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रोमी परिचै

परिचै
पौलुस की या चिठ्‍ठी यीशु मसीह का जनम का बाद सन् 56-57 का आस-पास रोम नगर मा रौण वळा बिस्वासी समुदाय का लोगु खुणि लिखे गै। रोमी नगर को समुदाय दुई किसम का लोगु से मिली के बणयूं छौ, पैलि त यहूदी लोगु से अर दुसरो ऊं लोगु से जु कि यहूदी जाति का नि छिन। पौलुस ईं चिठ्‍ठी तैं इलै लिखदु, किलैकि वु समुदाय का लोगु से मिलण की योजना बणौणु छौ। अर वेन इन योजना बणै छै, कि कुछ बगत तक उ रोम मुलक का बिस्वासी लोगु का बीच मा काम करलु, अर वेका बाद स्पेन देस कू चलि जालु। मगर पौलुस यों लोगु का बारा मा इन बतौन्दु, कि रोम नगर का लोग परमेस्वर का वचन का बारा मा पैलि बटि जणदिन, अर ऊंकी चर्चा पूरि दुनियां मा फैली च (1:8)। पौलुस रोम नगर का बिस्वासी लोगु तैं अपणा बारा मा बतौण चाणु छौ, अर यीशु मसीह पर बिस्वास करण का द्‍वारा जु कुछ भि वेन पै, वामा बटि एक भलु आसिरबाद वु रोम नगर का लोगु तैं देण चाणु छौ (1:11)। रोम नगर का लोगु तैं बिस्वास मा लौण वळा अर ऊंतैं समुदाय का रुप मा जमा करण वळा पतरस अर वेका ही जन दुसरा चेला नि छा, बल्किन मा वु लोग छा जौन #खास चे 2:1-47पिन्तेकुस्त का दिन पर यीशु मसीह पर बिस्वास कैरी छौ।
रोमी नगर का लोग बिस्वासी त छा, मगर फिर भि पौलुस ऊंका पास ऐके शुभ समाचार की शिक्षा मा और भि जादा मजबूत करण चाणु छौ। अर जब भि वु ऊंका पास औण चाणु छौ, त हर बार कुई ना कुई दिक्‍कत ह्‍वे जान्दी छै, इलै उ ऊंका पास नि ऐ सैकी (1:13-15; 15:22)।
ईं चिठ्‍ठी तैं लिखण को मकसद दुई हिस्सों मा च
(1) रोम का लोगु न पौलुस की शिक्षा का बारा मा (3:8; 6:1-2; 15) ज्वा झूठ्‍ठी खबर सुणी छै, इलै पौलुस न या बात जरुरी समझि कि शुभ समाचार तैं फैलाण को जु काम वु इथगा सालों से कनु च अब वेतैं लिखण को भि काम कैरो।
(2) अर ज्वा गळत शिक्षा बिस्वासी समुदाय का बीच मा फैली गै छै, वींतैं वु सुधरण चान्दु छौ, किलैकि यहूदी लोग ऊं लोगु का खिलाप मा होण लगि गै छा जु यहूदी जाति का नि छिन (2:1-29; 3:1,9)। अर ठिक उन्‍नि जु लोगु यहूदी जाति का नि छा, ऊंका दिलों तैं यहूदी लोगु खुणि प्यार का रुप मा बदळण चाणु छौ (11:11-32)।

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