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योएल 2

2
1सियोन पर्वत पर नरसिंगा फूंको!
मेरे पवित्र पर्वत पर चेतावनी का डंका
बजाओ।
देश के सब निवासी भय से कांपें,
क्‍योंकि प्रभु का दिन आ रहा है,
वह समीप है। #1 थिस 4:16
2वह अंधकार का, घोर अंधकार का दिन है।
उस दिन बादल छा जाएंगे,
और सघन अंधकार फैल जाएगा।
गहन कालिमा के सदृश
शक्‍तिशाली असंख्‍य टिड्डी-सेना पहाड़ी पर
बिछी है।
ऐसी सेना प्राचीनकाल में न हुई थी,
और न इसके पश्‍चात् आगामी पीढ़ियों में
कभी होगी। #आमो 5:18
3सेना का अग्रिम दस्‍ता आग है,
और पश्‍च दस्‍ता ज्‍वाला!
उसके आने के पूर्व
अदन-वाटिका के सदृश देश हरा-भरा था;
उसके जाने के बाद वह निर्जन, उजाड़ हो गया।
टिड्डियों ने कुछ भी नहीं छोड़ा।
4टिड्डियों के सिर ऐसे दिखाई दे रहे हैं,
मानो अश्‍व आ रहे हैं।
युद्ध के घोड़ों के समान टिड्डी-दल दौड़ रहे हैं।#प्रक 9:7-9
5वे पहाड़ों की चोटियों पर कूद रहे हैं।
उनके पंखों की सरसराहट
रथों की खड़खड़ाहट जैसी सुनाई दे रही है;
अथवा आग में धधकती खूँटियों की चटचटाहट है।
टिड्डी-दल मानो युद्ध में पंिक्‍तबद्ध असंख्‍य सेना है।
6उनके सम्‍मुख लोग व्‍यथित हो गए,
सब के चेहरे पीले पड़ गए।
7योद्धा के सदृश वे आक्रमण करते,
सैनिकों के समान वे दीवार पर चढ़ते हैं।
प्रत्‍येक टिड्डी-दल अपने मार्ग पर जाता है;
वह अपना मार्ग नहीं बदलता।
8वह मार्ग में दूसरे से टकराता नहीं,
सब अपने-अपने मार्ग पर चलते हैं।
वे अस्‍त्र-शस्‍त्रों की बौछार को भेदते हैं,
और उन्‍हें कोई रोक नहीं पाता।
9वे नगर पर टूट पड़ते, वे दीवारों पर दौड़ते हैं।
वे मकानों पर चढ़ते,
और चोर के समान खिड़कियों से घर के
भीतर घुस जाते हैं।
10उनके सम्‍मुख पृथ्‍वी थर्राती है,
आकाश कांपता है।
सूर्य और चन्‍द्रमा काले पड़ गए, तारे बुझ
गए। #प्रक 8:12; 9:2
11प्रभु अपनी सेना के सम्‍मुख गरजता है।
उसकी सेना महाविशाल है।
प्रभु के आदेश का पालन करनेवाली सेना
शक्‍तिशाली है।
प्रभु का दिन महान और अति आतंकमय है।
उसको कौन सह सकता है?#प्रक 6:17
प्रभु की दया
12प्रभु का यह सन्‍देश है :
‘अब भी तुम पूर्ण हृदय से उपवास करते,
शोक मनाते और रोते हुए मेरे पास लौटो।
पश्‍चात्ताप करने के लिए
13अपने वस्‍त्र नहीं,
वरन् अपना हृदय विदीर्ण करो।’
ओ यहूदा देश,
अपने प्रभु परमेश्‍वर की ओर लौट।
वह कृपालु और दयालु है।
वह विलम्‍ब क्रोधी और महा करुणा सागर
है। वह दु:ख देकर पछताता है।#यश 57:15; 58:5-7; नि 34:6
14कौन जानता है, प्रभु लौटे और पछताए,
और अपने पीछे आशिष छोड़ जाए?
तब तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर को
अन्नबलि और पेयबलि चढ़ा सकोगे।#योए 3:9; हाग 2:19
15सियोन पर्वत पर नरसिंगा फूंको।
उपवास का दिन घोषित करो।
धर्म महासभा की बैठक बुलाओ।
16लोगों को एकत्र करो!
आराधकों की मंडली को शुद्ध करो।
धर्मवृद्धों को एकत्र करो।
बच्‍चों को, दूध पीते शिशुओं को एकत्र करो।
नववधू अपनी सेज छोड़कर,
वर अपने कमरे से निकल कर आए।#1 कुर 7:5
17मन्‍दिर के आंगन और वेदी के मध्‍य
खड़े होकर, रोते हुए प्रभु के सेवक,
पुरोहित यह कहें :
‘हे प्रभु, अपने निज लोगों पर दया कर।
अपनी मीरास को बदनाम मत कर।
वे अन्‍य राष्‍ट्रों में कहावत न बनें।
अन्‍य राष्‍ट्रों के लोग यह क्‍यों कहें,
“कहां है उनका ईश्‍वर?” ’#नि 32:11; 1 मक 7:36-38
18तब प्रभु का अपने देश के प्रति प्रेम#2:18 अथवा, ‘ईष्‍र्या, उत्‍साह’ जागा,
उसने अपने लोगों पर दया की।
19प्रभु ने उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया।
उसने कहा, ‘देखो, मैं
अन्न, अंगूर-रस और जैतून का तेल
तुम्‍हें भेज रहा हूं।
तुम उन्‍हें खा-पीकर तृप्‍त होंगे।
मैं तुम्‍हें अन्‍य राष्‍ट्रों में और अधिक
बदनाम न होने दूंगा।#मल 3:10
20‘मैं उत्तर दिशा से आई हुई सेना को
तुम्‍हारे पास से हटा दूंगा;
उसे शुष्‍क और निर्जन प्रदेश में भगा दूंगा।
उसके अग्र दस्‍ते को मृत सागर में,
और पश्‍च दस्‍ते को भूमध्‍यसागर में डुबा दूंगा।
उससे दुर्गन्‍ध और सड़ायंध उठेगी;
क्‍योंकि मैं-प्रभु ने महाकार्य किए हैं।
21‘ओ भूमि, मत डर, प्रसन्न हो, आनन्‍द मना,
क्‍योंकि मैं-प्रभु ने महाकार्य किए हैं।
22ओ मैदान के पशुओ, मत डरो,
क्‍योंकि निर्जन प्रदेश के चरागाह
हरे-भरे हो गए हैं।
पेड़ में फल लगने लगे हैं।
अंजीर के वृक्ष और अंगूर की लता में
भरपूर फसल होने लगी है।
23‘ओ सियोन के निवासियो, प्रसन्न हो;
अपने प्रभु परमेश्‍वर में आनन्‍द मनाओ।
मैंने धार्मिकता के लिए तुम्‍हें एक गुरु#2:23 अथवा, “शरदकालीन वर्षा” प्रदान किया है।
फिर, मैंने तुम्‍हारे लिए अपार वर्षा की है।
पहले के समान
मैंने शरदकालीन और वसंतकालीन वर्षा की है।#व्‍य 11:14
24खलियान अन्न से भर जाएंगे,
तेल और अंगूर-रस से मटके लबालब हो जाएंगे।
25मेरी विशाल टिड्डी-सेना ने,
जो मैंने तुम्‍हारे मध्‍य भेजी थी,
उड़नेवाली, फुदकनेवाली, छीलनेवाली और
कुतरनेवाली टिड्डियों ने#2:25 देखिए 1:4 की टिप्‍पणी।
जितनी फसल खाई थी, उसका दुगुना मैं तुम्‍हें दूंगा।
26तुम पेट-भर खाओगे, और सन्‍तुष्‍ट होगे।
तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर के नाम की स्‍तुति
करोगे, जिसने तुम्‍हारे साथ अद्भुत व्‍यवहार
किया है।
मेरे निज लोग फिर कभी लज्‍जित न होंगे।
27तब तुम्‍हें अनुभव होगा कि मैं ही इस्राएल के
मध्‍य में उपस्‍थित हूं।
तुम जानोगे कि मैं ही तुम्‍हारा प्रभु परमेश्‍वर हूं।
मेरे अतिरिक्‍त और कोई ईश्‍वर नहीं है।
मेरे निज लोग फिर कभी लज्‍जित नहीं होंगे।#यश 45:5
प्रभु-आत्‍मा का अवतरण
28 # 2:28 मूल में अध्‍याय 3:1 ‘इसके पश्‍चात् यह घटना घटेगी:
मैं सब मनुष्‍यों पर अपना आत्‍मा उण्‍डेलूंगा;
तुम्‍हारे पुत्र और तुम्‍हारी पुत्रियां नबूवत करेंगी।
तुम्‍हारे वृद्धजन स्‍वप्‍न-द्रष्‍टा होंगे;
तुम्‍हारे युवक दर्शन देखेंगे।#प्रे 2:17-21 #यो 7:39
29उन दिनों मैं दास-दासियों पर भी
अपना आत्‍मा उण्‍डेलूंगा।#1 कुर 12:13; गल 3:28
30मैं आकाश और पृथ्‍वी पर
यह आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखाऊंगा:
रक्‍त, अग्‍नि और धुएं के स्‍तम्‍भ।#मक 13:24; प्रक 6:12-13
31मुझ-प्रभु के महान और आतंकपूर्ण दिन के आने के पूर्व
सूर्य अंधकार में बदल जाएगा, और चन्‍द्रमा रक्‍त में।
32उस दिन यह होगा :
जो भी व्यक्‍ति मुझ-प्रभु का नाम लेगा,
वह संकट से मुक्‍त होगा।
सियोन पहाड़ पर संकटमुक्‍त व्यक्‍ति रहेंगे।
जैसा मैंने कहा है: यरूशलेम नगर में बचे
हुए वे लोग होंगे, जिन्‍हें मैं-प्रभु ने बुलाया है।#प्रे 2:21; रोम 10:13

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