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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 2: न्यायियों)Sample

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 2: न्यायियों)

DAY 3 OF 4

रूत,सुपरिचय से विश्वास तक

एक विदेशी राहाब का विश्वास था जिसने इस्राएल की प्रतिज्ञा के देश को जीतने में सहायता की। इसी प्रकार से विदेशी रूत का विश्वास था जिसके द्वारा आत्मिक सूखे काल में आत्मिक नज़रिया वापस आया। अन्ततः रूत,राहाब की बहू बनी जिसके द्वारा राजाओं ने जन्म लिया (जिसमें यीशु भी शामिल थे)।

रूत घृणित जाति मोआब में से थी (उत्पत्ति 19:36-37),जो लूत के अगम्यगामन सम्बन्ध परिणाम स्वरूप पैदा हुआ था। रूत,का ससुरबेतलेहम अर्थात रोटी के घर को छोड़कर, अपने परिवार के साथ मोआब में रहने के लिए (सम्भवतः स्थाई तौर पर) चला जाता है। जिस समय पर इस्राएल के लोग-सम्भवतः परमेश्वर से फिरने के परिणाम स्वरूप- अमालेकियों के आक्रमण तथा अकाल का सामना कर रहे थे- एलीमेलेक मोआब में अपने पांव जमा रहा था। उसके पुत्रों ने वहां पर मोआबी स्त्रियों से विवाह कर लिया। एलीमेलेक और उसके पुत्र अन्त में मर गये।

इस परिवार के साथ रूत के अनुभवों,उनकी प्राथमिकताओं व अनर्थ को देखकर, उसके विश्वास को कोई प्रबलता नहीं मिली होगी। उसका,उसकी सास के साथ रिश्ता इतना मज़बूत नहीं था कि वह उसके साथ बेतलेहम जाने का फैसला कर लेती। तो फिर उसके इस चुनाव के पीछे चालक शक्ति क्या थी?

यह परमेश्वर के प्रति उसका गहन विश्वास और मज़बूत उत्तरदायित्व था जिसे हम उसके कथन में देख सकते हैं, “यदि मृत्यु को छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊँ तो यहोवा मुझ से वैसा ही वरन् उससे भी अधिक करे।” रूत 1:17 यह बोआज़ के कथन में भी प्रत्यक्ष है “यहोवा तेरे कार्य का फल दे,और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे।” रूत 2:11-12

परमेश्वर के प्रति जवाबदेही परिवर्तित करती हैः

·नज़रियाः स्पष्ट तौर पर,रुत के नज़रिये ने उसे उसके इस्राएली परिवार की ओर आकर्षित किया। वह अपने मोआबी होने के कलंक और विधवापन से परे,परमेश्वर के लोगों को एक भाग बनने का अवसर दिखाई दे रहा था।

वह निरर्थक भविष्य के परे,एक महिमित धरोहर को देख पा रही थी (ठीक नओमी के समान)।

·चुनावः एलीमेलेक ने विश्वास की जगह भोजन को चुना,उसके बच्चों ने विश्वास से बढ़कर विदेशियों को चुना, नओमी ने विदेश की जगह अपने परिचित देश को चुना। केवल रूत ने अपने विश्वास की यात्रा को प्रारम्भ करने के लिए एक साहसी कदम को उठाया।

·प्रवृतिः इस्राएल में उसकी विनम्र, सेवा करने की प्रवृति, भोजन के लिए उसका अनाज का बटोरना उसकी बुलाहट के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है

·कर्मः उसने न केवल चुनाव किया वरन उसने, उस चुनाव के प्रति काम भी किया।

क्या हम परिस्थितियों को अनन्त नज़रिये से देख पा रहे हैं?क्या हम अपने आरामदायक स्थान को छोड़ने के लिए तैयार हैं? क्या हम परमेश्वर द्वारा तैयार किये गये मार्ग पर चलने के लिए तैयार हैं? क्या हम उत्तम आशीषों को प्राप्त करने के लिए अच्छी चीज़ों को कुर्बान करने के लिए तैयार हैं?रूत ने ऐसा किया,और बाइबल के इतिहास में अपनी जगह बना ली।

Day 2Day 4

About this Plan

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 2: न्यायियों)

इस्राएलियों को परमेश्वर द्वारा सीधे अगुवाई पाने का अनोखा सौभाग्य प्राप्त था जिसने बाद में मूसा द्वारा कार्यप्रणाली को तैयार किया। परमेश्वर ने अगुवाई करने के लिए न्यायियों को खड़ा किया। उन्हें केवल परमेश्वर की आज्ञाओं का़ पालन करने तथा उसकी आराधना करने की ज़रूरत थी।

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