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2 इतिहास 7

7
1जब राजा सुलेमान ने अपनी प्रार्थना समाप्‍त की तब आकाश से आग गिरी और उसने अग्‍नि-बलि तथा पशु-बलि को भस्‍म कर दिया, और प्रभु के तेज#7:1 अथवा, ‘महिमा’ से मन्‍दिर परिपूर्ण हो गया।#लेव 9:23-24 2पुरोहित प्रभु के भवन में प्रवेश न कर सके; क्‍योंकि प्रभु के तेज से उसका भवन भरा हुआ था।
3जब इस्राएलियों ने देखा कि आकाश से आग गिरी और प्रभु के तेज से मन्‍दिर परिपूर्ण हो गया, तब उन्‍होंने फर्श की ओर सिर झुकाकर प्रभु की साष्‍टांग वन्‍दना की और उसकी स्‍तुति करते हुए यह गीत गाया,
‘क्‍योंकि प्रभु भला है,
और उसकी करुणा सदा की है।’ #भज 136:1
4तत्‍पश्‍चात् राजा तथा उसके साथ के सब लोगों ने प्रभु के सम्‍मुख पशुओं की बलि अर्पित की। #1 रा 8:62-66 5राजा सुलेमान ने बलि में प्रभु को बाईस हजार बछड़े और एक लाख बीस हजार भेड़ें चढ़ाईं। इस प्रकार राजा और सब इस्राएली लोगों ने परमेश्‍वर के भवन को उस की महिमा के लिए अर्पित किया। 6पुरोहित अपने निर्धारित स्‍थान पर सेवा-कार्य के लिए खड़े थे। लेवीय उपपुरोहित भी अपने-अपने हाथों में वाद्य-यन्‍त्र लिए हुए खड़े थे। ये वाद्य-यन्‍त्र राजा दाऊद ने प्रभु की महिमा के लिए, उसके नाम का गुणगान करने के लिए बनाए थे। जब राजा दाऊद का यह स्‍तुति-गान ‘प्रभु की करुणा सदा की है’ होता था, तब उपपुरोहित वाद्य-यन्‍त्र बजाते थे।
अत: उपपुरोहितों ने वाद्य-यन्‍त्र बजाए। दूसरी ओर पुरोहित तुरहियां बजाते रहे। सब इस्राएली पास खड़े रहे।#1 इत 15:16
7राजा सुलेमान ने मध्‍यवर्ती आंगन को भी प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया। यह प्रभु के भवन के सम्‍मुख था। जो कांस्‍य वेदी सुलेमान ने बनाई थी, वह छोटी थी। उस पर अग्‍नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलि एक साथ चढ़ाना सम्‍भव न था। इसलिए राजा सुलेमान ने मध्‍यवर्ती आंगन में अग्‍नि-बलि और सहभागिता-बलि की चर्बी चढ़ाई।
8राजा सुलेमान ने उस समय सात दिन तक यात्रा-पर्व मनाया। पर्व में हमात घाटी की सीमा से मिस्र देश की बरसाती नदी तक के इस्राएलियों का विशाल जन-समूह#7:8 अथवा, ‘मंडली’। एकत्र हुआ। 9आठवें दिन उन्‍होंने महा-धर्मसभा की; क्‍योंकि उन्‍होंने सात दिन तक वेदी का अर्पण और यात्रा-पर्व मनाया था। 10सातवें महीने की तेईस तारीख को राजा सुलेमान ने लोगों को विदा किया, और लोग अपने-अपने घर को लौट गए। उनके हृदय आनन्‍द और हर्ष से भरे हुए थे कि प्रभु ने अपने सेवक दाऊद और राजा सुलेमान तथा अपने निज लोग इस्राएलियों के लिए कितने भले कार्य किए हैं।
राजा सुलेमान को प्रभु का दूसरा दर्शन
11इस प्रकार राजा सुलेमान ने प्रभु के भवन तथा अपने राजमहल का निर्माण-कार्य समाप्‍त किया। उसने प्रभु के भवन में तथा अपने राजमहल में अनेक निर्माण-कार्यों की योजना बनाई थी। उसने सफलतापूर्वक अपनी योजना को पूरा किया।#1 रा 9:1-9 12प्रभु ने रात में सुलेमान को दर्शन दिया, और उससे कहा, ‘मैंने तेरी प्रार्थना सुनी, मैंने इस स्‍थान को अपने लिए बलि-भवन के रूप में चुना है। 13जब मैं आकाश के झरोखे बन्‍द कर दूंगा, और इस देश में वर्षा नहीं होगी; अथवा जब मेरे आदेश से टिड्डियां इस देश की फसल चट कर जाएंगी, अथवा जब मैं अपने निज लोगों के मध्‍य महामारियां भेजूंगा, 14तब यदि मेरे निज लोग, जो मेरे अपने लोग हैं, जिनको मैंने अपना नाम दिया है, स्‍वयं को विनम्र और दीन बनाएंगे, मुझसे प्रार्थना करेंगे, और मेरे मुख का दर्शन प्राप्‍त करने का प्रयत्‍न करेंगे, और अपने बुरे आचरण को छोड़ देंगे, तो मैं स्‍वर्ग से उनकी प्रार्थना को सुनूंगा, और उनके पाप क्षमा कर दूंगा, मैं उनके देश को रोग-मुक्‍त कर दूंगा। 15मेरी आंखें सब समय इस भवन पर लगी रहेंगी। जो प्रार्थना इस भवन में की जाएगी, उसको मैं सुनूंगा। 16मैंने इस भवन को चुनकर पवित्र किया है। मैंने सदा-सर्वदा के लिए यहां अपना नाम प्रतिष्‍ठित किया है। मेरी आंखें और मेरा हृदय सब समय इस भवन पर लगे रहेंगे। 17जैसे तेरा पिता दाऊद सच्‍चे और निष्‍कपट हृदय से मेरे सम्‍मुख चलता था, वैसे ही यदि तू चलेगा, मेरी आज्ञाओं, संविधियों और न्‍याय-सिद्धान्‍तों का पालन करेगा 18तो मैं इस्राएल देश पर तेरा राज-सिंहासन सदा सुदृढ़ रखूंगा। यह मैंने तेरे पिता दाऊद से कहा था। मैंने उसे यह वचन दिया था, “इस्राएल पर शासन करने के लिए तेरे वंश में पुरुष का अभाव न होगा।”
19‘परन्‍तु ओ इस्राएलियो, यदि तुम मेरा अनुसरण करना छोड़ दोगे, जो आज्ञाएं और संविधियां मैंने तुम्‍हारे सम्‍मुख रखी हैं, उनका पालन नहीं करोगे, और अन्‍य देशों के देवताओं का अनुसरण करोगे, उनकी सेवा करोगे, उनकी आराधना करोगे, 20तो मैं तुमको इस देश से, जो मैंने तुम्‍हें प्रदान किया है, निकाल दूंगा। जिस भवन को मैंने अपने नाम के लिए पवित्र किया है, उसको अपनी आंखों से दूर कर दूंगा। तुम विश्‍व की जातियों के मध्‍य निन्‍दा और उपहास के पात्र बन जाओगे। 21यह विशाल भवन मलवा का ढेर हो जाएगा।#7:21 पाठ सुधार। यहां से गुजरने वाले राहगीर आश्‍चर्य करेंगे और पूछेंगे, “प्रभु ने इस देश तथा इस भवन के साथ यह व्‍यवहार क्‍यों किया?” 22लोग उन्‍हें यह बताएंगे, “क्‍योंकि इस्राएलियों ने अपने प्रभु परमेश्‍वर को, जो उनके पूर्वजों को मिस्र देश से निकाल कर लाया था, त्‍याग दिया था, और अन्‍य देवताओं को ग्रहण कर लिया था। उन्‍होंने उनकी आराधना की, उनकी सेवा की। इस कारण प्रभु ने उन पर यह विपत्ति का पहाड़ ढाहा है।” ’

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