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Mucherechedzo Wekutsvaka

योहन 2

2
काना नगर में विवाह
1तीसरे दिन गलील प्रदेश के काना नगर में एक विवाह था। येशु की माता वहीं थी।#यो 1:43 2येशु और उनके शिष्‍य भी विवाह में निमन्‍त्रित थे।
3दाखरस कम पड़ने पर येशु की माता ने उन से कहा, “उन लोगों के पास दाखरस नहीं है।” 4येशु ने उत्तर दिया, “हे नारी, मुझे आप यह क्‍यों बता रही हैं?#2:4 शब्‍दश: “मुझ को और आप को क्‍या?” अभी मेरा समय नहीं आया है।”#यो 19:26; मत 12:48; मक 1:24 5उनकी माता ने सेवकों से कहा, “वह तुम लोगों से जो कुछ कहें, वही करना।”#उत 41:55
6वहाँ यहूदियों के शुद्धीकरण के लिए पत्‍थर के छ: मटके रखे थे। प्रत्‍येक मटके में सौ, सवा-सौ लिटर पानी समाता था।#मक 7:3-4 7येशु ने सेवकों से कहा, “मटकों में पानी भर दो।” सेवकों ने उन्‍हें लबालब भर दिया। 8फिर येशु ने उन से कहा, “अब निकाल कर भोज के प्रबन्‍धक के पास ले जाओ।” उन्‍होंने ऐसा ही किया। 9प्रबन्‍धक ने वह पानी चखा, जो दाखरस बन गया था। उसे मालूम नहीं था कि यह दाखरस कहाँ से आया है। किन्‍तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था, वे जानते थे। इसलिए प्रबन्‍धक ने दूल्‍हे को बुलाया 10और उससे कहा, “सब कोई पहले बढ़िया दाखरस देते हैं, और लोगों के पूर्ण तृप्‍त हो जाने पर घटिया। आपने बढ़िया दाखरस अब तक रख छोड़ा है।”#आमो 9:13-14; यश 62:5,9
11येशु ने अपना यह पहला आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न गलील के काना नगर में दिखाया। इस प्रकार उन्‍होंने अपनी महिमा प्रकट की और उनके शिष्‍यों ने उन में विश्‍वास किया।#यो 1:41; 11:40
12इसके बाद येशु अपनी माता, अपने भाइयों#2:12 अथवा, “भाई-बहिनों” और अपने शिष्‍यों के साथ कफरनहूम नगर को गये और वहाँ कुछ दिन रहे।#यो 7:3; मत 4:13
मन्‍दिर से बिक्री करने वालों को निकालना
13यहूदियों का पास्‍का (फसह) पर्व निकट था। अत: येशु यरूशलेम नगर को गये। 14वहाँ उन्‍होंने मन्‍दिर में बैल, भेड़ें और कबूतर बेचने वालों को तथा अपनी मेजों के सामने बैठे हुए सराफों को देखा।#मत 21:12-13; मक 11:15-17; लू 19:45-46 15येशु ने रस्‍सियों का कोड़ा बना कर भेड़ों और बैलों-सहित सब को मन्‍दिर से बाहर निकाल दिया। उन्‍होंने सराफों के सिक्‍के छितरा दिये, उनकी मेजें उलट दीं 16और कबूतर बेचने वालों से कहा, “यह सब यहाँ से हटा ले जाओ। मेरे पिता के घर को बाजार मत बनाओ।”
17उनके शिष्‍यों को धर्मग्रन्‍थ का यह कथन स्‍मरण हुआ : “तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी।”#भज 69:9
यहूदी धर्मगुरुओं की चुनौती
18यहूदी धर्मगुरुओं ने येशु से कहा, “आप हमें कौन-सा आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखा सकते हैं, जिससे हम यह जानें कि आप को ऐसा करने का अधिकार है?”#यो 3:2; मत 21:23 19येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “इस मन्‍दिर को ढा दो और मैं इसे तीन दिन में फिर खड़ा कर दूँगा।”#मत 26:61; 27:40 20इस पर उन यहूदियों ने कहा, “इस मन्‍दिर के निर्माण में छियालीस वर्ष लगे, और आप इसे तीन दिन में खड़ा कर देंगे?” 21येशु तो अपने देह-रूपी मन्‍दिर के विषय में कह रहे थे।#1 कुर 6:19 22जब वह मृतकों में से जी उठे, तब उनके शिष्‍यों को स्‍मरण हुआ कि येशु ने ऐसा कहा था और उन्‍होंने धर्मग्रन्‍थ और येशु के इस कथन पर विश्‍वास किया।
23जब येशु पास्‍का (फसह) पर्व के दिनों में यरूशलेम में थे, तब बहुत-से लोगों ने उनके किये हुए आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न देख कर उनके नाम पर विश्‍वास किया। 24परन्‍तु येशु ने अपने आपको उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा; क्‍योंकि वह सब को जानते थे। 25उन्‍हें यह आवश्‍यकता नहीं थी कि कोई उन्‍हें मनुष्‍य के विषय में बताए; क्‍योंकि वह स्‍वयं जानते थे कि मनुष्‍य के मन में क्‍या है।#मक 2:8

Zvasarudzwa nguva ino

योहन 2: HINCLBSI

Sarudza vhesi

Pakurirana nevamwe

Sarudza zvinyorwa izvi

None

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