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1 शमूएल पुस्‍तक परिचय

पुस्‍तक परिचय
प्रस्‍तुत पुस्‍तक में इस्राएली कौम के इतिहास के उस संक्रान्‍ति काल का वर्णन हुआ है, जब इस्राएली समाज “शासकों” के अधिकार से निकल कर राजतन्‍त्र में प्रवेश करता है। यह परिवर्तन इस्राएली कौम में अनेक उत्‍थान-पतन का कारण बनता है! यह परिवर्तन तीन इस्राएली युग-पुरुषों के चारों ओर घूमता है: 1. अंतिम महान शासक तथा नबी शमूएल; 2. सेना-नायक शाऊल, जो इस्राएलियों का पहला राजा हुआ; और 3. उसका प्रतिद्वन्‍द्वी दाऊद। दाऊद के आरंभिक कार्यों का सम्‍बन्‍ध नबी शमूएल एवं राजा शाऊल से है। वीरता और सहृदयता के इन्‍हीं कार्यों ने लोगों की दृष्‍टि में दाऊद को राज्‍य-सिंहासन पर बैठने योग्‍य प्रमाणित किया। यद्यपि दाऊद दक्षिणी कुल यहूदा का था, तथापि उसने अपने प्रति उत्तरी कुलों की निष्‍ठा भी जीत ली, यहाँ तक कि राजकुमार योनातन से उसकी घनिष्‍ठ मित्रता थी।
प्रस्‍तुत ग्रंथ की विषयवस्‍तु “पुराना विधान” के अन्‍य ऐतिहासिक ग्रंथों के सदृश है। उनमें यह धार्मिक दृष्‍टिकोण प्रतिपादित हुआ है: यदि समाज अथवा व्यक्‍ति परमेश्‍वर के प्रति आस्‍थावान रहा, तो वह सफल होगा। इसके विपरीत परमेश्‍वर की आज्ञा का उल्‍लंघन करने पर वह विनष्‍ट हो जाएगा। यह अध्‍याय 2:30 में स्‍पष्‍ट बताया गया है। प्रभु परमेश्‍वर अपने प्रियजन पुरोहित एली से कहता है: “मैं अपने आदर करने वालों का आदर करूँगा, और मुझे तुच्‍छ समझने वालों को तुच्‍छ समझूँगा।”
प्रस्‍तुत ग्रंथ में राजतंत्र के सम्‍बन्‍ध में जनता की संमिश्रित भावनाओं को लिपिबद्ध किया गया है−पक्ष और विपक्ष दोनों! राजतंत्र की स्‍थापना के पूर्व इस्राएली लोग यह विश्‍वास करते थे कि परमेश्‍वर ही इस्राएल के कुल-राज्‍य का वास्‍तविक राजा है। किन्‍तु अब इस्राएलियों के अनुरोध पर परमेश्‍वर उनके लिए एक राजा चुनता है। परन्‍तु महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रस्‍तुत ग्रन्‍थ के अध्‍याय 12:13-15 के अनुसार राजा एवं इस्राएली प्रजा दोनों ही परमेश्‍वर के अधीन माने जाते थे। परमेश्‍वर के नियम-कानून अर्थात् व्‍यवस्‍था के अनुसार समस्‍त प्रजा को, चाहे कोई धनी हो अथवा निर्धन, पूर्ण अधिकार प्राप्‍त थे। इन अधिकारों में राजा हस्‍तक्षेप नहीं कर सकता था। व्‍यवस्‍था के प्रति अपनी अवज्ञा के कारण ही राजा शाऊल नबी शमूएल की दृष्‍टि में अयोग्‍य ठहरा।
विषय वस्‍तु की रूपरेखा
इस्राएली राष्‍ट्र का शासक शमूएल 1:1−7:17
शाऊल का अभिषेक 8:1−10:27
राजा शाऊल के शासन-काल के प्रथम वर्ष 11:1−15:35
राजा शाऊल और दाऊद 16:1−30:31
राजा शाऊल और उसके पुत्रों की मृत्‍यु 31:1-13

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