एता कठे क्या परमेसरा आपणे चुणिरे लोका रा न्याय नी चुकाणा, जो राती ध्याड़ी तेसरी दुहाई देहां ऐं, होर क्या तेस तिन्हारे बारे मन्झ देर करणी? हांऊँ तुस्सा किन्हें बोल्हा, तेस झटपट तिन्हारा न्याय चुकाणा, तेबे भी मां माह्णुं रे मह्ठे जेबे आऊंणा, ता धरती पर मुंजो कितने मिलणे जिन्हा मेरे पर विस्वास रखणा?”