कैसी अकेली रह गई है,
यह नगरी जिसमें कभी मनुष्यों का बाहुल्य हुआ करता था!
कैसा विधवा के सदृश स्वरूप हो गया है इसका,
जो राष्ट्रों में सर्वोत्कृष्ट हुआ करती थी!
जो कभी प्रदेशों के मध्य राजकुमारी थी
आज बंदी बन चुकी है.
रात्रि में बिलख-बिलखकर रोती रहती है,
अश्रु उसके गालों पर सूखते ही नहीं.
उसके अनेक-अनेक प्रेमियों में
अब उसे सांत्वना देने के लिए कोई भी शेष न रहा.
उसके सभी मित्रों ने उससे छल किया है;
वस्तुतः वे तो अब उसके शत्रु बन बैठे हैं.
यहूदिया के निर्वासन का कारण था
उसकी पीड़ा तथा उसका कठोर दासत्व.
अब वह अन्य राष्ट्रों के मध्य में ही है;
किंतु उसके लिए अब कोई विश्राम स्थल शेष न रह गया;
उसकी पीड़ा ही की स्थिति में वे जो उसका पीछा कर रहे थे,
उन्होंने उसे जा पकड़ा.
ज़ियोन के मार्ग विलाप के हैं,
निर्धारित उत्सवों के लिए कोई भी नहीं पहुंच रहा.
समस्त नगर प्रवेश द्वार सुनसान हैं,
पुरोहित कराह रहे हैं,
नवयुवतियों को घसीटा गया है,
नगरी का कष्ट दारुण है.
आज उसके शत्रु ही अध्यक्ष बने बैठे हैं;
आज समृद्धि उसके शत्रुओं के पक्ष में है.
क्योंकि याहवेह ने ही उसे पीड़ित किया है.
क्योंकि उसके अपराध असंख्य थे.
उसके बालक उसके देखते-देखते ही शत्रु द्वारा
बंधुआई में ले जाए गए हैं.
ज़ियोन की पुत्री से
उसके वैभव ने विदा ले ली है.
उसके अधिकारी अब उस हिरण-सदृश हो गए हैं,
जिसे चरागाह ही प्राप्त नहीं हो रहा;
वे उनके समक्ष, जो उनका पीछा कर रहे हैं,
बलहीन होकर भाग रहे हैं.
अब इन पीड़ा के दिनों में, इन भटकाने के दिनों में
येरूशलेम को स्मरण आ रहा है वह युग,
जब वह अमूल्य वस्तुओं की स्वामिनी थी.
जब उसके नागरिक शत्रुओं के अधिकार में जा पड़े,
जब सहायता के लिए कोई भी न रह गया.
उसके शत्रु बड़े ही संतोष के भाव में उसे निहार रहे हैं,
वस्तुतः वे उसके पतन का उपहास कर रहे हैं.
येरूशलेम ने घोर पाप किया है
परिणामस्वरूप वह अशुद्ध हो गई.
उन सबको उससे घृणा हो गई, जिनके लिए वह सामान्य थी,
क्योंकि वे उसकी निर्लज्जता के प्रत्यक्षदर्शी हैं;
वस्तुतः अब तो वही कराहते हुए
अपना मुख फेर रही है.
उसकी गंदगी तो उसके वस्त्रों में थी;
उसने अपने भविष्य का कोई ध्यान न रखा.
इसलिये उसका पतन ऐसा घोर है;
अब किसी से भी उसे सांत्वना प्राप्त नहीं हो रही.
“याहवेह, मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए,
क्योंकि जय शत्रु की हुई है.”
शत्रु ने अपनी भुजाएं उसके समस्त गौरव की
ओर विस्तीर्ण कर रखी है;
उसके देखते-देखते जनताओं ने
उसके पवित्र स्थान में बलात प्रवेश कर लिया है,
उस पवित्र स्थान में,
जहां प्रवेश आपकी सभा तक के लिए वर्जित था.
उसके सभी नागरिक कराहते हुए
भोजन की खोज कर रहे हैं;
वे अपनी मूल्यवान वस्तुओं का विनिमय भोजन के लिए कर रहे हैं,
कि उनमें शक्ति का संचार हो सके.
“याहवेह, देखिए, ध्यान से देखिए,
क्योंकि मैं घृणा का पात्र हो चुकी हूं.”
“तुम सभी के लिए, जो इस मार्ग से होकर निकल जाते हो, क्या यह तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं?
खोज करके देख लो.
कि कहीं भी क्या मुझ पर आई वेदना जैसी देखी गई है,
मुझे दी गई वह दारुण वेदना,
जो याहवेह ने अपने उग्र कोप के दिन
मुझ पर प्रभावी कर दी है?