फिलिप्पियों 3

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1मेरे भाइयो और बहिनो! अन्‍त में यह: आप प्रभु में आनन्‍दित रहें#3:1 अथवा, “विदाई”!#फिल 2:18; 4:4
खतना कराने वालों से सावधान रहें
आप लोगों को दुबारा वे ही बातें लिखने में मुझे कोई कष्‍ट नहीं, और इस में आपका कल्‍याण है। 2आप उन कुत्तों#3:2 अथवा, “श्‍वशील लोगों” से सावधान रहें, दुष्‍ट कार्यकर्ताओं से सावधान रहें, अंगच्‍छेद करने वालों से सावधान रहें।#प्रक 22:15 3सच पूछिए तो “खतने वाले” हम हैं; हम परमेश्‍वर के आत्‍मा से प्रेरित हो कर उपासना करते हैं और बाह्य प्रथाओं#3:3 अक्षरश: “शरीर” पर नहीं, बल्‍कि येशु मसीह पर गर्व करते हैं#रोम 2:29 - 4हालाँकि मैं भी बाह्य प्रथाओं पर गर्व कर सकता हूँ। यदि कोई यह समझता है कि वह बाह्य प्रथाओं पर गर्व कर सकता है, तो मैं और भी ऐसा कर सकता हूँ।#2 कुर 11:18,22 5आठवें दिन मेरा खतना हुआ था। मैं इस्राएली, बिन्‍यामिन वंशीय और इब्रानियों की इब्रानी सन्‍तान हूँ। व्‍यवस्‍था-पालन की दृष्‍टि से मैं फरीसी था।#प्रे 26:5; लू 1:59; 2:21 6मेरा धर्मोत्‍साह ऐसा था कि मैंने कलीसिया पर अत्‍याचार किया। व्‍यवस्‍था पर आधारित धार्मिकता की दृष्‍टि से मैं निर्दोष था।
7किन्‍तु मैं जिन बातों को लाभ समझता था, उन्‍हें मसीह के कारण हानि समझने लगा हूँ।#मत 13:44,46 8इतना ही नहीं, मैं अपने प्रभु येशु मसीह को जानना सर्वश्रेष्‍ठ लाभ मानता हूँ और इस ज्ञान की तुलना में हर वस्‍तु को हानि ही मानता हूँ। उन्‍हीं के लिए मैंने सब कुछ छोड़ दिया है और उसे कूड़ा समझता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्‍त करूँ 9और उनके साथ पूर्ण रूप से एक हो जाऊं। मुझे अपनी धार्मिकता का नहीं, जो व्‍यवस्‍था के पालन से मिलती है, बल्‍कि उस धार्मिकता का भरोसा है, जो मसीह में विश्‍वास करने से मिलती है। उस धार्मिकता का उद्गम परमेश्‍वर है और उसका आधार विश्‍वास है।#रोम 3:21-22 10मैं यह चाहता हूँ कि मसीह को जान लूँ। उनके पुनरुत्‍थान के सामर्थ्य का अनुभव करूँ और मृत्‍यु में उनके सदृश बन कर उनके दु:खभोग का सहभागी बन जाऊं,#रोम 6:3-5; 8:17; गल 6:17 11जिससे मैं किसी तरह मृतकों के पुनरुत्‍थान तक पहुँच सकूँ।#प्रे 4:2; प्रक 20:5-6
मेरा अनुकरण करें
12मैं यह नहीं कहता कि मैं अब तक यह सब कर चुका हूँ अथवा मुझे पूर्णता प्राप्‍त हो गयी है; किन्‍तु मैं आगे बढ़ रहा हूँ ताकि वह लक्ष्य मेरी पकड़ में आये, जिसके लिए येशु मसीह ने मुझे अपने अधिकार में ले लिया है।#1 तिम 6:12; प्रे 9:6 13भाइयो और बहिनो! मैं यह नहीं समझता हूँ कि वह लक्ष्य अब तक मेरी पकड़ में आया है। मैं इतना ही कहता हूँ कि पीछे की बातें भुला कर और आगे की बातों पर दृष्‍टि लगा कर 14मैं बड़ी उत्‍सुकता से अपने लक्ष्य की ओर दौड़ रहा हूँ, ताकि मैं स्‍वर्ग में वह पुरस्‍कार प्राप्‍त कर सकूँ जिसके लिए परमेश्‍वर ने हमें येशु मसीह में बुलाया है।#1 कुर 9:24
15हम में जितने लोग परिपक्‍व हैं, उनका यही मनोभाव होना चाहिए और यदि किसी विषय पर आपका दृष्‍टिकोण भिन्न हो, तो परमेश्‍वर आपको इसके सम्‍बन्‍ध में ज्‍योति प्रदान करेगा।#1 कुर 2:6 16जो भी हो, जहाँ तक हम पहुँच चुके हैं, उस पर हम दृढ़ रहें#गल 6:16 #3:16 अथवा, ‘जहाँ तक..... उसी के अनुकूल हम आचरण करते रहें।’
17भाइयो और बहिनो! आप सब मिल कर मेरा अनुसरण करें। हमारे जीवन में आप लोगों को एक नमूना मिला। इसके अनुसार चलने वालों पर ध्‍यान देते रहें;#1 कुर 11:1; 1 थिस 1:7; 1 पत 5:3 18क्‍योंकि जैसा कि मैं आप से बार-बार कह चुका हूँ और अब रोते हुए कहता हूँ, बहुत-से लोग ऐसा आचरण करते हैं कि मसीह के क्रूस के शत्रु बन जाते हैं।#1 कुर 1:23; गल 6:12 19उन लोगों का अन्‍त सर्वनाश है। वे भोजन को अपना ईश्‍वर बना लेते हैं और ऐसी बातों पर गर्व करते हैं, जिन पर लज्‍जा करनी चाहिए। उनका मन संसार की वस्‍तुओं में लगा हुआ है।#रोम 16:18 20हमारा स्‍वदेश तो स्‍वर्ग है और हम स्‍वर्ग से आने वाले अपने मुक्‍तिदाता प्रभु येशु मसीह की राह देखते रहते हैं।#इफ 2:6; कुल 3:1; इब्र 12:22 21वह जिस सामर्थ्य द्वारा सब कुछ अपने अधीन कर सकते हैं, उसी के द्वारा वह हमारे तुच्‍छ शरीर का रूपान्‍तरण करेंगे और उसे अपने महिमामय शरीर के अनुरूप बना देंगे।#1 कुर 15:43,49,53

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