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मरकुस 7:21-23
मध्य पुरविया थारू
कथिलेत सब परकारके नै निक बातसब मनके भितरसे खराब बिचार, अनैतिक समबन्ध, चोरी, हतिया, बेबिचार लोभ, दुस्मनी, छल-कपट, निरलज, रिस-डाह, निन्दा, घमन्ड, मुरखता निक्लैछै। यि सब दुस्ट बातसब मनके भितरसे निक्लैछै आ लोकके असुध कैरदैछै।”
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मरकुस 7:15
कोनो एहेन चिज नै छै जे लोकके मुहसे ख्याल कोनोभी चिजसे ओकरा असुध करैछै महज लोकसे बाहर निकलैबला बातसबसे ओकरा असुध करैछै।
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मरकुस 7:6
येसु उसबके जबाफ देल्कै, “ए कपटीसब, यसैया अगमबक्ता तोरासबके बारेमे ठिके अगमबानी करने छेलौ, ‘यि जाती हमरा आपन मुहसे मातर आदर करैछै, महज उसबके हिरदय हमरसे दुर छै।
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मरकुस 7:7
उसब बेकारमे हमर आराधना करैछै, महज उसबके सिक्छा लोकसबके बन्याल नियम मातरे चियै।’
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मरकुस 7:8
तुसब परमेस्वरके आग्या छोइरके लोकसबके बन्याल चलन मानैचिही।”
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