए यहूदा राष्‍ट्र को निर्वासित होना पड़ा; अब यहूदा अनेक राष्‍ट्रों में भटक रहा है; उसे कहीं ठौर नहीं मिला। जब वह संकट में रहता है, तब उसका पीछा करनेवाले उसको पकड़ लेते हैं। सियोन को जानेवाले मार्ग विलाप करते हैं, क्‍योंकि अब पर्व मनाने के लिए कोई वहां नहीं आता! सियोन के सब द्वार उजाड़ पड़े हैं; उसके पुरोहित कराह रहे हैं। उसकी कन्‍याएँ दु:ख से पीड़ित हैं; स्‍वयं सियोन नगरी दु:ख भोग रही है। सियोन के बैरी अब अगुए बन गए; उसके शत्रु खुशहाल हैं। सियोन के अपार अपराधों के कारण प्रभु ने उसको दु:ख भोगने के लिए विवश किया है। सियोन के निवासी शत्रु के सम्‍मुख बन्‍दी बनाए गए, और वे निर्वासित हो गए। सियोन के निवासियों का वैभव लुट गया; उसके शासक ऐसे मेढ़ों की तरह हो गए जिन्‍हें चरने को चरागाह नहीं मिलते। वे निर्बल हो गए, और अपने पीछा करनेवालों के आगे-आगे भागते हुए चल रहे हैं। ऐसे संकट और दु:ख-भरे दिनों में यरूशलेम को धन-समृद्धि की, वैभवपूर्ण दिनों की, उन वस्‍तुओं की याद आ रही है, जब प्राचीनकाल में ये वस्‍तुएँ उसके अधिकार में थीं। अब यरूशलेम के निवासी बैरियों के हाथ में पड़ गए; उनकी सहायता करनेवाला कोई न था; उसके पतन को देखकर उसके बैरी उसका मजाक उड़ाने लगे। यरूशलेम नगरी ने भयानक पाप किए थे, अत: सब उससे घृणा करने लगे। जो उसका आदर करते थे अब वे उसका अनादर करते हैं; क्‍योंकि उन्‍होंने उसकी नग्‍नता देख ली है। अब यरूशलेम नगरी स्‍वयं कराह रही है, और शर्म से अपना मुंह छिपा रही है। उसकी अशुद्धता उसके कपड़ों पर लिपटी है। उसने अपने अंत का विचार भी न किया। अत: वह विस्‍मित ढंग से पतन के गड्ढे में गिर पड़ी! उसे सांत्‍वना देनेवाला भी कोई नहीं है। ‘हे प्रभु, मेरे कष्‍टों को देख; क्‍योंकि शत्रु मुझ पर प्रबल हो गया!’ शत्रु ने उसका धन-वैभव लूटने के लिए अपना हाथ बढ़ाया है; हां, यरूशलेम नगरी को यह भी देखना पड़ा; विधर्मी राष्‍ट्र उसके पवित्र स्‍थान में घुस गए, जिनके विषय में तूने, प्रभु, यह आज्ञा दी थी, कि वे तेरी मंडली में प्रवेश नहीं करेंगे। अब उसके सब निवासी कराहते हुए भोजन की तलाश में भटक रहे हैं। वे अपने प्राण बचाने के लिए बहुमूल्‍य वस्‍तुओं के बदले में भोजन खरीद रहे हैं। ‘हे प्रभु, मेरे कष्‍ट को देख, मुझ पर ध्‍यान दे! क्‍योंकि मैं कितनी तिरस्‍कृत हो गई हूं।’ ‘ओ सब राहगीरो! तुम पर यह मुसीबत न आए! मुझे देखो, मुझ पर ध्‍यान दो। जो दु:ख मुझे दिया गया है क्‍या उस दु:ख के तुल्‍य अन्‍य दु:ख हो सकता है? प्रभु ने अपने क्रोध-दिवस पर यह दु:ख मुझे दिया है।

शोक-गीत 1:1-12 Hindi Holy Bible (HHBD)

जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली बैठी हुई है! वह क्यों एक विधवा के समान बन गई? वह जो जातियों की दृष्टि में महान और प्रान्तों में रानी थी, अब क्यों कर देने वाली हो गई है। रात को वह फूट फूट कर रोती है, उसके आंसू गालों पर ढलकते हैं; उसके सब यारों में से अब कोई उसे शान्ति नहीं देता; उसके सब मित्रों ने उस से विश्वासघात किया, और उसके शत्रु बन गए हैं। यहूदा दु:ख और कठिन दासत्व से बचने के लिये परदेश चली गई; परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती; उसके सब खदेड़ने वालों ने उसकी सकेती में उसे पकड़ लिया है। सिय्योन के मार्ग विलाप कर रहे हैं, क्योंकि नियत पर्वों में कोई नहीं आता है; उसके सब फाटक सुनसान पड़े हैं, उसके याजक कराहते हैं; उसकी कुमारियां शोकित हैं, और वह आप कठिन दु:ख भोग रही है। उसके द्रोही प्रधान हो गए, उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं, क्योंकि यहोवा ने उसके बहुत से अपराधों के कारण उसे दु:ख दिया है; उसके बाल-बच्चों को शत्रु हांक हांक कर बंधुआई में ले गए। सिय्योन की पुत्री का सारा प्रताप जाता रहा है। उसके हाकिम ऐसे हरिणों के समान हो गए हैं जो कुछ चराई नहीं पाते; वे खदेड़ने वालों के साम्हने से बलहीन हो कर भागते हैं। यरूशलेम ने, इन दु:ख भरे और संकट के दिनों में, जब उसके लोग द्रोहियों के हाथ में पड़े और उसका कोई सहायक न रहा, तब अपनी सब मनभावनी वस्तुओं को जो प्राचीनकाल से उसकी थीं, स्मरण किया है। उसके द्रोहियों ने उसको उजड़ा देखकर ठट्ठों में उड़ाया है। यरूशलेम ने बड़ा पाप किया, इसलिये वह अशुद्ध स्त्री सी हो गई है; जितने उसका आदर करते थे वे उसका निरादर करते हैं, क्योंकि उन्होंने उसकी नंगाई देखी है; हां, वह कराहती हुई मुंह फेर लेती है। उसकी अशुद्धता उसके वस्त्र पर है; उसने अपने अन्त का स्मरण न रखा; इसलिये वह भयंकर रीति से गिराई गई, और कोई उसे शान्ति नइीं देता है। हे यहोवा, मेरे दु:ख पर दृष्टि कर, क्योंकि शत्रु मेरे विरुद्ध सफल हुआ है! द्रोहियों ने उसकी सब मनभावनी वस्तुओं पर हाथ बढ़ाया है; हां, अन्यजातियों को, जिनके विषय में तू ने आज्ञा दी थी कि वे तेरी सभा में भागी न होने पाएंगी, उन को उसने तेरे पवित्रस्थान में घुसा हुआ देखा है। उसके सब निवासी कराहते हुए भोजनवस्तु ढूंढ़ रहे हैं; उन्होंने अपना प्राण बचाने के लिऐ अपनी मनभावनी वस्तुएं बेच कर भोजन मोल लिया है। हे यहोवा, दृष्टि कर, और ध्यान से देख, क्योंकि मैं तुच्छ हो गई हूँ। हे सब बटोहियो, क्या तुम्हें इस बात की कुछ भी चिन्ता नहीं? दृष्टि कर के देखो, क्या मेरे दु:ख से बढ़ कर कोई और पीड़ा है जो यहोवा ने अपने क्रोध के दिन मुझ पर डाल दी है?

शोक-गीत 1:1-12 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली बैठी हुई है! वह क्यों एक विधवा के समान बन गई? वह जो जातियों की दृष्टि में महान और प्रान्तों में रानी थी, अब क्यों कर देनेवाली हो गई है। रात को वह फूट फूटकर रोती है, उसके आँसू गालों पर ढलकते हैं; उसके सब यारों में से अब कोई उसे शान्ति नहीं देता; उसके सब मित्रों ने उससे विश्वासघात किया, और उसके शत्रु बन गए हैं। यहूदा दुःख और कठिन दासत्व के कारण परदेश चली गई; परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती; उसके सब खदेड़नेवालों ने उसकी सकेती में उसे पकड़ लिया है। सिय्योन के मार्ग विलाप कर रहे हैं, क्योंकि नियत पर्वों में कोई नहीं आता है; उसके सब फाटक सुनसान पड़े हैं, उसके याजक कराहते हैं; उसकी कुमारियाँ शोकित हैं, और वह आप कठिन दुःख भोग रही है। उसके द्रोही प्रधान हो गए, उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं, क्योंकि यहोवा ने उसके बहुत से अपराधों के कारण उसे दुःख दिया है; उसके बाल-बच्चों को शत्रु हाँक-हाँककर बँधुआई में ले गए। सिय्योन की पुत्री का सारा प्रताप जाता रहा है। उसके हाकिम ऐसे हिरनों के समान हो गए हैं जिन्हें कोई चरागाह नहीं मिलती; वे खदेड़नेवालों के सामने से बलहीन होकर भागते हैं। यरूशलेम ने, इन दुःख भरे और संकट के दिनों में, जब उसके लोग द्रोहियों के हाथ में पड़े और उसका कोई सहायक न रहा, अपनी सब मनभावनी वस्तुओं को जो प्राचीनकाल से उसकी थीं, स्मरण किया है। उसके द्रोहियों ने उसको उजड़ा देखकर उपहास में उड़ाया है। यरूशलेम ने बड़ा पाप किया, इसलिए वह अशुद्ध स्त्री सी हो गई है; जितने उसका आदर करते थे वे उसका निरादर करते हैं, क्योंकि उन्होंने उसकी नंगाई देखी है; हाँ, वह कराहती हुई मुँह फेर लेती है। उसकी अशुद्धता उसके वस्त्र पर है; उसने अपने अन्त का स्मरण न रखा; इसलिए वह भयंकर रीति से गिराई गई, और कोई उसे शान्ति नहीं देता है। हे यहोवा, मेरे दुःख पर दृष्टि कर, क्योंकि शत्रु मेरे विरुद्ध सफल हुआ है! द्रोहियों ने उसकी सब मनभावनी वस्तुओं पर हाथ बढ़ाया है; हाँ, अन्यजातियों को, जिनके विषय में तूने आज्ञा दी थी कि वे तेरी सभा में भागी न होने पाएँगी, उनको उसने तेरे पवित्रस्थान में घुसा हुआ देखा है। उसके सब निवासी कराहते हुए भोजनवस्तु ढूँढ़ रहे हैं; उन्होंने अपना प्राण बचाने के लिये अपनी मनभावनी वस्तुएँ बेचकर भोजन मोल लिया है। हे यहोवा, दृष्टि कर, और ध्यान से देख, क्योंकि मैं तुच्छ हो गई हूँ। हे सब बटोहियों, क्या तुम्हें इस बात की कुछ भी चिन्ता नहीं? दृष्टि करके देखो, क्या मेरे दुःख से बढ़कर कोई और पीड़ा है जो यहोवा ने अपने क्रोध के दिन मुझ पर डाल दी है?

शोक-गीत 1:1-12 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

कैसी अकेली रह गई है, यह नगरी जिसमें कभी मनुष्यों का बाहुल्य हुआ करता था! कैसा विधवा के सदृश स्वरूप हो गया है इसका, जो राष्ट्रों में सर्वोत्कृष्ट हुआ करती थी! जो कभी प्रदेशों के मध्य राजकुमारी थी आज बंदी बन चुकी है. रात्रि में बिलख-बिलखकर रोती रहती है, अश्रु उसके गालों पर सूखते ही नहीं. उसके अनेक-अनेक प्रेमियों में अब उसे सांत्वना देने के लिए कोई भी शेष न रहा. उसके सभी मित्रों ने उससे छल किया है; वस्तुतः वे तो अब उसके शत्रु बन बैठे हैं. यहूदिया के निर्वासन का कारण था उसकी पीड़ा तथा उसका कठोर दासत्व. अब वह अन्य राष्ट्रों के मध्य में ही है; किंतु उसके लिए अब कोई विश्राम स्थल शेष न रह गया; उसकी पीड़ा ही की स्थिति में वे जो उसका पीछा कर रहे थे, उन्होंने उसे जा पकड़ा. ज़ियोन के मार्ग विलाप के हैं, निर्धारित उत्सवों के लिए कोई भी नहीं पहुंच रहा. समस्त नगर प्रवेश द्वार सुनसान हैं, पुरोहित कराह रहे हैं, नवयुवतियों को घसीटा गया है, नगरी का कष्ट दारुण है. आज उसके शत्रु ही अध्यक्ष बने बैठे हैं; आज समृद्धि उसके शत्रुओं के पक्ष में है. क्योंकि याहवेह ने ही उसे पीड़ित किया है. क्योंकि उसके अपराध असंख्य थे. उसके बालक उसके देखते-देखते ही शत्रु द्वारा बंधुआई में ले जाए गए हैं. ज़ियोन की पुत्री से उसके वैभव ने विदा ले ली है. उसके अधिकारी अब उस हिरण-सदृश हो गए हैं, जिसे चरागाह ही प्राप्‍त नहीं हो रहा; वे उनके समक्ष, जो उनका पीछा कर रहे हैं, बलहीन होकर भाग रहे हैं. अब इन पीड़ा के दिनों में, इन भटकाने के दिनों में येरूशलेम को स्मरण आ रहा है वह युग, जब वह अमूल्य वस्तुओं की स्वामिनी थी. जब उसके नागरिक शत्रुओं के अधिकार में जा पड़े, जब सहायता के लिए कोई भी न रह गया. उसके शत्रु बड़े ही संतोष के भाव में उसे निहार रहे हैं, वस्तुतः वे उसके पतन का उपहास कर रहे हैं. येरूशलेम ने घोर पाप किया है परिणामस्वरूप वह अशुद्ध हो गई. उन सबको उससे घृणा हो गई, जिनके लिए वह सामान्य थी, क्योंकि वे उसकी निर्लज्जता के प्रत्यक्षदर्शी हैं; वस्तुतः अब तो वही कराहते हुए अपना मुख फेर रही है. उसकी गंदगी तो उसके वस्त्रों में थी; उसने अपने भविष्य का कोई ध्यान न रखा. इसलिये उसका पतन ऐसा घोर है; अब किसी से भी उसे सांत्वना प्राप्‍त नहीं हो रही. “याहवेह, मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए, क्योंकि जय शत्रु की हुई है.” शत्रु ने अपनी भुजाएं उसके समस्त गौरव की ओर विस्तीर्ण कर रखी है; उसके देखते-देखते जनताओं ने उसके पवित्र स्थान में बलात प्रवेश कर लिया है, उस पवित्र स्थान में, जहां प्रवेश आपकी सभा तक के लिए वर्जित था. उसके सभी नागरिक कराहते हुए भोजन की खोज कर रहे हैं; वे अपनी मूल्यवान वस्तुओं का विनिमय भोजन के लिए कर रहे हैं, कि उनमें शक्ति का संचार हो सके. “याहवेह, देखिए, ध्यान से देखिए, क्योंकि मैं घृणा का पात्र हो चुकी हूं.” “तुम सभी के लिए, जो इस मार्ग से होकर निकल जाते हो, क्या यह तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं? खोज करके देख लो. कि कहीं भी क्या मुझ पर आई वेदना जैसी देखी गई है, मुझे दी गई वह दारुण वेदना, जो याहवेह ने अपने उग्र कोप के दिन मुझ पर प्रभावी कर दी है?