मत्ती 24
24
अन्त्यक दिनके चिन्हा
(मर्कू. १३:१-३७; लूक. २१:५-३८)
1ओकरपाछे येशू यरुशलेमके मन्दिरमेसे निकरके जाइबेर येशूक चेलनके हुँकिन्हे मन्दिरके भवन देखाइक लग हुँकार लग्गे अइलाँ। 2पर येशू ओइन्हे कलाँ, “तुहुरे अब्बे जोन बर-बर पठरक घर देखतो। पर मै तुहुरिन्हे बताइतुँ, दुश्मननके एकथो पठराहे फेन ओकर ठाउँमे रहे नै दिहीँ। उ सक्कु भस्काजिहीँ।”
येशूक फिर्ता अइना चिन्हा
3जब येशू जैतून पहाड़मे बैठल रहिँत, तब चेलनके अल्गेसे हुँकार थेन आके पुँछ्लाँ, “हम्रिहिन्हे बताई, यी बात कब हुई और अप्निक धर्तीमे फिर्ता हुइना और यी युगके अन्त्यक का चिन्हा रही?” 4तब् येशू ओइन्हे जवाफ देलाँ, “हौश्यार रहो, केऊ तुहुरिन्हे मूर्ख ना बनाए। 5काकरेकी बहुत्ते जाने मोरिक नाउँमे ‘मै ख्रीष्ट हुइतुँ’ कती अइहीँ, और तमान जहनहे बहकैहीँ। 6जब तुहुरे लड़ाई और लड़ाईक हल्ला सुन्बो तब् ना डरैहो। असिन घटना हुइना जरुरी बा। पर वहे समय संसारके अन्त्य जुरतेहेँ नै हुई। 7काकरेकी एकथो जातिक मनै दोसुर जातिक मनैनहे हमला करहीँ, और एकथो राज्यक मनै दोसुर राज्यक मनैनहे हमला करहीँ। ठाउँ-ठाउँमे भुँइचाल हुई, और अनिकाल परी। 8पर यी समय ते संकटके सुरुवात किल हो। यी जन्नीनके घनि-घनि बेथा लागल हस हुई। 9तब् तुहुरिन्के विरोध करुइया मनै तुहुरिन्हे संकटके लग सौँपदिहीँ, और तुहुरिन्हे मुवादिहीँ और मोरिकमे विश्वास कर्लक कारण सक्कु जातिक मनै तुहुरिन्के दुश्मन होजिहीँ। 10तब् बहुत्ते जाने मोरिकमे विश्वास करना छोरदिहीँ। और एक जाने दोसुर जहनहे विश्वासघात और घृणा करहीँ। 11बहुत्ते झूँटा अगमवक्तन अइहीँ, और बहुत्ते जहनहे धोखा दिहीँ। 12दुष्टता बहर्लक ओहोँरसे एकदोसुर जहनहे प्रेम करना छोरदिहीँ। 13पर जेने अपन जीवनके अन्त सम् मोरिकमे विश्वास करहीँ, परमेश्वर ओइनेहेन्हे बँचैहीँ। 14और परमेश्वरके राजके यी खुशीक खबर सारा संसारमे गवाहीक लग प्रचार करजाई, ताकि सक्कु जातिनके मनै यिहिहे स्वीकार करना मौका भेटाँइत। ओकरपाछे संसारके अन्त्य हुई।”
महासंकटके सुरुवात
(मर्कू. १३:१४-२३; लूक. २१:२०-२४)
15येशू कलाँ, “(पह्रुइया बुझे कि मै केकर बारेम लिखतुँ।) तबेकमारे जब तुहुरे परमेश्वरके अगमवक्ता दानियलके बोल्लक दुष्ट मनैयाहे यरुशलेम मन्दिरके पवित्र ठाउँमे ठरह्याइल देख्बो। 16तब् यहूदियामे रहुइयन पहाड़ ओहोँर भागिँत। 17उ समयमे बेर ना करहो, यदि तुहुरे घरक छँपरामे रबो कलेसे अपन सामान लेहे घरेक भित्तर ना जैहो। तुहुरे वहाँसे भागजैहो। 18जे खेट्वामे बा ऊ अपन लुग्गा लेहे घरे ना घुमे। 19उ दिनमे उ जन्नीनके लग यी डरलग्तिक समय रहिहीन! जे पैनाहाँ बा, और ओइन्के लग फेन जे अपन लरकनहे दूध पिवाइता, यनके लग भग्ना महा आफत हुइहिन। 20तबेकमारे प्राथना करो कि यी दुःखके समय जार छेँक या बिँसैना दिनमे ना होए। नै ते यात्रा करना आफत हुई। 21काकरेकी उ समयमे मनै गजब गम्भीर रुपमे पीड़ित हुइहीँ। परमेश्वरके संसारहे बनैनासे लेके अबसम मनै असिन संकटके सामना नै करलाँ, और ना आबसे करहीँ। 22परमेश्वर अपन चुनल मनैनके लग उ संकटके समयहे कम करना फैसला कर्ले बताँ, नै ते कौनो फेन मनैया नै बँची। 23वहे समय यदि केऊ तुहुरिन्हे ‘हेरो, ख्रीष्ट यहाँ बताँ’ और ‘वहाँ बताँ’ कहिके कही ते तुहुरे विश्वास ना करहो। 24काकरेकी झूँटा ख्रीष्टहुँक्रे और झूँटा अगमवक्तन अइहीँ। ओइने चमत्कार और अचम्मक काम देखैहीँ, यहाँसम कि ओइने ओइन्हे फेन दोधारमे परहीँ। जेनहे परमेश्वर चुनल बतिन। 25सम्झले रहो, मै तुहुरिन्हे आघेसे कहिदेहल बतुँ। 26यदि ओइने तुहुरिन्हे ‘हेरो, ऊ उजाड़-ठाउँमे बताँ’ कहिके कहिहीँ कलेसे बाहेर निकरके ना जैहो। और ‘हेरो, ऊ भित्तर कोन्तीमे बताँ’ कहिके कहिहीँ कलेसे फेन विश्वास ना करहो। 27काकरेकी जसिके बिज्ली पुरुवसे चम्कत ते पश्छिउँसम ओजरार होजाइत, ओस्तेके मै, मनैयक छावक आगमन हुई। 28जहाँ मरल दङ्गर रहत, गिद्धा वहैँ जमा हुइथाँ।”
मनैयक छावक अइना दिन
29येशू कलाँ, “उ दिनमे डरलग्तिक संकटके समय ओराके सेकी ते सूर्य और जोन्ह्याँ ओजरार देहे छोरदिहीँ। तोरैँ आकाशमेसे गिरजिहीँ, और आकाशके सक्कु शक्ति यहोँरओहोँर डगमगाजिहीँ। 30तब् मनैयक छावक चिन्हा आकाशमे देखा परी। और पृथ्वीक सक्कु जातिन छाती ठथैहीँ। और ओइने मै, मनैयक छावाहे आकाशके बद्रीमे शक्ति और बरवार महिमक संग आइत देख्हीँ। 31मै, मनैयक छावा अपन स्वर्गदूतनहे तुरहीक भारी आवाजके संग पठैम। और ओइने आकाशके एक छोरसे दोसुर छोरसम चारु ओहोँरसे ओइन्हे जमा करहीँ, जेनहे मै चुनल बतुँ।”
अञ्जीरके रुख्वामेसे शिक्षा
32येशू कलाँ, “अञ्जीरके रुख्वासे पाठ सिखोः जब ओकर दहियाँ निकरत, और ओकर पटिया फेन पल्हाइत। तब् तुहुरे जानजिथो कि घाम छेँक आगिल बा। 33ओस्तेके जब तुहुरे यी चिज हुइत देख्बो। तब् तुहुरे जानजिहो कि यी संसारके अन्त्य हुइक लग बा। यहाँसम कि यी गजब लग्गेहेँ बा। 34जात्तिके, मै तुहुरिन्हे कहतुँ, यी जबानक कौनो मनै तबसम नै मुहीँ, जबसम यी घटना नै होजाई। 35आकाश और पृथ्वी नाश होजाई, पर जोन मै कनु ऊ सदादिन पलिरही।”
सचेत रना
36येशू कलाँ, “यी बात कोन दिन और कब हुई कहिके केऊ फेन नै जानत, ना ते स्वर्गदूतनके, और ना ते मै छावा। पर बाबाहे किल उ दिन और उ समय पता बतिस। 37जब मै, मनैयक छावा अइम, तब असिन हुई जसिके नोअक समयमे हुइल रहे। 38काकरेकी जसिके जलप्रलयसे आघे नोआ जहाजमे पैँठ्ना दिनसम, मनै खाइतिहिँत, पिअतिहिँत और भोजव्यहा करतिहिँत। 39तब् जलप्रलय आके ओइन् सक्कुहुनहे स्वात्तै नै पुहाइतसम ओइने पतै नै पैलाँ। मै, मनैयक छावक आगमन फेन ओस्तेके हुई। 40उ समयमे दुई जाने खेट्वामे रहिहीँ, एकथो लैजाजाई, दोसुर छोरजाजाई। 41दुईथो जन्नी मनै चकिया पिसे भिरल रहिहीँ, एकथो लैजाजाई, दोसुर छोरजाजाई। 42तबेकमारे जागल रहो, काकरेकी कोन दिन तुहुरिन्के प्रभु आई, उ तुहुरे नै जन्थो। 43पर यी जानो, कि घरक मलिक्वा चोरवा रातिक कोन समयमे आई कहिके जानल रहत कलेसे, उ जागल रना रहे और अपन घर नै फोरे देना रहे। 44तबेकमारे तुहुरे फेन तयार रहो। काकरेकी मै, मनैयक छावा तुहुरिन्के नै सोँचल समयमे अइम।”
विश्वासयोग्य नोकर और बेमान नोकर
45येशू कलाँ, “विश्वासी और बुद्धिमान नोकर उ हो, जिहिहे ओकर मलिक्वा दोसुर नोकर-नोकर्नीनहे सम्हरना और खवैना जिम्मा देहे सेकत। 46उ नोकर धन्य हो, जिहिहे मलिक्वा घुमके आई ते ओस्तेहेँ करत भेटाई। 47जात्तिके, मै तुहुरिन्हे कहतुँ, ओकर हाँथेम ओकर मलिक्वा अपन सारा सम्पतिक जिम्मा दैदी। 48-49यदि उ नोकर खराब रही और अपन मनमे सोँची कि ‘मोरिक मलिक्वा अइनामे बेर करी’ कहिके अपन संगेक नोकर और नोकर्नीनहे पिटे लागल। और ऊ मदुवनके संग जाके खाई-पिए लागल कलेसे, 50उ नोकरके मलिक्वा असिन समयमे आपुगी। जब ऊ ओकर असरा नै करल रही। और असिन समयमे जोन उहिहे पता फेन नै रहिहिस। 51तब ओकर मलिक्वा उहिहे कठोर दण्ड दि, और उहिहे कपटीनके बिच्चेम फेँकादी, जहाँ मनै रुइहीँ और कष्टमे दाँत किचकिचैहीँ!”
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