योहन 9

9
जन्‍मान्‍ध को दृष्‍टिदान
1मार्ग में येशु ने एक मनुष्‍य को देखा, जो जन्‍म से अन्‍धा था।#प्रे 3:2; 14:8 2उनके शिष्‍यों ने उनसे पूछा, “गुरुजी! किसने पाप किया था, इसने अथवा इसके माता-पिता ने, कि यह अन्‍धा जन्‍मा है?”#लू 13:2; नि 20:5 3येशु ने उत्तर दिया, “न तो इस मनुष्‍य ने पाप किया और न इसके माता-पिता ने। यह इसलिए जन्‍म से अन्‍धा है कि इसमें परमेश्‍वर के कार्य प्रकट हों।#यो 11:4 4दिन रहते हमें उसके कार्य में लगे रहना चाहिए, जिसने मुझे भेजा है। रात आ रही है, जब कोई भी व्यक्‍ति कार्य नहीं कर सकता।#यो 5:17,20; 11:9 5मैं जब तक संसार में हूँ, तब तक संसार की ज्‍योति हूँ।”#यो 8:12; 12:35
6यह कह कर येशु ने भूमि पर थूका, थूक से मिट्टी का लेप बनाया और वह लेप अन्‍धे की आँखों पर लगा कर#मक 8:23 7उससे कहा, “जाओ, शीलोह के कुण्‍ड में धो लो।” शीलोह का अर्थ है ‘प्रेषित’। वह मनुष्‍य गया। उसने वहाँ आँखें धोईं और वह देखता हुआ लौटा।
8उसके पड़ोसी और वे लोग, जो उसे पहले भीख माँगते देखा करते थे, बोले, “क्‍या यह वही नहीं है, जो बैठकर भीख माँगा करता था?” 9कुछ लोगों ने कहा, “हाँ, यह वही है।” कुछ ने कहा, “नहीं, यह उस-जैसा कोई और है।” उसने कहा, “मैं वही हूँ।” 10इस पर लोगों ने उससे पूछा, “तो, तुम्‍हारी आँखें कैसे खुलीं?” 11उसने उत्तर दिया, “जो मनुष्‍य येशु कहलाते हैं, उन्‍होंने मिट्टी का लेप बनाया और उसे मेरी आँखों पर लगा कर कहा, ‘शीलोह के कुण्‍ड पर जाओ और धो लो।’ मैं गया और धोने के बाद देखने लगा।” 12उन्‍होंने उससे पूछा, “वह कहाँ है?” उसने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता।”
फरीसियों की जाँच-पड़ताल
13लोग उस मनुष्‍य को, जो पहले अन्‍धा था, फरीसियों के पास ले गये। 14जिस दिन येशु ने मिट्टी का लेप बना कर उसकी आँखें खोली थीं, वह विश्राम का दिन था।#यो 5:9 15फरीसियों ने उससे फिर पूछा कि वह कैसे देखने लगा। उसने उनसे कहा, “उन्‍होंने मेरी आँखों पर मिट्टी लगायी, मैंने आँखें धोईं और अब मैं देख रहा हूँ।” 16इस पर कुछ फरीसियों ने कहा, “वह मनुष्‍य परमेश्‍वर के यहाँ से नहीं आया है; क्‍योंकि वह विश्राम-दिवस के नियम का पालन नहीं करता।” कुछ लोगों ने कहा, “पापी मनुष्‍य ऐसे आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न कैसे दिखा सकता है?” इस तरह उनमें मतभेद हो गया।#यो 3:2; 7:43; 9:31,33 17उन्‍होंने फिर अन्‍धे से पूछा, “जिस मनुष्‍य ने तुम्‍हारी आँखें खोली हैं, उसके विषय में तुम क्‍या कहते हो?” उसने उत्तर दिया, “वह नबी है।”#यो 4:19
18यहूदी धर्मगुरुओं को विश्‍वास नहीं हो रहा था कि वह अन्‍धा था और अब देखने लगा है। इसलिए उन्‍होंने उसके माता-पिता को बुलाया 19और उनसे पूछा, “क्‍या यह तुम्‍हारा पुत्र है, जिसके विषय में तुम यह कहते हो कि यह जन्‍म से अन्‍धा था? तो अब यह कैसे देखने लगा है?” 20उसके माता-पिता ने उत्तर दिया, “हम जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है और यह जन्‍म से अन्‍धा था; 21किन्‍तु अब यह कैसे देखने लगा है, हम यह नहीं जानते। हम यह भी नहीं जानते कि किसने इसकी आँखें खोली हैं। यह सयाना है, इसी से पूछ लीजिए। यह अपने विषय में स्‍वयं ही बताएगा।” 22उसके माता-पिता ने यह इसलिए कहा कि वे धर्मगुरुओं से डरते थे। यहूदी धर्मगुरु यह तय कर चुके थे कि यदि कोई येशु को मसीह मानेगा, तो वह सभागृह से बहिष्‍कृत कर दिया जाएगा। #यो 7:13; 12:42; 16:2 23इसलिए उसके माता-पिता ने कहा, “यह सयाना है, इसी से पूछ लीजिए।”
24अत: फरीसियों ने उसे, जो पहले अन्‍धा था, दूसरी बार बुलाया और उससे कहा, “परमेश्‍वर की स्‍तुति करो। हम जानते हैं कि वह मनुष्‍य पापी है।”#यहो 9:19 25उसने उत्तर दिया, “वह पापी है या नहीं, इसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता। मैं केवल एक बात जानता हूँ कि मैं अन्‍धा था और अब देख रहा हूँ।” 26इस पर उन्‍होंने उससे फिर पूछा, “उसने तुम्‍हारे साथ क्‍या किया? उसने तुम्‍हारी आँखें कैसे खोलीं?” 27उसने उत्तर दिया, “मैं आप लोगों को बता चुका हूँ, लेकिन आपने सुना ही नहीं! अब आप फिर क्‍यों सुनना चाहते हैं? क्‍या आप लोग भी उनके शिष्‍य बनना चाहते हैं?” 28वे उसे बुरा-भला कहते हुए बोले, “तू उसका शिष्‍य होगा! हम तो मूसा के शिष्‍य हैं। 29हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ने मूसा से बात की है, किन्‍तु उस मनुष्‍य के विषय हम नहीं जानते कि वह कहाँ से आया है।”
30उसने उन्‍हें उत्तर दिया, “यही तो आश्‍चर्य की बात है। उन्‍होंने मेरी आँखें खोली हैं और आप लोग यह भी नहीं जानते कि वह कहाँ से आए हैं। 31हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता। वह उन लोगों की सुनता है, जो उसके भक्‍त हैं और उसकी इच्‍छा पूरी करते हैं।#यश 1:15; नीति 15:29; प्रे 10:35 32यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्‍मान्‍ध की आँखें खोली हों। 33यदि यह मनुष्‍य परमेश्‍वर के यहाँ से नहीं आए होते, तो वह कुछ भी नहीं कर सकते थे।”#यो 9:16 34उन्‍होंने उससे कहा, “तू तो बिलकुल पाप में जन्‍मा है और हमें सिखाता है?” और उन्‍होंने उसे बाहर निकाल दिया।#यो 9:2; भज 51:5
आत्‍मिक अंधापन
35येशु ने सुना कि फरीसियों ने उसे बाहर निकाल दिया है; इसलिए मिलने पर उन्‍होंने उससे कहा, “क्‍या तुम मानव-पुत्र में विश्‍वास करते हो?” 36उसने उत्तर दिया, “महोदय! मुझे बता दीजिए कि वह कौन है, जिससे मैं उसमें विश्‍वास कर सकूँ”। 37येशु ने उससे कहा, “तुम ने उसे देखा है और जो तुम से बातें कर रहा है, वह वही है।”#यो 4:26; 10:25 38उसने उन्‍हें दण्‍डवत् करते हुए कहा, “प्रभु! मैं विश्‍वास करता हूँ।”
39येशु ने कहा, “मैं संसार में न्‍याय के लिए आया हूँ, जिससे जो अन्‍धे हैं, वे देखने लगें और जो देखते हैं, वे अन्‍धे हो जाएँ।”#मत 13:11-15 40जो फरीसी उनके साथ थे, वे यह सुन कर बोले, “क्‍या हम भी अन्‍धे हैं?”#मत 15:14; 23:26 41येशु ने उन से कहा, “यदि तुम लोग अन्‍धे होते, तो तुम्‍हें पाप नहीं लगता, परन्‍तु तुम तो कहते हो कि हम देखते हैं; इसलिए तुम्‍हारा पाप बना रहता है।#नीति 26:12

Okuqokiwe okwamanje:

योहन 9: HINCLBSI

Qhakambisa

Dlulisela

Kopisha

None

Ufuna ukuthi okuvelele kwakho kugcinwe kuwo wonke amadivayisi akho? Bhalisa noma ngena ngemvume

Ividiyo ye- योहन 9