1 इतिहास 21

21
इस्राएली राज्‍य के युवकों की जनगणना
1शैतान ने इस्राएली राष्‍ट्र को परखा। उसने दाऊद को भड़काया कि वह इस्राएली जाति के बीस वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों की जनगणना#21:1 भावानुवाद। मूल में केवल ‘इस्राएल की जनगणना’ करे।#2 शम 24:1-25 2अत: दाऊद ने योआब तथा सेनानायकों को यह आदेश दिया, ‘जाओ, बएर-शेबा से दान नगर तक, युद्ध-सेवा के योग्‍य समस्‍त इस्राएली पुरुषों की गणना करो। मेरे पास उनकी रपट लाओ। मैं उनकी संख्‍या जानना चाहता हूं।’ 3किन्‍तु योआब ने कहा, ‘प्रभु अपनी प्रजा की आबादी को सौ गुना बढ़ाए। मेरे स्‍वामी, महाराज, क्‍या वे सब-के-सब आपके सेवक नहीं हैं? तब मेरे स्‍वामी, आप यह काम क्‍यों करना चाहते हैं? आप इस्राएली राष्‍ट्र को प्रभु की दृष्‍टि में क्‍यों दोषी बनाना चाहते हैं?’ 4किन्‍तु योआब राजा दाऊद का आदेश मानने को बाध्‍य हुआ। अत: योआब चला गया। उसने समस्‍त इस्राएली देश का भ्रमण किया। तत्‍पश्‍चात् वह यरूशलेम नगर को लौटा। 5योआब ने दाऊद को पुरुषों की संख्‍या बताई। समस्‍त इस्राएल प्रदेश में ग्‍यारह लाख पुरुष, और यहूदा प्रदेश में चार लाख सत्तर हजार पुरुष थे। इनकी आयु बीस वर्ष से अधिक थी। ये तलवार चला सकते थे।
6योआब ने युद्ध-सेवा के योग्‍य पुरुषों की गणना में लेवी और बिन्‍यामिन कुलों के वंशजों को सम्‍मिलित नहीं किया; क्‍योंकि योआब की दृष्‍टि में राजा का यह आदेश घृणास्‍पद था।
7परमेश्‍वर को अपनी दृष्‍टि में दाऊद का यह कार्य बुरा लगा। उसने इस्राएलियों को दण्‍ड#21:7 शब्‍दश: ‘मारा’ दिया। 8दाऊद ने परमेश्‍वर से कहा, ‘मैंने यह कार्य कर महापाप किया। अब, प्रभु कृपाकर अपने सेवक पर से यह अधर्म का बोझ दूर कर। मैं बड़ी मूर्खता का कार्य कर बैठा।’ 9प्रभु ने दाऊद के द्रष्‍टा गाद से यह कहा, 10‘जा, और दाऊद से यह कह: “प्रभु यों कहता है: मैं तेरे सम्‍मुख तीन प्रस्‍ताव रखता हूं। तू उनमें से एक चुन। मैं उसके अनुसार तेरे साथ व्‍यवहार करूंगा।” ’ 11अत: गाद दाऊद के पास आया। उसने दाऊद से कहा, ‘प्रभु यों कहता है: “जो तू बनना चाहता है, इनमें से चुन ले: 12तीन वर्ष तक अकाल; अथवा तीन महीने तक तेरे बैरियों के द्वारा तेरा विनाश, अर्थात् तीन महीने तक तेरे शत्रुओं की तलवार तुझ पर चलती रहेगी; अथवा तीन दिन मुझ-प्रभु की तलवार का चलना, अर्थात् तेरे देश पर तीन दिन तक महामारी का प्रकोप−जब तक मेरा दूत समस्‍त इस्राएली देश का महाविनाश न करे।” महाराज, आप निर्णय कीजिए कि मैं लौटकर अपने भेजने वाले को क्‍या उत्तर दूं।’ 13दाऊद ने गाद से कहा, ‘मैं बड़े संकट में हूँ। मैं प्रभु के हाथ से मारा जाना पसन्‍द करता हूँ; क्‍योंकि प्रभु महादयालु है। परन्‍तु मैं मनुष्‍य के हाथ में नहीं पड़ना चाहता।’
14प्रभु ने इस्राएल देश पर महामारी भेजी। अत: इस्राएल देश के सत्तर हजार व्यक्‍ति मर गए। 15परमेश्‍वर ने यरूशलेम नगर को नष्‍ट करने के लिए वहाँ दूत भेजा। जब दूत यरूशलेम को नष्‍ट करने वाला था तब प्रभु ने यह देखा। वह उनकी विपत्ति देखकर पछताया। उसने लोगों का संहार करने वाले दूत से कहा, ‘बस! यह पर्याप्‍त है। अपना हाथ रोक ले।’ उस समय प्रभु का दूत यबूसी जाति के ओर्नान नामक व्यक्‍ति के खलियान के पास खड़ा था। 16दाऊद ने अपनी आंखें ऊपर उठाईं। उसने यह देखा, ‘लोगों का संहार करनेवाला दूत आकाश और पृथ्‍वी के मध्‍य खड़ा है। उसके हाथ में तलवार है, जो यरूशलेम नगर से ऊपर उठी हुई है।’ तब दाऊद और धर्मवृद्धों ने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्‍त्र पहिने। वे मुँह के बल भूमि पर गिरे। 17दाऊद ने परमेश्‍वर से कहा, ‘प्रभु, मैंने ही जनगणना करने का आदेश दिया था। पाप मैंने किया। मैंने ही दुष्‍कर्म किया। पर ये भेड़ें? इन्‍होंने क्‍या किया? हे प्रभु परमेश्‍वर, मैं विनती करता हूँ: मुझ पर और मेरे परिवार पर अपना हाथ उठा। पर प्रभु, मेरी जनता पर महामारी मत भेज।’
18प्रभु के दूत ने गाद को आदेश दिया कि वह दाऊद के पास जाए, और उससे कहे कि वह यबूसी ओर्नान के खलियान पर प्रभु के लिए एक वेदी प्रतिष्‍ठित करे। 19प्रभु के नाम में गाद ने दाऊद से कहा। दाऊद गाद के कथन के अनुसार गया। 20उस समय ओर्नान गेहूं दांव रहा था। उसके साथ उसके चार पुत्र थे। वह पीछे मुड़ा। उसने दूत को देखा। उसके चारों पुत्र छिप गए।
21दाऊद ओर्नान के पास आया। ओर्नान ने दाऊद को देखा। वह खलियान से बाहर निकला। वह भूमि पर मुंह के बल गिरा और उसने दाऊद का अभिवादन किया। 22दाऊद ने ओर्नान से कहा, ‘मुझे खलियान की यह भूमि दो। मैं इस पर प्रभु के लिए वेदी बनाऊंगा, जिससे महामारी लोगों को छोड़ दे। तुम भूमि के पूरे दाम में यह भूमि मुझे दो।’ 23ओर्नान ने दाऊद से कहा, ‘महाराज, मेरे स्‍वामी, भूमि को ले लीजिए। जो आपकी दृष्‍टि में उचित है, वह उस पर बनाइए। देखिए, मैं बलि के लिए बैल, अग्‍नि की लकड़ी के लिए दंवरी के औजार, और अन्न-बलि के लिए गेहूँ दूंगा। महाराज, मैं यह सब आपकी सेवा में प्रस्‍तुत करता हूँ।’ 24किन्‍तु राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, ‘नहीं, मैं ये वस्‍तुएं रुपये देकर ही तुमसे खरीदूंगा। जो तुम्‍हारा है, वह मैं प्रभु के लिए नहीं लूंगा। मैं ऐसी अग्‍नि-बलि नहीं चढ़ाऊंगा, जिसका मैंने मूल्‍य नहीं चुकाया है।’ 25अत: दाऊद ने भूमि के लिए ओर्नान को सात किलो सोना चुकाया। 26दाऊद ने वहां प्रभु के लिए वेदी निर्मित की, और अग्‍नि-बलि तथा सहभागिता-बलि तैयार की। उसने प्रभु को पुकारा, और प्रभु ने अग्‍नि-बलि की वेदी पर आकाश से अग्‍नि की वर्षा कर दाऊद को उत्तर दिया।#1 रा 18:38 27प्रभु ने दूत को आदेश दिया, और दूत ने म्‍यान में तलवार रख ली।
मन्‍दिर का निर्माण-स्‍थल
28जब दाऊद ने देखा कि प्रभु ने यबूसी ओर्नान के खलियान में उसको उत्तर दिया, तब उसने उसी समय वहां बलि चढ़ाई। 29प्रभु का शिविर, जो मूसा ने निर्जन प्रदेश में बनाया था, और अग्‍नि-बलि की वेदी दोनों उस समय गिब्ओन के पहाड़ी शिखर पर थे। 30परन्‍तु दाऊद प्रभु की इच्‍छा जानने के लिए उसके सम्‍मुख नहीं जा सका; क्‍योंकि वह प्रभु के दूत की तलवार से भयभीत था।

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