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आमोस पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
बाइबिल में वर्णित नबियों के सन्‍देशों में सब से पहले नबी आमोस की नबूवतों को लेखबद्ध किया गया था। यद्यपि वह इस्राएल देश के दक्षिणी राज्‍य यहूदा प्रदेश के रहनेवाले थे, तथापि उन्‍होंने उत्तरी राज्‍य इस्राएल में परमेश्‍वर का सन्‍देश सुनाया था। वह देहात के परिश्रमी चरवाहा-किसान थे और उन्‍होंने विलासी नगर-वासियों को रूखे स्‍वर में संबोधित किया। उनका सेवा-कार्य ईसवी पूर्व आठवीं शताब्‍दी के मध्‍यकाल में, राजा यारोबआम द्वितीय के दीर्घ शासनकाल में सम्‍पन्न हुआ। यह काल इस्राएल देश का समृद्धि-काल था। चारों ओर शांति-सुरक्षा का वातावरण था। जनता दान-दया, भक्‍ति-भावना से पूर्ण थी। किन्‍तु नबी आमोस ने ध्‍यान दिया कि जो धनवान है, वही समृद्ध है। उसकी समृद्धि दरिद्रों पर निर्भर है। धनवान गरीबों का शोषण करते हैं। वे उन पर अत्‍याचार करते हैं। न्‍याय-धर्म को धारण नहीं किया जाता। व्रत-तीर्थ-पर्व आदि केवल दिखावा हैं। सुरक्षा वास्‍तविक नहीं है। नबी आमोस साहस-पूर्वक शोषक वर्ग से कहते हैं कि गरीबों तथा महिलाओं पर किए गए अत्‍याचार और व्‍यापक अधार्मिक आचरण के कारण इस्राएली राष्‍ट्र पर दण्‍ड-दिवस आएगा। वह सामाजिक न्‍याय का सन्‍देश देते हैं, और जनता को आह्‍वान देते हैं कि “न्‍याय को जलधारा-सा बहने दो” । तब “सम्‍भवत: प्रभु परमेश्‍वर इस्राएल के बचे हुए, शेष वंशजों पर दया करे” (5:15,24)। परिशिष्‍ट में नबी का संदेश दक्षिणी राज्‍य पर लागू किया गया है और उसे भावी पुनर्निर्माण का आश्‍वासन दिया गया है।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
इस्राएल प्रदेश के सात पड़ोसी देशों को दण्‍ड 1:1−2:5
इस्राएल प्रदेश को दण्‍ड 2:6−6:14
पांच दृश्‍य 7:1−9:10
परिशिष्‍ट : नयी आशा 9:11-15

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