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मत्ती 4

4
यीशु की परीक्षा
1फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया कि शैतान द्वारा उसकी परीक्षा हो। 2चालीस दिन और चालीस रात उपवास करने के बाद उसे भूख लगी। 3तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” 4इस पर यीशु ने कहा,“लिखा है :
मनुष्य केवल रोटी से नहीं,
परंतु परमेश्‍वर के
मुँह से निकलनेवाले हर एक वचन से
जीवित रहेगा।” # व्यवस्था 8:3
5तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मंदिर की चोटी पर खड़ा किया, 6और उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो अपने आपको नीचे गिरा दे, क्योंकि लिखा है :
वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा
और वे तुझे हाथों पर उठा लेंगे,
कहीं ऐसा न हो कि तेरे पैरों को पत्थर से चोट लगे।”#भजन 91:11-12
7यीशु ने उससे कहा,“यह भी लिखा है : तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की परीक्षा न कर।”#व्यवस्था 6:16 8फिर शैतान उसे बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और जगत के सारे राज्य और उनका वैभव दिखाया, 9और उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे दंडवत् करे तो मैं यह सब तुझे दे दूँगा।” 10तब यीशु ने उससे कहा,“हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है :
तू अपने प्रभु परमेश्‍वर को दंडवत् कर
और केवल उसी की सेवा कर।” # व्यवस्था 6:13
11तब शैतान उसे छोड़कर चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर यीशु की सेवा करने लगे।
गलील में सेवाकार्य का आरंभ
12जब यीशु ने यह सुना कि यूहन्‍ना बंदी बना लिया गया है तो वह गलील को चला गया। 13वह नासरत को छोड़कर कफरनहूम में आकर रहा, जो झील के किनारे जबूलून और नप्‍ताली के क्षेत्रों के बीच में है; 14ताकि वह वचन जो यशायाह भविष्यवक्‍ता के द्वारा कहा गया था, पूरा हो :
15जबूलून और नप्‍ताली के देश,
झील के मार्ग पर, यरदन के पार,
गैरयहूदियों का गलील—
16जहाँ के लोग अंधकार में रहते थे,
उन्होंने एक बड़ी ज्योति देखी,
और जो मृत्यु के देश और छाया में रहते थे, उन पर
ज्योति उदय हुई।#यशायाह 9:1-2
17उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरंभ किया,“पश्‍चात्ताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।”
यीशु के प्रथम शिष्य
18गलील की झील के किनारे चलते समय यीशु ने दो भाइयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अंद्रियास को झील में जाल डालते हुए देखा, क्योंकि वे मछुए थे। 19यीशु ने उनसे कहा,“मेरे पीछे आओ, और मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा।” 20तब वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। 21वहाँ से आगे जाकर उसने दूसरे दो भाइयों, ज़ब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्‍ना को अपने पिता ज़ब्दी के साथ नाव में अपने जालों को सुधारते हुए देखा; और उसने उनको बुलाया। 22वे तुरंत नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
यीशु द्वारा बीमारों को स्वस्थ करना
23यीशु सारे गलील में घूमता रहा और उनके आराधनालयों में उपदेश देता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और हर प्रकार की दुर्बलता को दूर करता रहा। 24उसकी चर्चा सारे सीरिया में फैल गई; तब वे सब बीमारों को जो भिन्‍न‍-भिन्‍न‍ प्रकार की बीमारियों और दुःखों से जकड़े हुए थे, और दुष्‍टात्माग्रस्त लोगों, तथा मिर्गी और लकवे के रोगियों को उसके पास लाए, और उसने उन्हें स्वस्थ कर दिया। 25तब गलील, दिकापुलिस, यरूशलेम, यहूदिया और यरदन नदी के पार से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे चल दी।

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